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कौनसा रुद्राक्ष धारण करें || Konsa Rudraksha Dharan Kare || Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam

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कौनसा रुद्राक्ष धारण करें || Konsa Rudraksha Dharan Kare || Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam

यंहा हम आपको आपके व्यवसाय के क्षेत्र के अनुसार रुद्राक्ष पहने के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं ! सभी व्यवसाय के क्षेत्र अनुसार अलग अलग Rudraksha Dharan बताये गये हैं ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे कौनसा रुद्राक्ष धारण करें || Konsa Rudraksha Dharan Kare || Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam को पढ़कर आप भी अपने व्यवसाय के क्षेत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Konsa Rudraksha Dharan Kare By Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

रुद्राक्ष धारण करने की विधि || Rudraksha Dharan Karne Ki Vidhi

जपादि कार्यों में छोटे और धारण करने में बड़े रुद्राक्षों का ही उपयोग करें। तनाव से मुक्ति हेतु 100 दानों की, अच्छी सेहत एवं आरोग्य के लिए 140 दानों की, अर्थ प्राप्ति के लिए 62 दानों की तथा सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु 108 दानों की माला धारण करें। जप आदि कार्यों में 108 दानों की माला ही उपयोगी मानी गई है। अभीष्ट की प्राप्ति के लिए 50 दानों की माला धारण करें। द्गिाव पुराण के अनुसार 26 दानों की माला मस्तक पर, 50 दानों की माला हृदय पर, 16 दानों की माला भुजा पर तथा 12 दानों की माला मणिबंध पर धारण करनी चाहिए।

ग्रहणे विषुवे चैवमयने संक्रमेऽपि वा ।

दर्द्गोषु पूर्णमसे च पूर्णेषु दिवसेषु च ।

रुद्राक्षधारणात् सद्यः सर्वपापैर्विमुच्यते ॥

ग्रहण में, विषुव संक्रांति (मेषार्क तथा तुलार्क) के दिनों, कर्क और मकर संक्रांतियों के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा एवं पूर्णा तिथि को Rudraksha Dharan करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है ।

मद्यं मांस च लसुनं पलाण्डुं द्गिाग्रमेव च।

श्लेष्मातकं विड्वराहमभक्ष्यं वर्जयेन्नरः॥ (रुद्राक्षजाबाल-17)

Rudraksha Dharan करने वाले को यथासंभव मद्य, मांस, लहसुन, प्याज, सहजन, निसोडा और विड्वराह (ग्राम्यशूकर) का परित्याग करना चाहिए। सतोगुणी, रजोगुणी और तमोगुणी प्रकृति के मनुष्य वर्ण, भेदादि के अनुसार विभिन्न प्रकर के रुद्राक्ष धारण करें । जातक के विचार शुद्ध, तन-स्वच्छ, मानसिक शुद्ध रहना चाहिए ! जो भी जातक धार्मिक निष्ठां का पालन करते हैं उनके रुद्राक्ष अपना असर भी जल्दी दिखाने लगते हैं !

जिस रुद्राक्ष माला से जप करते हों, उसे धारण नहीं करें । इसी प्रकार जो माला धारण करें, उससे जप न करें । दूसरों के द्वारा उपयोग में लाए गए रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला को प्रयोग में न लाएं ।

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रुद्राक्ष को शिवलिंग अथवा शिव-मूर्ति के चरणों से स्पर्श कराकर रुद्राक्ष धारण करें । रुद्राक्ष हमेशा नाभि के ऊपर शरीर के विभिन्न अंगों ( यथा कंठ, गले, मस्तक, बांह, भुजा ) में धारण करें, यदपि शास्त्रों में विशेष परिस्थिति में विद्गोष सिद्धि हेतु कमर में भी रुद्राक्ष धारण करने का विधान है । रुद्राक्ष अंगूठी में कदापि धारण नहीं करें, अन्यथा भोजन शोचनालय क्रिया में इसकी पवित्रता खंडित हो जाएगी ।

Rudraksha Dharan कर श्मशान या किसी अंत्येष्टि-कर्म में अथवा प्रसूति-गृह में न जाएं । स्त्रियां मासिक धर्म के समय Rudraksha Dharan न करें । रुद्राक्ष धारण कर रात्रि शयन न करें ।

रुद्राक्ष में अंतर्गर्भित विद्युत तरंगें होती हैं जो शरीर में विद्गोष सकारात्मक और प्राणवान ऊर्जा का संचार करने में सक्षम होती हैं । इसी कारण रुद्राक्ष को प्रकृति की दिव्य औषधि कहा गया है । अतः रुद्राक्ष का वांछित लाभ लेने हेतु समय-समय पर इसकी साफ-सफाई का विद्गोष खयाल रखें । शुष्क होने पर इसे तेल में कुछ समय तक डुबाकर रखें ।

रुद्राक्ष धारण किस दिन करना चाहिए || Rudraksha Dharan Kis Din Karna Chahiye

स्वर्ण या रजत धातु में Rudraksha Dharan करें । इन धातुओं के अभाव में इसे ऊनी या रेशमी धागे में भी धारण कर सकते हैं । अधिकतर रुद्राक्ष यदपि लाल धागे में धारण किए जाते हैं, किंतु एक मुखी रुद्राक्ष सफेद धागे, सात मुखी काले धागे और ग्यारह, बारह, तेरह मुखी तथा गौरी-शंकर रुद्राक्ष पीले धागे में भी धारण करने का विधान है ।

रुद्राक्ष धारण कैसे करें || Rudraksha Dharan Kaise Kare

Rudraksha Dharan करने के लिए शुभ मुहूर्त या दिन का चयन कर लेना चाहिए। इस हेतु सोमवार उत्तम है। Rudraksha Dharan के एक दिन पूर्व संबंधित रुद्राक्ष को किसी सुगंधित अथवा सरसों के तेल में डुबाकर रखें। Rudraksha Dharan करने के दिन उसे कुछ समय के लिए गाय के कच्चे दूध में रख कर पवित्र कर लें। फिर प्रातः काल स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर क्क नमः शिवाय मंत्र का मन ही मन जप करते हुए रुद्राक्ष को पूजास्थल पर सामने रखें । फिर उसे पंचामृत ( गाय का दूध, दही, घी, मधु एवं शक्कर ) अथवा पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, मूत्र एवं गोबर) से अभिषिक्त कर गंगाजल से पवित्र करके अष्टगंध एवं केसर मिश्रित चंदन का लेप लगाकर धूप, दीप और पुष्प अर्पित कर विभिन्न शिव मंत्रों का जप करते हुए उसका संस्कार करें।

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रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र || Rudraksha Dharan Karne Ka Mantra

तत्पश्चात संबद्ध रुद्राक्ष के शिव पुराण अथवा पद्म पुराण वर्णित या शास्त्रोक्त बीज मंत्र का 21, 11, 5 अथवा कम से कम 1 माला जप करें । फिर शिव पंचाक्षरी मंत्र “क्क नमः” शिवाय अथवा शिव गायत्री मंत्र “क्क तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्” का 1 माला जप करके Rudraksha Dharan करें । अंत में क्षमा प्रार्थना करें । Rudraksha Dharan के दिन उपवास करें अथवा सात्विक अल्पाहार लें ।

विशेष : उक्त क्रिया संभव नहीं हो, तो शुभ मुहूर्त या दिन में ( विशेषकर सोमवार को ) संबंधित रुद्राक्ष को कच्चे दूध, पंचगव्य, पंचामृत अथवा गंगाजल से पवित्र करके, अष्टगंध, केसर, चंदन, धूप, दीप, पुष्प आदि से उसकी पूजा कर शिव पंचाक्षरी अथवा शिव गायत्री मंत्र का जप करके पूर्ण श्रद्धा भाव से Rudraksha Dharan करें ।

रुद्राक्ष धारण करने का नियम || Rudraksha Dharan Karne Ka Niyam

  • रुद्राक्ष धारण सभी वर्ण के जातक धारण कर सकते हैं, परन्तु रुद्राक्ष मन्त्र से सिद्ध करने के बाद ही धारण करना चाहिए ।
  • Rudraksha Dharan करते समय “ॐ नम: शिवाय” मन्त्र का जप करना चाहिए और ललाट पर भस्म लगानी चाहिए ।
  • वैदिक कार्य जैसे की स्नान, दान, जप, होम, वैश्वदेव, देवताओं की पूजा, प्रायश्चित, श्राद्ध और दिक्षाकाल आदि बिना रुद्राक्ष धारण किये करना व्यर्थ माना जाता हैं !
  • रुद्राक्ष पवित्र होने के बाद ही धारण करना चाहिए ! रुद्राक्ष को भक्ति, विश्वास और आस्था के साथ Rudraksha Dharan करना चाहिए !
  • आप सोने तथा चांदी के तारों में पिरोकर रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं या आप लाल धागे में भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं !
  • पुरुष जातक यज्ञोपवीत, हाथ, कंठ अथवा पेट पर Rudraksha Dharan कर सकता है ।
  • जो जातक भगवान शिव जी के भक्त हैं उनको अपने हाथ में रुद्राक्ष का कड़ा धारण उत्तम माना जाता हैं । विषम संख्या से युक्त रुद्राक्ष धारण करना उत्तम माना गया है ।
  • सोने की अंगूठी में यदि रुद्राक्ष जड़वा कर दाहिने हाथ की किसी भी उंगली में धारण करें, तो उस जातक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है ।
  • जो मनुष्य सिर में Rudraksha Dharan करके स्नान करता है, उसे गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होता है ।
  • जो मनुष्य नित्य रुद्राक्ष धारण करता है, वह राजा के समान धनवान होता है ।
  • Rudraksha Dharan करने पर चालीस दिन के भीतर– भीतर कार्य सिद्धि होने लगती है, पर इसमें अटूट श्रद्धा, आस्था तथा विश्वास आवश्यक है ।
  • मृग चर्म के आसन पर बैठकर पूर्वमुखी होकर रुद्राक्ष धारण करके जो भी जातक किसी भी मन्त्र का जप किया जाए तो अभूतपूर्व सिद्धि प्राप्त होती है ।
  • रुद्राक्ष के नित्य दर्शन करने से पुण्य लाभ, स्पर्श से करोड़ गुना पुण्य तथा धारण करने से सौ कोटि गुना पुण्य प्राप्त होता है । इसके जप करने से करोड़ गुना फल मिलता है ।
  • भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तथा शिव साधना में सफलता प्राप्त करने के लिए रुद्राक्ष का दाना श्रेष्ठ माना गया है।
  • मृत्यु के समय जिसके गले में रुद्राक्ष होता है, वह निश्चय ही शिव लोक में गमन करता है ।

  • शिव पुराण के अनुसार सिर पर रुद्राक्ष धारण करने से एक करोड़ गुना फल, कान में दस करोड़ गुना फल, गले में सौ करोड़ गुना फल तथा मणिबन्ध में Rudraksha Dharan करने से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है ।
  • शास्त्रों के अनुसार जो भी जातक दोनों भुजाओं में सोलह, शिखा में एक, हाथ में बारह, कंठ में बत्तीस, मस्तक पर चालीस, कान में एक-एक, वक्षस्थल पर छ: इस प्रकार जो एक सौ आठ Rudraksha Dharan करता है वह साक्षात् रूद्र के समान पूजनीय हो जाता है ।
  • बेर के समान मध्यम, चने के समान आकार वाले रुद्राक्ष अधम तथा आंवले के समान आकार वाले रुद्राक्ष श्रेष्ठ माने गए हैं ।
  • चार प्रकार के रुद्राक्ष होते हैं अत: ब्राह्मण को श्वेत वर्ण के रुद्राक्ष, क्षत्रिय को लाल, वैश्य को पीले तथा शूद्रों को काले वर्ण के Rudraksha Dharan करने चाहिए ।
  • जो रुद्राक्ष दृढ़ चिकना और मोटा होता है, वह श्रेष्ठ रुद्राक्ष माना जाता है, इसके विपरीत जो कीड़ों से खाये हुए, बिना कांटों के, छिद्र करते समय फटे हुए तथा कृत्रिम रुद्राक्ष नुक़सान देने वाले माने गए हैं ।
  • जिस प्रकार कसौटी पर घिसने से सोने की रेखा पड़ जाती है, उसी प्रकार जिस रुद्राक्ष से कसौटी पर रेखा पड़ जाए, वह श्रेष्ठ रुद्राक्ष माना जाता है ।

व्यवसाय के अनुसार कौन सा रुद्राक्ष धारण करें || Vyavsay Ke Anusar Konsa Rudraksha Dharan Kare

  • राजनेताओं को पूर्ण सफलता के लिए तेरह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े जातकों को एक व तेरह मुखी रुद्राक्ष दोनों ओर चांदी के मोती डलवाकर धारण करना चाहिए ।
  • वकील का कार्य करने वाले जातक को चार व तेरह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • बैंक मैनेजर वाले जातकों को ग्यारह व तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनें ।
  • सीए आठ व बारह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।

  • पुलिस अधिकारी नौ व तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनें ।
  • डॉक्टर, वैद्य नौ व ग्यारह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • सर्जन दस, बारह व चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
  • चिकित्सा जगत के लोग 3 व चार मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • मैकेनिकल इंजीनियर दस व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।

  • सिविल इंजीनियर आठ व चौदह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सात व ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
  • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर चौदह व गौरी शंकर Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर नौ व बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
  • पायलट, वायुसेना अधिकारी दस व ग्यारह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।

  • अध्यापक छह व चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
  • ठेकेदार ग्यारह, तेरह व चौदह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • प्रॉपर्टी डीलर एक, दस व चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
  • दुकानदार दस, तेरह व चौदह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • उद्योगपति बारह व चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
  • होटल मालिक कार्य करने वाले जातक एक, तेरह व चौदह मुखी Rudraksha Dharan करना चाहिए ।
  • विद्यार्थियों व बच्चों की शिक्षा प्राप्ति के लिए “गणेश रुद्राक्ष” धारण करना चाहिए ।

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