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निर्जला एकादशी पूजा विधि || Nirjala Ekadashi Puja Vidhi || Nirjala Gyaras Puja Vidhi

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निर्जला एकादशी पूजा विधि || Nirjala Ekadashi Puja Vidhi || Nirjala Gyaras Puja Vidhi

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है । प्रत्येक वर्ष में चौबीस एकादशियां होती हैं । ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस व्रत में भोजन करना और पानी पीना वर्जित है। इसीलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं । हम यंहा आपको Nirjala Ekadashi Puja Vidhi और इसके रखने का महत्व बताने जा रहे हैं। Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे निर्जला एकादशी पूजा विधि || Nirjala Ekadashi Puja Vidhi || Nirjala Gyaras Puja Vidhi को पढ़कर आप भी निर्जला एकादशी की पूजा विधि सही प्रकार से कर सकते हैं। जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Nirjala Ekadashi Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

निर्जला एकादशी पूजा विधि || Nirjala Ekadashi Puja Vidhi || Nirjala Gyaras Puja Vidhi

निर्जला एकादशी व्रत कब  हैं? 2023 || Nirjala Ekadashi Vrat Kab Hai? 2023

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) को मई महीने की 31 तारीख़, वार बुधवार के दिन बनाई जायेगीं।

निर्जला एकादशी पूजा विधि || Nirjala Ekadashi Puja Vidhi || Nirjala Gyaras Puja Vidhi

निर्जला एकादशी के दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ़ कपड़े धारण करें उसके बाद सर्वप्रथम शेषशायी भगवान श्री विष्णु जी की पंचोपचार पूजा करें । निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़े या सुनें ! इसके बाद मन को शांत रखते हुए “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें ।

शाम को पुन: भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करें व रात में भजन कीर्तन करते हुए धरती पर विश्राम करें। निर्जला एकादशी से दूसरे दिन किसी योग्य ब्राह्मण को आमंत्रित कर उसे भोजन कराएं तथा जल से भरे कलश के ऊपर सफेद वस्त्र ढक कर और उस पर शर्करा (शक्कर) तथा दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें ।

इसके अलावा यथाशक्ति अन्न, वस्त्र, आसन, जूता, छतरी, पंखा तथा फल आदि का दान करना चाहिए । इसके बाद स्वयं भोजन करें । धर्म ग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करने वालों को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस Nirjala Ekadashi Puja करने से अन्य तेईस एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है :

एवं य: कुरुते पूर्णा द्वादशीं पापनासिनीम् ।

सर्वपापविनिर्मुक्त: पदं गच्छन्त्यनामयम् ॥

इस प्रकार जो इस पवित्र निर्जला एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है ।

निर्जला एकादशी व्रत को कैसे खोले || Nirjala Ekadashi Vrat Kaise Khole

अगर व्रत निर्जल ( पूर्ण उपवास बिना जल ग्रहण किये ) किया गया है तो व्रत को अगले दिन अन्न से तोड़ना आवश्यक नहीं है। निर्जला एकादशी व्रत को चरणामृत ( वैसा जल जिससे कृष्ण के चरणों को धोया गया हो), दूध या फल से वैष्णव पंचांग में दिए नियत समय पर तोड़ा जा सकता है।

यह समय आप किस स्थान पर हैं उसके अनुसार बदलता रहता है। अगर पूर्ण एकादशी के स्थान पर फल, सब्जियों और मेवों के प्रयोग से एकादशी की गयी हैं तो उसे तोड़ने के लिए अन्न ग्रहण करना अनिवार्य हैं।

निर्जला एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए || Nirjala Ekadashi Vrat Ke Din Kya Khana Chahiye

भगवान ने किसी भी जातक को पूर्ण एकादशी करने के लिए कभी बाध्य नहीं किया, उन्होंने सरल रूप से भोजन करके जप एवं भक्तिमयी सेवा पर पूरा ध्यान केन्द्रित करने को कहा । नीचे दी गई वस्तुओं का आप सेवन कर सकते हैं :

  • सभी फल (ताजा एवं सूखें);
  • सभी मेवें बादाम आदि और उनका तेल;
  • हर प्रकार की चीनी;
  • कुट्टू
  • आलू, साबूदाना, शकरकंद;
  • नारियल;
  • जैतून;
  • दूध;
  • ताज़ी अदरख;
  • काली मिर्च और
  • सेंधा नमक ।

निर्जला एकादशी के दिन क्या नही खाएं || Nirjala Ekadashi Vrat Ke Din Kya Nhi Khaye

यदि निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन ग़लती से भी एक अन्न का कण भी ग्रहण कर लेते हैं तो एकादशी व्रत विफल हो जाता है ! इसलिए नीचे दी गई खाद् प्रदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए !

  • निर्जला एकादशी के दिन सभी प्रकार के अनाज ( जैसे बाजरा, जौ, मैदा, चावल और उरद दाल, आटा ) और उनसे बनी कोई भी वस्तु का सेवन नही करना चाहिए ;
  • एकादशी के दिन मटर, छोला, दाल और सभी प्रकार की सेम, उनसे बनी अन्य वस्तुएं आदि का सेवन नही करना चाहिए ! जैसे: टोफू;
  • निर्जला एकादशी के दिन नमक, बेकिंग सोडा, बेकिंग पावडर, कस्टर्ड और अन्य कई मिठाईयों का प्रयोग और सेवन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उनमें कई बार चावल का आटा मिला होता है;

  • तिल ( सत-तिल एकादशी अपवाद है, उस दिन तिल को भगवान् को अर्पित भी किया जाता है और उसको ग्रहण भी किया जा सकता है ) और मसालें जैसे कि हींग, लौंग, मेथी, सरसों, इमली, सौंफ़ इलायची, और जायफल आदि का सेवन नही करना चाहिए ।

एकादशी व्रत धारण करना भगवान श्री कृष्ण जी भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तप है और यह आध्यात्मिक प्रगति को बढ़ाने के लिए किया जाता है । इसलिए बिलकुल निराहार व्रत करके कमजोर होकर अपनी कार्यों एवं भक्तिमयी सेवाओं में अक्षम हो जाने से बेहतर है थोड़ा उन चीजों को खाकर व्रत करना जो व्रत में खायी जा सकती हैं ।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व || Nirjala Ekadashi Vrat Ka Mahatva

  • Nirjala Ekadashi Puja करने से जातक को सभी 24 एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है ।
  • निर्जला एकादशी के व्रत करने से जातक को सभी तीर्थों और दानों का पुण्य मिलता हैं ! केवल निर्जला एकादशी के व्रत ( मात्र एक दिन बिना पानी के रहने से ) करने से जातक के सभी पापों का नाश होता हैं ।
  • Nirjala Ekadashi Puja करने से जातक को मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं ।
  • निर्जला एकादशी के व्रत करने से जातक को स्वर्ण दान का फल मिलता है ।
  • निर्जला एकादशी के व्रती जातक को चारों पुरुषार्थ यानी धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को प्राप्त करता है ।
  • निर्जला एकादशी व्रत भंग होने पर जातक को चांडाल दोष लगता है और वह मृत्यु के बाद नरक में जाता है । Nirjala Ekadashi करने वाला व्रती, व्रत रखने पर भी भोजन में अन्न खाए, तो उसे चांडाल दोष लगता है ।

निर्जला एकादशी व्रत के नियम || Nirjala Ekadashi Vrat Ke Niyam

निर्जला एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन के सूर्योदय तक होता हैं ! यदि इसी बीच में कोई अन्न ग्रहण कर लेता है तो निर्जला एकादशी व्रत टूट जाता है । वैदिक शिक्षाओं में सूर्योदय के पूर्व खाने की अनुशंषा नहीं की गयी हैं खासकर एकादशी के दिन तो बिलकुल नहीं । एकादशी व्रत का पालन उस दिन जागने के बाद से ही मानना चाहिये। अगर व्रत गलती से टूट जाए तो उसे बाकि के दिन अथवा अगले दिन तक पूरा करना चाहिये ।

पूर्ण उपवास अपनी इन्द्रियों को नियंत्रित करने की बहुत ही उचित क्रिया है, परन्तु निर्जला एकादशी व्रत धारण करने का मुख्य कारण कृष्ण का स्मरण/ध्यान करना है। उस दिन शरीर की जरूरतों को सरल कर दिया जाता है, और उस दिन कम सो कर भक्तिमयी सेवा, शास्त्र अध्ययन और जप आदि पर ध्यान केन्द्रित करने की अनुशंसा की गई हैं।

वे जन जो बहुत ही सख्ती से निर्जला एकादशी व्रत का पालन करते हैं उन्हें पिछली रात्रि के सूर्यास्त के बाद से कुछ भी नहीं खाना चाहिये ताकि वे आश्वस्त हो सके कि पेट में एकादशी के दिन कुछ भी बिना पचा हुआ भोजन शेष न बचा हो।

बहुत लोग वैसा कोई प्रसाद भी नहीं ग्रहण करते जिनमें अन्न डला हो। वैदिक शास्त्र शिक्षा देते हैं कि निर्जला एकादशी के दिन साक्षात् पाप (पाप पुरुष) अन्न में वास करता है, और इसलिए किसी भी तरह से उनका प्रयोंग नहीं किया जाना चाहिये ( चाहे कृष्ण को अर्पित ही क्यों न हो) ।

निर्जला एकादशी के दिन का अन्न के प्रसाद को अगले दिन तक संग्रह कर के रखना चाहिये या फिर उन लोगों में वितरित कर देना चाहिये जो इसका नियम सख्ती से नहीं मानते या फिर पशुओं को दे देना चाहिये।

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