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यमराज पूजा विधि || Yamaraja Puja Vidhi || Yam Ka Deepak Kaise Jalaye || Yama Dev Puja Vidhi

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यमराज पूजा विधि || Yamaraja Puja Vidhi || Yam Ka Deepak Kaise Jalaye

हमारे हिंदु मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव की पूजा करने का विधान माना जाता हैं कहा जाता है की इस दिन यम देव की पुका करने से जातक अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता हैं, और वो नरक के भय से मुक्त हो जाता है और साथ ही उनके पूर्वजों को भी नरक की यातनायें नही झेलनी पड़ती हैं। नरक चतुर्दशी की रात्रि को यम का दीपक जलाया जाने की परम्परा हैं। Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे यमराज पूजा विधि || Yamaraja Puja Vidhi को पढ़कर आप भी बहुत ही आसानी तरीके से यमदेव की पूजा करके फायदा व लाभ उठा सकते है !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Yamaraja Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

यमराज पूजा विधि || Yamaraja Puja Vidhi || Yama Dev Puja Vidhi

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यमराज पूजा कब करे || Yamaraja Puja Kab Kare

यमराज पूजा कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी व रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। इस बार 2022 में 24 अक्टूबर, वार सोमवार को यमराज की पूजा व व्रत का विधान है।

यमराज पूजा मुहूर्त || Yamaraja Puja Muhurat

प्रदोष काल मुहूर्त – संध्या 05:48 से रात्रि 08:22 तक का मुहूर्त यमराज की पूजा व यम तर्पण के लिए श्रेष्ट है।

स्नान मुहूर्त : 24 अक्टूबर 2022, सुबह 05:08 – सुबह 06:31 तक |

यमराज पूजा विधि || Yamaraja Puja Vidhi

इस दिन जातक सूर्योदय से पहले जगकर शरीर पर तिल के तेल की मालिश करके स्नान करने का विधान है। स्नान के बाद अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए। अपामार्ग को मस्तक पर घुमाना नीचे बताये गये मंत्र का जाप करना चाहिए।

यमराज पूजा मंत्र || Yamaraja Puja Mantra

सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्।

हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।

उसके बाद शुद्ध कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बताये गये नीचे निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं :

ऊँ यमाय नम:,

ऊँ धर्मराजाय नम:,

ऊँ मृत्यवे नम:,

ऊँ अन्तकाय नम:,

ऊँ वैवस्वताय नम:,

ऊँ कालाय नम:,

ऊँ सर्वभूतक्षयाय नम:,

ऊँ औदुम्बराय नम:,

ऊँ दध्राय नम:,

ऊँ नीलाय नम:,

ऊँ परमेष्ठिने नम:,

ऊँ वृकोदराय नम:,

ऊँ चित्राय नम:,

ऊँ चित्रगुप्ताय नम:।

इस प्रकार से तर्पण कर्म सभी पुरुषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता जीवित या स्वर्गीय हों। फिर देवताओं का पूजन करके सायंकाल प्रदोष काल में यमराज को दीपदान करने का विधान है।

दीपक जलाने का काम त्रयोदशी तिथि से शुरू करके अमावस्या तक करना चाहिए। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का पूजन करने का भी विधान बताया गया है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे बैकुंठ में जगह मिलती है।

यम का दीपक कैसे जलाए || Yama Ka Deepak Kaise Jalaye

यम देव के नाम का दीपक जलाने से पहले पूजा की जाती हैं। इसलिए एक चौकी पर रोली (कुमकुम) से स्वास्तिक बनाकर उस पर आटे का बना चौमुखी दीपक बनाकर रखें। फिर दीपक पर रोली-चावल से तिलक करें, फूल अर्पित करें। फिर उसमें एक सिक्का ड़ालें। घर के सदस्यों के तिलक करें। फिर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके उस दीपक को चौराहे या घर के मेन गेट पर रख दें और बताये गये इस मंत्र का जाप करें।

यम का दीपक जलाने का मंत्र || Yama Ka Deepak Jalane Ka Mantra

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्॥

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