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श्री परशुराम अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् || Shri Parashuram Ashtottara Shatanama Stotram
कहा जाता है की भगवान श्री विष्णु जी को दसावतार के नाम से भी जाना चाहता हैं ! जिसमे से एक अवतार परशुराम अवतार हैं ! श्री परशुराम अष्टोत्तर शतनामावली का नियमित पाठ करने से भगवान श्री विष्णु जी के श्री परशुराम अवतार का आशीर्वाद बना रहता हैं ! श्री परशुराम अष्टोत्तर शतनामावली आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Shri Parashuram Ashtottara Shatanama Stotram By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.
श्री परशुराम अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् || Shri Parashuram Ashtottara Shatanama Stotram
रामो राजाटवीवह्नि रामचन्द्रप्रसादकः ।
राजरक्तारुणस्नातो राजीवायतलोचनः ॥ १॥
रैणुकेयो रुद्रशिष्यो रेणुकाच्छेदनो रयी ।
रणधूतमहासेनो रुद्राणीधर्मपुत्रकः ॥ २॥
राजत्परशुविच्छिन्नकार्तवीर्यार्जुनद्रुमः ।
राताखिलरसो रक्तकृतपैतृकतर्पणः ॥ ३॥
रत्नाकरकृतावासो रतीशकृतविस्मयः ।
रागहीनो रागदूरो रक्षितब्रह्मचर्यकः ॥ ४॥
राज्यमत्तक्षत्त्रबीज भर्जनाग्निप्रतापवान् ।
राजद्भृगुकुलाम्बोधिचन्द्रमा रञ्जितद्विजः ॥ ५॥
रक्तोपवीतो रक्ताक्षो रक्तलिप्तो रणोद्धतः ।
रणत्कुठारो रविभूदण्डायित महाभुजः ॥ ६॥
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रमानाधधनुर्धारी रमापतिकलामयः ।
रमालयमहावक्षा रमानुजलसन्मुखः ॥ ७॥
रसैकमल्लो रसनाऽविषयोद्दण्ड पौरुषः ।
रामनामश्रुतिस्रस्तक्षत्रियागर्भसञ्चयः ॥ ८॥
रोषानलमयाकारो रेणुकापुनराननः ।
राधेयचातकाम्भोदो रुद्धचापकलापगः ॥ ९॥
राजीवचरणद्वन्द्वचिह्नपूतमहेन्द्रकः ।
रामचन्द्रन्यस्ततेजा राजशब्दार्धनाशनः ॥ १०॥
राद्धदेवद्विजव्रातो रोहिताश्वाननार्चितः ।
रोहिताश्वदुराधर्षो रोहिताश्वप्रपावनः ॥ ११॥
रामनामप्रधानार्धो रत्नाकरगभीरधीः ।
राजन्मौञ्जीसमाबद्ध सिंहमध्यो रविद्युतिः ॥ १२॥
रजताद्रिगुरुस्थानो रुद्राणीप्रेमभाजनम् ।
रुद्रभक्तो रौद्रमूर्ती रुद्राधिकपराक्रमः ॥ १३॥
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रविताराचिरस्थायी रक्तदेवर्षिभावनः ।
रम्यो रम्यगुणो रक्तो रातभक्ताखिलेप्सितः ॥ १४॥
रचितस्वर्णसोपानो रन्धिताशयवासनः ।
रुद्धप्राणादिसञ्चारो राजद्ब्रह्मपदस्थितः ॥ १५॥
रत्नसूनुमहाधीरो रसासुरशिखामणिः ।
रक्तसिद्धी रम्यतपा राततीर्थाटनो रसी ॥ १६॥
रचितभ्रातृहननो रक्षितभातृको रणी ।
राजापहृततातेष्टिधेन्वाहर्ता रसाप्रभुः ॥ १७॥
रक्षितब्राह्म्यसाम्राज्यो रौद्राणेयजयध्वजः ।
राजकीर्तिमयच्छत्रो रोमहर्षणविक्रमः ॥ १८॥
राजशौर्यरसाम्भोधिकुम्भसम्भूतिसायकः ।
रात्रिन्दिवसमाजाग्र त्प्रतापग्रीष्मभास्करः ॥ १९॥
राजबीजोदरक्षोणीपरित्यागी रसात्पतिः ।
रसाभारहरो रस्यो राजीवजकृतक्षमः ॥ २०॥
रुद्रमेरुधनुर्भङ्ग कृद्धात्मा रौद्रभूषणः ।
रामचन्द्रमुखज्योत्स्नामृतक्षालितहृन्मलः ॥ २१॥
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रामाभिन्नो रुद्रमयो रामरुद्रो भयात्मकः ।
रामपूजितपादाब्जो रामविद्वेषिकैतवः ॥ २२॥
रामानन्दो रामनामो रामो रामात्मनिर्भिदः ।
रामप्रियो रामतृप्तो रामगो रामविश्रमः ॥ २३॥
रामज्ञानकुठारात्त राजलोकमहातमाः ।
रामात्ममुक्तिदो रामो रामदो राममङ्गलः ॥ २४॥
मङ्गलं जामदग्न्याय कार्तवीर्यार्जुनच्छिदे ।
मङ्गलं परमोदार सदा परशुराम ते ॥ २५॥
मङ्गलं राजकालाय दुराधर्षाय मङ्गलं ।
मङ्गलं महनीयाय जामदग्न्याय मङ्गलम् ॥ २६॥
जमदग्नि तनूजाय जिताखिलमहीभृते ।
जाज्वल्यमानायुधाय जामदग्न्याय मङ्गलम् ॥ २७॥
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