माँ चंद्रघंटा देवी कथा | Maa Chandraghanta Devi Katha | Chandraghanta Katha Ke Fayde | Chandraghanta Katha Ke Labh | Chandraghanta Katha Benefits | Chandraghanta Katha Pdf | Chandraghanta Katha Mp3 Download | Chandraghanta Katha Lyrics | Maa Chandraghanta Katha नवरात्रि का तीसरे दिन पढ़े मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा :
माता चंद्रघंटा देवी का स्वरूप || Mata Chandraghanta Devi Ka Swarup
अपने मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचन्द्र को धारण करने के कारण माँ “चंद्रघंटा” नाम से पुकारा जाता है ! इनका वाहन सिंह है इस पर देवी माँ स्वर होकर दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहती है चंद्रघंटा देवी को स्वर की देवी भी कहा जाता है ।
इनका रूप परम पावन एवं शांतिदायक और कल्याणकारी है | माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है | इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ हैं जिनमें इन्होंने शंख, कमल, धनुष-बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल, गदा आदि शस्त्र धारण कर रखे हैं। इनके माथे पर स्वर्णिम घंटे के आकार का चांद बना हुआ है और इनके गले में सफेद फूलों की माला है। सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत रहते हैं |
माँ चंद्रघंटा कथा || Maa Chandraghanta Katha || Mata Chandraghanta Devi Ki Katha
पौराणिक कथा के अनुसार जब दानवों का आतंक बढ़ने लगा तो मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का स्वरूप लिया। महिषासुर नामक राक्षस देव राज इंद्र का सिंहासन प्राप्त कर स्वर्गलोक पर राज करना चाहता था। उसकी इस इच्छा को जानकार सभी देवता परेशान हो गए और इस परेशानी के हल के लिए देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सहायता मांगी। देवताओं की बात को सुनने के बाद तीनों को ही क्रोध आया। क्रोध के कारण तीनों के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई। उससे एक देवी उत्पन्न हुईं। जिन्हें भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल और भगवान विष्णु ने अपना चक्र प्रदान किया। Maa Chandraghanta Katha
इसी प्रकार अन्य सभी देवी देवताओं ने भी माता को अपना-अपना अस्त्र सौंप दिए। देवराज इंद्र ने देवी को एक घंटा दिया। इसके बाद मां चंद्रघंटा महिषासुर का वध करने पहुंची। मां का ये रूप देखकर महिषासुर को ये आभास हो गया कि उसका काल आ गया है। महिषासुर ने माता रानी पर हमला बोल दिया। मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया। इस प्रकार मां ने देवताओं की रक्षा की। Maa Chandraghanta Katha
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