Shri Krishna Janmashtami 2022 Date श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2022 कब है 18 अगस्त या 19 अगस्त : इस वर्ष श्री कृष्ण जी का 5249वां जन्मोत्सव बनाया जायेगा | परन्तु इस वर्ष जन्माष्टमी व उपाकर्म को लेकर संशय की स्थिति बन गयी है, क्योंकि कुछ पंचांगों में 18 अगस्त को बताया गया है, कुछ पंचांगों में 19 अगस्त को तथा कुछ पंचांगों में 18 एवं 19 दोनों दिन बताया गया है। इसलिए आपकी इस समस्या को दूर करने के लिए निष्कर्ष के साथ हम आपको krishna janmashtami 2022 date or time के बारे में बताने जा रहे हैं | यहाँ हम आपके मन के कुछ प्रशन के उत्तर देने की कोशिश भी करेंगे | Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे Shri Krishna Janmashtami 2022 Date || श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2022 कब है 18 अगस्त या 19 अगस्त को पढ़कर आप भी कृष्णा जन्माष्टमी को शुभ दिन और शुभ समय पर मना सकते हैं || जय श्री सीताराम || जय श्री हनुमान || जय श्री दुर्गा माँ || जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Shri Krishna Janmashtami 2022 Date By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.
श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2022 कब है ? || Shri Krishna Janmashtami 2022 Date :
इस साल 2022 में श्री कृष्णा जन्माष्टमी का त्यौहार 19 अगस्त, वार शुकवार को मनाया जायेगा |
श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2022 तिथि || Shri Krishna Janmashtami 2022 Date Tithi :
18 अगस्त 2022 : रात 09:20 मिनट से,
19 अगस्त 2022 : रात 10:59 मिनट तक,
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श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त || Shri Krishna Janmashtami 2022 Muhurat Time :
श्री कृष्णा जन्माष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त : रात्रि 12:03 से रात्रि 12:47 तक | ( 20 अगस्त )
Shri Krishna Janmashtami 2022 Date in Hindu Calendar :
अगस्त 19, 2022, वार शुकवार
कृष्णा जन्माष्टमी चौघडिया मुहूर्त || Krishna Janmashtami Choghadiya Muhurat
सुबह 05:52 से सुबह 10:46 बजे तक,
दोपहर 12:25 से दोपहर 02:03 बजे तक,
संघ्या 05:19 से संघ्या 06:57 बजे तक |
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श्री कृष्णा जन्माष्टमी पारण समय || Krishna Janmashtami Parana Time
पारण समय : सुबह 05:53 से सूर्योदय तक ( अगस्त 20, 2022 को )
कृष्णा जन्माष्टमी 19 अगस्त में क्यों बनाये || Krishna Janmashtami 19 August Me Kyu Banaye ?
पद्म पुराण मैं कहा गया है कि सप्तमी विधा अष्टमी ग्राह्य नहीं है। धर्मसिंधु पुरुषार्थ चिंतामणि इत्यादि धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है की 2 दिन निशीथ में अष्टमी प्राप्त हो तो पहले को छोड़कर दूसरे में में व्रत करना चाहिए।
द्वयदिने यदि मध्यरात्रौ अष्टमी यदि स्यात् तदा परा ग्राह्य। धर्मसिंधु 131 पृ।
कुछ पंचांगकार अपना मत दे रहे हैं कि 18 अगस्त 2022 को कृष्ण जन्माष्टमी है उनको एक बार पद्म पुराण पढ़ लेना चाहिए ब्रह्म खण्ड अध्याय १३ में क्या लिखा है:
श्रुत्वा_पापानि नश्यन्ति कुर्यात्किं वा भविष्यति ।
य इदं कुरुते मत्यों या च नारी हरेर्व्रतम् ॥
ऐश्वर्यमतुलं प्राप्य जन्मन्यत्र यथेरितम्।
पूर्वविद्धा न कर्त्तव्या तृतीया पष्ठिरेव च ॥
अष्टम्येकादशीभूता धर्मकामार्थवाञ्छुभिः ।
वर्जयित्वा प्रयत्नेन सप्तमीसंयुताष्टमीम् ॥
विना ऋक्षेऽपि कर्तव्या नवमी संयुताष्टमी ।
उदये चाष्टमी किञ्चित्सकला नवमी यदि ॥
मुहूर्तरोहिणीयुक्ता सम्पूर्णा चाष्टमी भवेत्।
अष्टमी बुधवारेण रोहिणी सहिता यदि ।।
सोमेनैव भवेद्राजन्कि कृतैर्वतकोटिभिः ।
नवम्यामुदयात्किञ्चित्सोमे सापि बुधेऽपि च ।।
अपि वर्षशतेनापि लभ्यते वा न लभ्यते ।
विना ऋक्षं न कर्त्तव्या नवमीसंयुताष्टमी।।
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श्रीहरि के इस व्रत को जो पुरुष अथवा जो नारी करती है वह इस जन्म में अभीप्सित अतुलनीय ऐश्वर्य प्राप्त करता है। तृतीया, षष्ठी, अष्टमी तथा एकादशी का पूर्व विद्ध व्रत, धर्म, अर्थ और काम चाहने वाले को नहीं करना चाहिए। सप्तमी से युक्त अष्टमी व्रत का प्रयत्न पूर्वक त्याग करना चाहिए ।
नवमी से युक्त अष्टमी यदि बिना रोहिणी नक्षत्र के भी हो तो उसका व्रत करना चाहिए यदि उदयकाल थोड़ी सी अष्टमी हो और पूरे दिन में नवमी हो । और उस दिन यदि मुहूर्त भर भी रोहिणी हो तो उस दिन सम्पूर्ण दिन अष्टमी होती । यदि अष्टमी बुधवार और रोहिणी से युक्त हो अथवा सोमवार से युक्त हो तो हे राजन कहा गया है कि —
कार्या विद्धापि सप्तम्यां रोहिणी संयुताष्टमी ।
कला काष्ठा मुहूर्तेऽपि यदा कृष्णाष्टमी तिथिः ॥
नवम्यां सैव वा ग्राह्या सप्तमीसंयुता न हि ।
किंपुनर्बुधवारेण सोमेनापि विशेषतः ॥
किं पुनर्नवमीयुक्ता कुलकोट्यास्तु मुक्तिदा ।
पलवेधेन राजेन्द्र सप्तम्या अष्टमीं त्यजेत् ॥
सुराया बिन्दुना स्पृष्टं गङ्गाम्भः कलशं यथा ॥
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उसका फल करोड़ों व्रतों के फल से भी अधिक होता है। नवमी तिथि को अष्टमी थोड़ी सी हो और उसका सोमवार और बुधवार भी संयोग हो तो ऐसी अष्टमी का सैकड़ों वर्ष में भी मिलना मुश्किल होता है।
बिना रोहिणी नक्षत्र के नवमी से युक्त अष्टमी व्रत नहीं करना चाहिए । यदि रोहिणी से युक्त अष्टमी सप्तमी विद्धा हो तो भी उसका व्रत करना चाहिए। कला, काष्ठा या मूहुर्त भर भी यदि श्रीकृष्णाष्टमी तिथि नवमी तिथि में हो तो उसका व्रत करना चाहिए, सप्तमी से युक्त अष्टमी को नहीं करना चाहिए ।
यदि वह सोमवार अथवा बुधवार से युक्त हो तो फिर उसके बारे में क्या कहना है। ऐसा होकर भी अष्टमी का यदि नवमी से संयोग हो तो वह करोड़ों वंश का उद्धार करने वाली होती है। हे राजेन्द्र! यदि अष्टमी का सप्तमी से पल भर का भी वेध हो तो उस अष्टमी को नहीं करना चाहिए । एक बूंद भी मदिरा से जिसका सम्बन्ध हो गया हो इस तरह के गङ्गाजल के समान वह अष्टमी अपवित्र होती है।
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