Raksha Bandhan 2022 Date रक्षाबंधन 2022 कब है 11 अगस्त या 12 अगस्त : इस वर्ष रक्षा बंधन व उपाकर्म को लेकर संशय की स्थिति बन गयी है, क्योंकि कुछ पंचांगों में 11 अगस्त को बताया गया है, कुछ पंचांगों में 12 अगस्त को तथा कुछ पंचांगों में 11 एवं 12 दोनों दिन बताया गया है। इसलिए आपकी इस समस्या को दूर करने के लिए निष्कर्ष के साथ हम आपको raksha bandhan 2022 date or time के बारे में बताने जा रहे हैं | यहाँ हम आपके मन के कुछ प्रशन के उत्तर देने की कोशिश भी करेंगे | Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे Raksha Bandhan 2022 Date || रक्षाबंधन 2022 कब है 11 अगस्त या 12 अगस्त को पढ़कर आप भी रक्षाबंधन को शुभ दिन और शुभ समय पर राखी बांध सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Raksha Bandhan 2022 Date By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.
रक्षाबंधन 2022 कब है ? || Raksha Bandhan 2022 Date :
इस साल 2022 में रक्षाबंधन का त्यौहार 11 अगस्त, वार गुरुवार को मनाया जायेगा |
रक्षाबंधन 2022 तिथि || Raksha Bandhan 2022 Date Tithi :
11 अगस्त 2022 : सुबह 10:38 मिनट से,
12 अगस्त 2022 : सुबह 07:05 मिनट से,
रक्षाबंधन 2022 शुभ मुहूर्त || Raksha Bandhan 2022 Muhurat Time :
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त : रात्रि 08:52 से रात्रि 09:49 तक |
Raksha Bandhan 2022 Date in Hindu Calendar :
11 अगस्त, 2022
|| Raksha Bandhan 2022 Date || रक्षाबंधन 2022 कब है 11 अगस्त या 12 अगस्त ||
यद्यपि बहुत से पंचांगों में 12 अगस्त को रक्षाबंधन बताया गया है ही, 12 को रक्षाबंधन मनाने में सुविधा भी है, क्योंकि सुबह ही सब कुछ सम्पन्न हो जायेगा। जो लोग अपने-अपने क्षेत्र की कन्याओं से रक्षा बंधन कराते हुए प्रदर्शन करते हैं उन्हें भी 12 अगस्त को ही सुविधा होगी, 11 अगस्त को भद्रा के बाद रात में सम्भव नहीं है। हमारे सरकारी कार्यालयों में भी प्रायः रक्षा बंधन की छुट्टी 12 अगस्त को ही है, अतः अधिकतम लोग 12 अगस्त को मनाना चाहेंगे या मनायेंगे भी। पर आप जान लें कि किसी भी धार्मिक कार्य, पर्व या व्रत आदि का निर्णय न तो किसी की सुविधा के अनुसार होता है और न तो सरकारी छुट्टियों के अनुसार होता है। न तो शास्त्रविरुद्ध कल्पित तर्कों या युक्तियों से निर्णय होता है और न संख्या बल को देखकर निर्णय होता। बल्कि शास्त्रों के अनुसार ही निर्णय होता है। हमें श्रीमद्भगवद्गीता का वचन अवश्य याद रखना चाहिए |
“•••तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि।। •••”
कि क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसके लिए शास्त्र ही प्रमाण हैं, शास्त्र विधान को जानकर तदनुसार ही कार्य करना चाहिए, शास्त्र विधि का त्याग कर मनमाने ढंग से किया गया कर्म न तो सुख या सिद्धि का हेतु होता है और न परलोक सिद्धि या मुक्ति के ही हेतु होता है।
निर्णय सिन्धुकार के अनुसार :
“इदं भद्रायां न कार्यम्।
भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा।
श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्राम॔ दहति फाल्गुनी।। इति संग्रहोक्तेः।”
अर्थात् : भद्रा में रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। यहाँ श्रावणीपद से रक्षाबंधन और फाल्गुनी पद से होलिकादाह अभिप्रेत है तथा इस श्लोक का अर्थ है कि भद्रा में रक्षाबंधन और होलिका दाह नहीं करना चाहिए, भद्रा में रक्षाबंधन करने पर राजा या जिसका रक्षाबंधन किया जाता है उसकी हानि होती है तथा होलिकादाह करने पर ग्राम दाह होता है। इस श्लोक का तात्पर्य भद्रा में रक्षाबंधन के निषेध में है।
यदि पूर्णिमा में पूरे दिन भद्रा हो तो क्या करना चाहिए ? इस प्रश्न के उत्तर में लिखा है –
“तत्सत्त्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते।”
अर्थात् : यदि दिन में भद्रा हो तो भद्रा के बाद रात में भी रक्षाबंधन करें।
ध्यान दें- यहाँ रात में रक्षाबंधन की बात केवल निर्णयसिन्धुकार ही नहीं कर रहे हैं अपितु धर्मसिन्धुकार, पारस्करगृह्य सूत्र के भाष्यकार गदाधर आदि अनेक आचार्यों ने भी बताया है। आचार्यों ने भद्रा के बाद रात में रक्षाबंधन को प्रशस्त बताते हुए यहाँ तक कहा है कि
“दिनार्द्धात् परतश्चेत् स्यात् श्रावणी कालयोगतः।
रात्रौ भद्रावसाने तु रक्षाबन्धः प्रशस्यते।।”
अब प्रश्न यह है कि यदि रात में भद्रा समाप्त हो रही हो और अगले दिन प्रातः पूर्णिमा मिल रही हो तो अगले दिन सूर्योदय के बाद प्रतिपदा (एकम) शुरु होने से पहले सुबह-सुबह पूर्णिमा में रक्षाबंधन कर लेने में क्या हानि है ?
11 अगस्त को रात में भद्रा समाप्त हो रही है और 12 अगस्त को सुबह पूर्णिमा है ही, अतः 12 अगस्त को सुबह रक्षाबंधन क्यों न कर लिया जाय ?
इस प्रश्न के उत्तर में निर्णयसिन्धुकार लिखते हैं –
” इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम्।
नन्दाया दर्शने रक्षा बलिदानं दशासु च।
भद्रायां गोकुले क्रीडा देशनाशाय जायते।।
अर्थात् प्रतिपदा (एकम) तिथि से युक्त पूर्णिमा में रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए, करने से देश/स्थान की क्षति होती है।
ध्यान रहे कि यह निषेध तीन मुहूर्त (6 घटी अर्थात् 2 घंटे 24मिनट) या मतान्तर से छः मुहूर्त ( 12 घटी अर्थात् 4 घंटे 48 मिनट) से कम पूर्णिमा हो तब है। जैसा कि इस वर्ष 12 अगस्त को पूर्णिमा तीन मुहूर्त से कम है और प्रतिपद् से युक्त है अतः रक्षाबंधन के लिए पूर्णतः निषिद्ध है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए सूर्योदय प्रातः 05-30 बजे हो रहा है तो 05-30 में 3 मुहूर्त अर्थात् 6 घटी अर्थात् 2 घंटे 24 मिनट जोड़ने पर 07-54 आयेगा और 6 मुहूर्त अर्थात् 12 घटी अर्थात् 4 घंटे 48 मिनट जोड़ने पर 10:18 आयेगा, तदनुसार यदि 07-54 बजे तक पूर्णिमा होती तो रक्षाबंधन के लिए उपयुक्त व ग्राह्य होती तथा 10 -18 बजे तक होती तो वाजसनेयी शाखा वाले हमलोगों के लिए उपाकर्म हेतु ग्राह्य होती हैं।
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