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बुधवार व्रत कथा || Budhwar Vrat Katha || Budhwar Ki Vrat Katha || Wednesday Fast Story

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बुधवार व्रत कथा || Budhwar Vrat Katha || Budhwar Ki Vrat Katha || Wednesday Fast Story

बुधवार व्रत कथा || Budhwar Vrat Katha || Budhwar Ki Vrat Katha || Wednesday Fast Story

बुधवार व्रत कथा के लाभ / फायदे || Budhwar Vrat Katha Ke Labh / Fayde

बुधवार का व्रत करने से भगवान श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता हैं ! इसके साथ बुधवार व्रत जब भी किया जाता है जब आपकी कुंडली में बुध ग्रह अच्छा परिणाम ना दे रहा हो या दशा और अंतर्दशा में अच्छा परिणाम नही दे रहा हो तो भी बुधवार व्रत करना लाभदायक रहता हैं ! बुधवार व्रत करने जातक के पास धन और सुख-समृद्धि की कभी कमीं नहीं रहती हैं। और विद्या और व्यापार में वृद्धि होती है.

बुधवार व्रत कथा || Budhwar Vrat Katha || Budhwar Ki Vrat Katha || Wednesday Fast Story

एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिये अपनी ससुराल गया. वहां पर कुछ दिन रहने के पश्चात् सास-ससुर से विदा करने के लिये कहा. किन्तु सबने कहा कि आज बुद्धवार का दिन है आज के दिन गमन नहीं करते हैं. वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना और हठधर्मी करके बुद्धवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा. राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है. तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया. जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में वह व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है. Budhwar Vrat Katha

उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है.  दूसरा व्यक्ति बोला कि यह मेरी पत्नी है. इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूं. वे दोनों व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे. तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे. स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है.  तब पत्नी शांत ही रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे. Budhwar Vrat Katha

वह किसे अपना असली पति कहे. वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला – हे परमेश्वर, यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है. तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुद्धवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था. तूने किसी की बात नहीं मानी.  यह सब लीला बुद्धदेव भगवान की है. उस व्यक्ति ने तब बुद्धदेव जी से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिये क्षमा मांगी. तब बुद्धदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए. वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुद्धवार का व्रत वे दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक करने लगे.  जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुद्धवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है, उसको सर्व प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. Budhwar Vrat Katha

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