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सोलह सोमवार व्रत पूजा विधि || Solah Somvar Vrat Puja Vidhi || Solah Somvar Vrat Udyapan Vidhi

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सोलह सोमवार व्रत पूजा विधि || Solah Somvar Vrat Puja Vidhi

हम यंहा आपको Solah Somvar Vrat Puja की सम्पूर्ण विधि के बारे में बताने जा रहे हैं ! इस पोस्ट के माध्यम से आप सोलह सोमवार की पूजा कैसे शुरू कैसे करें आदि की जानकारी प्राप्त होगी ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे सोलह सोमवार व्रत पूजा विधि || Solah Somvar Vrat Puja Vidhi को पढ़कर आप सोलह सोमवार व्रत पूजा की जानकारी प्राप्त  कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Solah Somvar Vrat Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

सोलह सोमवार पूजा विधि || Solah Somvar Puja Vidhi

सोलह सोमवार व्रत पूजा विधि || Solah Somvar Vrat Puja Vidhi || Solah Somvar Vrat Udyapan Vidhi

सोलह सोमवार व्रत कब करें || Solah Somvar Vrat Puja Kab Kare

व्रती को Solah Somvar Vrat Puja श्रावण, चैत्र, वैशाख, कार्तिक और मार्गशीर्ष मास में आरम्भ करना चाहिए !

सोलह सोमवार व्रत पूजा का समय || Solah Somvar Vrat Puja Ka Samay / Time

सोलह सोमवार व्रत का पूजन समय निश्चित होता है ! Solah Somvar Vrat Puja दिन के तीसरे प्रहर में अर्थात सांय 04:00 बजे के आसपास किया जाता है ! प्रत्येक सोमवार को इसी समय ही पूजा करनी चाहिए !

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सोलह सोमवार पूजा सामग्री || Solah Somvar Vrat Puja Samagri

Solah Somvar Vrat Puja में शिव जी की मूर्ति, भांग, बेलपत्र, जल, धूप, दीप, गंगाजल, धतूरा, इत्र, सफेद चंदन, रोली, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, नैवेद्य ( आधा सेर गेहूं का आटा को घी में भून कर गुड़ मिला कर अंगा बना लें ) !

सोलह सोमवार व्रत पूजा विधि || Solah Somvar Vrat Puja Vidhi

Solah Somvar Vrat Puja के दिन व्रती को सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्य कर्म से निवृत्य होकर स्नान के जल में गंगा जल तथा काला तिल डालकर नहाना चाहिए ! और स्नान करते समय दिए गये मंत्र का जाप करना चाहिए ! मन्त्र : “ॐ गंगे च गोदावरीनर्मदेसिंधुकावेरी अस्मिन जलं सन्निधिं कुरु।।”

प्रत्येक सोमवार को बाल धोकर अवश्य ही नहाना चाहिए । इसके बाद स्वच्छ कपडे धारण करने चाहिए ! उसके बाद अपनी इच्छा अनुसार अपने पूजा घर या मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करनी चाहिए !

सोमवार के दिन प्रात:काल उठकर नित्य-क्रम कर स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को स्वच्छ कर शुद्ध कर लें। Solah Somvar Vrat Puja की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। शिव भगवान की प्रतिमा के सामने आसन पर बैठ जायें।

सोलह सोमवार व्रत पूजा सकंल्प विधि || Solah Somvar Vrat Puja Sankalp Vidhi

किसी भी पूजा या व्रत को आरम्भ करने के लिये सर्व प्रथम संकल्प करना चाहिये। Solah Somvar Vrat Puja के पहले दिन संकल्प किया जाता है। उसके बाद आप नियमित Solah Somvar Vrat Puja और व्रत करें। सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के लेकर निम्न मंत्र के साथ संकल्प करें :‌

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्री मद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम्‌ उत्तमे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम्‌ अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं अमुक कार्यसिद्धियार्थ सोलह सोमवार व्रत प्रारम्भ करिष्ये।

संकल्प का उदाहरण – जैसे 14/5/2018 को सोलह सोमवार को भगवान श्री शिव जी का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं…………..विक्रम संवत् 2075 को, ज्येष्ठ मास के चतुर्दशी तिथि को सोमवार के दिन, अमुक नक्षत्र में, भारत देश के अमुक राज्य के अमुक शहर में, इस मनोकामना से ……………..श्री भगवान शिव जी का पूजन कर रही / रहा हूं।

सभी वस्तुएँ श्री शिव भगवान के पास छोड़ दें। अब दोनों हाथ जोड़कर शिव भगवान का ध्यान करें।

आवाहन

अब हाथ में अक्षत तथा फूल लेकर दोनों हाथ जोड़ लें और भगवान श्री शिव जी का आवाहन करें ।

ऊँ शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।

उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥

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हाथ में लिये हुए फूल और अक्षत शिव भगवान को समर्पित करें।

सबसे पहले Solah Somvar Vrat Puja करते समय भगवान श्री शिव जी पर जल समर्पित करें।

जल के बाद सफेद वस्त्र समर्पित करें।

सफेद चंदन से भगवान श्री शिव जी को तिलक लगायें एवं तिलक पर अक्षत लगायें।

सफेद पुष्प, धतुरा, बेल-पत्र, भांग एवं पुष्पमाला अर्पित करें।

अष्टगंध, धूपबत्ती जलाकर दीपक जलाये ।

भगवान को भोग के रूप में ऋतु फल या बेल और नैवेद्य अर्पित करें।

इसके बाद Solah Somvar Vrat Puja की कथा को पढ़े अथवा सुने । ध्यान रखें कम-से-कम एक व्यक्ति इस कथा को अवश्य सुने । कथा सुनने वाला भी शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल के पास बैठे। तत्पश्चात भगवान श्री शिव जी की आरती करें । उपस्थित जनों को आरती दें और स्वयं भी आरती लें। सोलह सोमवार के दिन भक्तिपूर्वक व्रत करें। आधा सेर गेहूं का आटा को घी में भून कर गुड़ मिला कर अंगा बना लें । इसे तीन भाग में बाँट लें। अब दीप, नैवेद्य, पूंगीफ़ल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, जनेउ का जोड़ा, चंदन, अक्षत, पुष्प, आदि से प्रदोष काल में भगवान शिव का पूजन करें। एक अंगा भगवान शिव को अर्पण करें। दो अंगाओं को प्रसाद स्वरूप बांटें, और स्वयं भी ग्रहण करें। सत्रहवें सोमवार के दिन पाव भर गेहूं के आटे की बाटी बनाकर, घी और गुड़ बनाकर चूरमा बनायें. भोग लगाकर उपस्थित लोगों में प्रसाद बांटें ।

सोलह सोमवार व्रत उद्यापन विधि || Solah Somvar Vrat Udyapan Vidhi

Solah Somvar Vrat Puja का उद्यापन 16 सोमवार व्रत के बाद 17 वें सोमवार के दिन करना चाहिए । सोलह सोमवार व्रत का उद्यापन किसी कुशल पंडित या आचार्य से करवाना चाहिए ! सोलह सोमवार व्रत का उद्यापन पूजा भी उसी समय करना चाहिए जिस समय आप प्रत्येक सोमवार को पूजा करते हैं । सोलह सोमवार व्रत का उद्यापन में सवा किलो आटे का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। प्रसाद को तीन भाग में विभक्त कर देना चाहिए तथा उपर्युक्त बताये के अनुसार तीसरा भाग स्वयं खाना चाहिए।

सोलह सोमवार व्रत का उद्यापन में दशमांश जप का हवन करके सफेद वस्तुओं जैसे चावल, श्वेत वस्त्र, दूध-दही,बर्फी चांदी तथा फलों का दान करना चाहिए । इस दिन विवाहित दंपतियों को भी जिमाया जाता है। दंपतियों का चंद्रदर्शन और विधिवत पूजन किया जाता है। लोगों को उपहार स्वरूप कुछ सामग्री भी उद्यापन के दौरान दान में दी जाती है। इस प्रकार से देवों के देव शिवजी का व्रत पूर्ण होता है और भक्त जन को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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