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काल भैरव अष्टमी पूजा विधि || Kaal Bhairav Ashtami Puja Vidhi
हर माह की कृष्ण पक्ष की सभी अष्टमी तिथि को काल भैरव को समर्पित कर कालाष्टमी कहा जाता है ! सब महीने की कालाष्टमी से ज्यादा महत्व कार्तिक माह की कालाष्टमी को दिया जाता है ! यह कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी पर्व मनाया जाता है ! जिसे काल भैरव अष्टमी या भैरव जयन्ती के रूप में बनाया जाता हैं ! भैरव के नाम जप मात्र से मनुष्य को कई रोगों से मुक्ति मिलती है । वे संतान को लंबी उम्र प्रदान करते है । यंहा हम आपको काल भैरव की पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं ! जिन्हें आप पढ़कर आप भी काल भैरव की पूजा सही तरह से कर सकोगें ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे काल काल भैरव अष्टमी पूजा विधि || Kaal Bhairav Ashtami Puja Vidhi विधि पूर्वक कर सकोगें !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Kaal Bhairav Ashtami Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
काल भैरव अष्टमी का महत्व || Kaal Bhairav Ashtami Ka Mahatva
कालाष्टमी कालभैरव जयंती का बहुत महत्व माना जाता हैं ! कालाष्टमी के दिन भैरव देव का जन्म हुआ था, इसलिए इसे भैरव जयन्ती अथवा काल भैरव अष्टमी या काल भैरव अष्टमी भी कहा जाता हैं ! भैरव देव को भगवान शिव जी का रूप माना जाता हैं ! भगवान शिव जी का भैरव रूप एक प्रचंड रूप है ! हर माह की कृष्ण पक्ष की सभी अष्टमी तिथि को काल भैरव को समर्पित कर कालाष्टमी कहा जाता है ! सब महीने की कालाष्टमी से ज्यादा महत्व कार्तिक माह की कालाष्टमी को दिया जाता है ! यह कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी पर्व मनाया जाता है ! जिसे काल भैरव अष्टमी या भैरव जयन्ती के रूप में बनाया जाता हैं ! हिन्दू धर्म के अनुसार काले कुत्ते को भैरव बाबा का प्रतीक माना जाता है ! क्यूंकि कुत्ता को भैरव देव की सवारी है, भैरव देव देवताओं और इंसानों में जो भी पापी रहता है यानी पाप करता हैं, उसे दंड देते है ! भैरव देव के हाथों में जो डंडा होता है, उससे वो सब पापी को दण्डित करते है !
काल भैरव अष्टमी पूजा मुहूर्त 2021 || Kaal Bhairav Ashtami Puja Muhurat 2021
सुबह 08:21 बजे से सुबह 09:35 बजे तक,या
दोपहर 12:14 से दोपहर 01:34 बजे तक, या
दोपहर 02:54 बजे से संध्या 04:14 बजे तक !
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काल भैरव अष्टमी या भैरव जयन्ती कब हैं ? || Kaal Bhairav Ashtami / Bhairav Jayanti 2021 Date ?
इस साल 2021 में काल भैरव अष्टमी या भैरव जयन्ती या Kaal Bhairav Ashtami Puja नवम्बर महीने की 27 तारीख़, वार शनिवार के दिन बनाई जाती हैं !
काल भैरव अष्टमी पूजा विधि || Kaal Bhairav Ashtami Puja Vidhi
Kaal Bhairav Ashtami Puja वाले दिन शाम के समय नहा धोकर साफ वस्त्र धारण करें ! उसके बाद काल भैरव की प्रतिमा के सामने एक चौमुखा मिट्टी या पीतल का दीपक लेकर सरसों के तेल का चौमुखा चिराग जलाएं । उपासक करने वाले मुंह का पूजन करते समय पूरब में होना चाहिए । साथ ही Kaal Bhairav Ashtami Puja में उपासक को लाल रंग के आसान पर बैठना चाहिए । भैरव का आह्वान कर स्फटिक की माला से भैरव के मंत्र का जप करें । जप पूरा होने के बाद भोग लगाए और भैरव की आरती तेल के दीप व कर्पूर से करें व कालभैरव अष्टकम करके प्रसाद बांट दें !
भैरव जी के प्रिय भोग :
भैरव की पूजा में काली उड़द और उड़द से बनी मिठाई इमरती, दही बड़े, दूध और मेवा का भोग लगाना लाभकारी है इससे भैरव प्रसन्न होते है। इसके आलावा सरसों का तेल, काजल सिंदूर और चमेली का तेल आदि इनके श्रृंगार है ।
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काल भैरव अष्टमी पूजा मंत्र || Kaal Bhairav Ashtami Puja Mantra
शिव पुराण में कहा है कि भैरव परमात्मा शंकर के ही रूप हैं इसलिए आज के दिन ( Kaal Bhairav Ashtami Puja Mantra ) इस मंत्र का जाप करना फलदायी होता है.
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम् |
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि ||
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