Pitru Stotra: पितृ दोष निवारण के लिए पितृपक्ष में नित्य पढ़ें या सुने पितृ स्तोत्र पूरी जानकारी यहां पढ़ें और जानें।
जिस भी जातकों के जन्मकुंडली में पितृ दोष है तो आपको पितृ स्तोत्र का पाठ करना बहुत लाभकारी व हितकारी होगा पितृ स्तोत्र का पाठ हमें श्राद्ध पक्ष या फिर हम अपने पितरो की पुण्य तिथि पर ब्राह्मण को भोजन करवाते समय पितृ स्तोत्र का पाठ किया जाना चाहिये यही आप पितृ दोष के कारन परेशान चल रहे हो या आपको कार्य में रुकावट आ रही हो तो पितृ स्तोत्र का हर दिन पाठ मात्र करने से आप पितृ दोष में कमी ला सकते है इसका पाठ हर रोज कीजिये यदि आप हर दिन 11 बार पितृ स्तोत्र पाठ करते हो तो यह विशेष रूप से बहुत जल्द असर दिखाता हैं सीताराम हनुमान।
पितृ स्तोत्रम्
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
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