महाविद्या त्रिपुर भैरवी साधना विधि | Mahavidya Tripura Bhairavi Sadhana Vidhi | Tripura Bhairavi Sadhana Puja Vidhi | Tripura Bhairavi Sadhana Mantra | Tripura Bhairavi Sadhana Puja Mantra | Tripura Bhairavi Sadhana Siddhi Mantra | Tripura Bhairavi Sadhana Kaise Kare | त्रिपुर भैरवी साधना विधि || Tripura Bhairavi Sadhana Vidhi || Tripura Bhairavi Devi Sadhana Vidhi : आज हम आपको Maa Tripura Bhairavi Sadhana विधि के बारे में बताने जा रहे हैं ! यह तो आप सब जानते है की दस महाविद्याओं में छठी स्थान पर त्रिपुर भैरवी साधना मानी जाती हैं ! इस साधना को करने से के बाद साधक के जीवन में बहुत ही समस्याओं का स्वयं ही निवारण हो जाता हैं !
Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे माँ त्रिपुर भैरवी साधना विधि || Maa Tripura Bhairavi Sadhana Vidhi को जानकर आप भी महाविद्या त्रिपुर भैरवी साधना पूरी कर सकते हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Maa Tripura Bhairavi Sadhana Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
माँ त्रिपुर भैरवी साधना विधि || Maa Tripura Bhairavi Sadhana Vidhi
माँ त्रिपुर भैरवी साधना कब करें || Maa Tripura Bhairavi Sadhana Kab Kare
महाविद्या Maa Tripura Bhairavi Sadhana दस महाविद्याओं में छठी महाविद्या है ! महाविद्या Maa Tripura Bhairavi Sadhana आप नवरात्रि या शुक्ल पक्ष के बुधवार या शुक्रवार के दिन से शुरू कर सकते हैं ! Maa Tripura Bhairavi Sadhana करने का समय रात्रि नौ बजे के बाद कर सकते हैं !
माँ त्रिपुर भैरवी साधना पूजा विधि || Maa Tripura Bhairavi Sadhana Puja Vidhi
महाविद्या Maa Tripura Bhairavi Sadhana वाले साधक को स्नान करके शुद्ध लाल वस्त्र धारण करके अपने घर में किसी एकान्त स्थान या पूजा कक्ष में पूर्व दिशा की तरफ़ मुख करके लाल ऊनी आसन पर बैठ जाए ! उसके बाद अपने सामने चौकी रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान शिव और अपने गुरु की फोटो स्थापित करें ! फिर प्लेट रखकर रोली से त्रिकोण बनाये उस त्रिकोण में पर के ऊपर सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त “कमला यंत्र” को स्थापित करें ! उसके बाद यन्त्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर यंत्र का पूजन करें और मन्त्र विधान अनुसार संकल्प आदि कर सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग पढ़े :
ॐ अस्य श्री त्रिपुर भैरवी मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषि: पंक्तिश्छ्न्द: त्रिपुर भैरवी देवता वाग्भवो बीजं शक्ति बीजं शक्ति: कामराज कीलकं श्रीत्रिपुरभैरवी प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ।
ऋष्यादि न्यास : बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपने भिन्न भिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है ! मंत्र :
दक्षिणामूर्तये ऋषये नम: शिरसि ( सर को स्पर्श करें )
पंक्तिच्छ्न्दे नम: मुखे ( मुख को स्पर्श करें )
श्रीत्रिपुरभैरवीदेवतायै नम: ह्रदये ( ह्रदय को स्पर्श करें )
वाग्भवबीजाय नम: गुहे ( गुप्तांग को स्पर्श करें )
शक्तिबीजशक्तये नम: पादयो: ( दोनों पैरों को स्पर्श करें )
कामराजकीलकाय नम: नाभौ ( नाभि को स्पर्श करें )
विनियोगाय नम: सर्वांगे ( पूरे शरीर को स्पर्श करें )
कर न्यास : अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने हाथ की विभिन्न उंगलियों को स्पर्श करें, ऐसा करने से उंगलियों में चेतना प्राप्त होती है ।
हस्त्रां अंगुष्ठाभ्यां नम: ।
ह्स्त्रीं तर्जनीभ्यां नम: ।
ह्स्त्रूं मध्यमाभ्यां नम: ।
हस्त्रैं अनामिकाभ्यां नम: ।
ह्स्त्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नम: ।
हस्त्र: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: ।
ह्र्दयादि न्यास : पुन: बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है ! मंत्र :
हस्त्रां ह्रदयाय नम: ।
हस्त्रां शिरसे स्वाहा ।
ह्स्त्रूं शिखायै वषट् ।
हस्त्रां कवचाय हुम् ।
ह्स्त्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
हस्त्र: अस्त्राय फट् ।
त्रिपुर भैरवी ध्यान : इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती त्रिपुर भैरवी का ध्यान करके पूजन करें। धुप, दीप, चावल, पुष्प से तदनन्तर त्रिपुर भैरवी महाविद्या मन्त्र का जाप करें।
इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती त्रिपुर भैरवी का ध्यान करके, त्रिपुर भैरवी माँ का पूजन करे धुप, दीप, चावल, पुष्प से तदनन्तर त्रिपुर भैरवी महाविद्या मन्त्र का जाप करें !
उधदभानुसहस्त्रकान्तिमरूणक्षौमां शिरोमालिकां,
रक्तालिप्रपयोधरां जपवटी विद्यामभीतिं परम् ।
हस्ताब्जैर्दधतीं भिनेत्रविलसद्वक्त्रारविन्दश्रियं,
देवी बद्धहिमांशुरत्नस्त्रकुटां वन्दे समन्दस्मिताम् ।।
ऊपर दिया गया पूजन सम्पन्न करके सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “मूंगा’ माला” की माला से नीचे दिए गये मंत्र की 23 माला 11 दिनों या 63 माला 21 दिन तक जप करें ! और मंत्र उच्चारण करने के बाद त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ करें !
माँ त्रिपुर भैरवी साधना सिद्धि मन्त्र || Maa Tripura Bhairavi Sadhana Siddhi Mantra
॥ ह सें ह स क रीं ह सें ॥
या
॥ ॐ हसरीं त्रिपुर भैरव्यै नम: ॥
मंत्र उच्चारण करने के त्रिपुर भैरवी कवच पढ़ें. दी गई यह महाविद्या Maa Tripura Bhairavi Sadhana ग्यारह दिनों की या 21 दिनों की साधना है ! Maa Tripura Bhairavi Sadhana करते समय साधक पूर्ण आस्था के साथ नियमों का पालन जरुर करें ! और नित्य जाप करने से पहले ऊपर दी गई संक्षिप्त पूजन विधि जरुर करें ! साधक Maa Tripura Bhairavi Sadhana करने की जानकारी गुप्त रखें ! साधना पूरी होने के बाद मन्त्रों का जाप करने के बाद दिए गये मन्त्र जिसका आपने जाप किया हैं उस मन्त्र का दशांश ( 10% भाग ) हवन अवश्य करें ! हवन में कमल गट्टे, कलम पुष्प, शुद्ध घी व् हवन सामग्री को मिलाकर आहुति दें ! हवन के बाद त्रिपुर भैरवी यंत्र को अपने घर के मंदिर या तिजोरी में लाल वस्त्र से बांधकर एक साल के लिए रख दें और बाकि बची हुई पूजा सामग्री को नदी या किसी पीपल के नीचे विसर्जन कर आयें ! ऐसा करने से साधक की साधना पूर्ण हो जाती हैं ! और साधक के ऊपर माँ त्रिपुर भैरवी देवी की कृपा सदैव बनी रही हैं ! Maa Tripura Bhairavi Sadhana करने से साधक के जीवन में धन, धान्य और यश प्रदान करती है ! और साधक के जीवन की दरिद्रता समाप्त हो जाती है!
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