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जलझूलनी एकादशी पूजा विधि || Jal Jhulani Ekadashi Puja Vidhi || Parivratniya Ekadashi Puja Vidhi
हम आपको यंहा जलझूलनी एकादशी की सम्पूर्ण पूजा कैसे की जाती हैं उसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे है इस पोस्ट की सहायता से आप भी जलझूलनी एकादशी के दिन पूजा विधि सही तरह से कर सकते है ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे जलझूलनी एकादशी पूजा विधि || Jal Jhulani Ekadashi Puja Vidhi || Parivratniya Ekadashi Puja Vidhi को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीके जलझूलनी एकादशी की पूजा कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Jal Jhulani Ekadashi Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.
जलझूलनी एकादशी पूजा विधि || Jal Jhulani Ekadashi Puja Vidhi || Parivratniya Ekadashi Puja Vidhi
जलझूलनी एकादशी का महत्व || Jal Jhulani Ekadashi Ka Mahtav
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो भी जातक परिवर्तिनी एकादशी व्रत करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर मोक्ष प्राप्ति करके स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं।
Jal Jhulani Ekadashi / Parivratniya Ekadashi व्रत करने वाले जातक को वाजपेय यज्ञ समान फल मिलता है।
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पापियों के पाप नाश के लिए इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं है। जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं।
जलझूलनी एकादशी व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा है कि जो इस दिन कमलनयन भगवान का कमल से पूजन करते हैं, वे अवश्य भगवान के करीब जाते हैं।
जिसने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को व्रत और पूजन किया, उसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन किया। अत: हरिवासर अर्थात Jal Jhulani Ekadashi / Parivratniya Ekadashi का व्रत अवश्य करना चाहिए।
जलझूलनी एकादशी पूजा विधि || Jal Jhulani Ekadashi Puja Vidhi
जलझूलनी एकादशी के दिन व्रती को सुबह जल्दी जागकर स्नान आदि करके साफ कपड़े धारण करके भगवान श्री वामन की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत करने का संकल्प लें। इस दिन यथासंभव उपवास करें उपवास में अन्न ग्रहण ना करें यदि संभव न हो तो एक समय फलाहारी कर सकते हैं।
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इसके बाद भगवान श्री वामन जी की षोडशोपचार पूजा करें ।
इसके बाद भगवान वामन को पंचामृत से स्नान कराएं । इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करे एवं Jal Jhulani Ekadashi / Parivratniya Ekadashi व्रत कथा पढ़े या सुनें और एकादशी आरती करे।
भगवान वामन जी को भोग लगाए और स्वयं चरणामृत ग्रहण करें ।
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रात को व्रती को भगवान वामन की मूर्ति या प्रतिमा के पास ही सोएं और दूसरे दिन यानी द्वादशी तिथि को किसी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें ।
जलझूलनी एकादशी के दिन क्या करें क्या न करें || Jal Jhulani Ekadashi Ke Din Kya Kare Kya Na Kare
शास्त्रों का कहना है कि जो मनुष्य इस Jal Jhulani Ekadashi / Parivratniya Ekadashi का व्रत रखते हैं उन्हें सदाचार का पालन करना चाहिए ।
जो यह व्रत नहीं भी करते है उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू से परहेज रखना चाहिए।
Jal Jhulani Ekadashi / Parivratniya Ekadashi व्रत रखने वाले को दशमी तिथि के दिन से ही मन में भगवान श्री विष्णु जी का ध्यान शुरू कर देना चाहिए तथा मूली, मसूरदाल के सेवन से परहेज रखना चाहिए।
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