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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि || Kartik Purnima Puja Vidhi
हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता हैं। इसके अतिरिक्त कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा और देव दीपावली आदि के नाम से भी जाना जाता हैं। हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक मास का बहुत ज्यादा महत्व हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का दिन बहुत ही शुभ और विशेष माना जाता हैं। इस दिन तीर्थ स्थानों पर जाकर स्नान-दान, दीपदान, हवन-पूजन और आरती करने से महान पुण्य प्राप्त होता हैं। Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि || Kartik Purnima Puja Vidhi के बारे में पढ़कर आप भी कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि पूर्वक कर सकोगें !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि || Kartik Purnima Puja Vidhi
कार्तिक पूर्णिमा कब हैं ? 2022 || Kartik Purnima 2022 Date
इस वर्ष 2022 में कार्तिक पूर्णिमा का व्रत एवं पूजा 08 नवम्बर, वार मंगलवार के दिन किया जायेगा।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व (महात्म्य) || Kartik Purnima Ka Mahatva
कार्तिक पूर्णिमा पूजा करने से साधक के घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती हैं। साथ ही उसे धन- ऐश्वर्य के साथ समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती हैं। Kartik Purnima Puja व कथा करके से जातक के समस्त मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। साथ ही जातक सांसारिक संसार के समस्त सुखों को भोग कर मृत्यु के उपरांत स्वर्ग लोक को प्राप्त होता हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दिए गये दान का पुण्य अन्य दिनों की तुलना में कई गुणा अधिक होता हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन संध्या के समय दीपावली की भांति घी का दीपक जलाने से देवकृपा की प्राप्त होती हैं।
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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि || Kartik Purnima Puja Vidhi
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन जातक को सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करें यदि यह संभव नही हो तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर नीचे बताये गये मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान करें।
कार्तिक पूर्णिमा पूजा मंत्र || Kartik Purnima Puja Mantra
मंत्र : गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरुम्॥
- स्नान करने के बाद साफ़ कपड़े धारण करके सर्वप्रथम भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- उसके बाद फिर अपने पास वाले शिव मंदिर में जाए और “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए कच्चे दूध और गंगाजल मिश्रित जल से शिवलिंग का अभिषेक करें । साथ ही सारे शिव परिवार की पूजा करें।
- धूपबत्ती और शुद्ध घी का दीपक जलाकर आरती करें।
- और फिर तुलसी को जल चढ़ाये ।
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- अपने घर पर आकर श्री सत्यनारायण जी की फोटो या प्रतिमा स्थापित करके पंचामृत से अभिषेक करें।
- उन्हें चंदन और कुमकुम का तिलक करके अखंडित अक्षत लगाकर फल-फूल अर्पित करें।
- उसके बाद श्री सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करके आरती करें। और उन्हें भोग लगायें। Kartik Purnima Puja समापन करें।
- फिर ब्राह्मण को भोजन करायें और दिन में एक बार स्वयं भोजन करें।
विशेष : कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय छ: कृतिकाओं का पूजन किया जाता हैं। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। जिन छ: कृतिकाओं की पूजा की जाती है उनका नाम है – शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा।
कार्तिक पूर्णिमा पर दान || Kartik Purnima Par Daan
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क्षीरसागर दान : कार्तिक पूर्णिमा के वाले दिन एक विशेष रूप से दान किया जाता है जिसे क्षीरसागर दान कहा जाता हैं। इसमें चौबीस अंगुल का बर्तन लेकर उसमें दूध भर कर एक सोने या चाँदी की बनी मछली ड़ालकर उसे किसी योग्य ब्राह्मण या आचार्य को दिया जाता हैं। हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार इस क्षीरसागर दान का महत्व अनगिनत बताया हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गर्म वस्त्र, मिठाई, अनाज और भोजन आदि का दान करना चाहियें।
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