विवाह पंचमी कथा || Vivah Panchami Katha || Vivah Panchami Vrat Katha

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विवाह पंचमी कथा || Vivah Panchami Katha || Vivah Panchami Vrat Katha

विवाह पंचमी व्रत मार्गशीष (अगहन) मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को किया जाता है. इस दिन भगवान श्री राम और सीता देवी की पूजा करने का विधान हैं।

विवाह पंचमी व्रत कब हैं  ? 2021 || Vivah Panchami Vrat Kab Hai 2021 : 

Vivah Panchami Vrat को दिसम्बर महीने की 08 तारीख़, वार बुधवार के दिन बनाई जायेगीं ! 

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विवाह पंचमी कथा || Vivah Panchami Katha || Vivah Panchami Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में धरती को रावण के संताप से मुक्त कराने और समाज के समक्ष धर्म एवं मर्यादा का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिये भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया और देवी लक्ष्मी जनकनंदनी सीता के रूप में धरती पर प्रकट हुयी। श्री हरि विष्णु ने अयोध्या के महाप्रतापी सूर्यवंशी राजा दशरथ के यहाँ पुत्र श्री राम के रूप में जन्म लिया और देवी लक्ष्मी ने मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता के रूप में अवतार लिया। Vivah Panchami Katha

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सीता जी के जन्म से जुड़ी एक कथा के अनुसार देवी सीता का जन्म धरती से हुआ था। एक समय मिथिला में भीषण अकाल पड़ा, तब एक ऋषि द्वारा कहने पर राजा जनक ने धरती पर हल चलाया। जब वो हल चला रहे थे, तब उन्हे धरती से एक पुत्री मिली। उसका नाम उन्होने सीता रखा। सीता जी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता हैं। Vivah Panchami Katha

राजा जनक के पास भगवान शिव का दिया एक धनुष था। उस धनुष को उठाना बड़े से बड़े योद्धा के लिये भी सम्भव नही था। एक बार अपने बाल्यकाल में सीता जी ने उस धनुष को उठा लिया तब राजा जनक ने यह प्रतिज्ञा की वो अपनी पुत्री सीता का विवाह उसी से करेंगे जो उस शिव धनुष को उठा कर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा सकेगा। इस का उल्लेख तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस में भी मिलता हैं। Vivah Panchami Katha

सिय ने धनुष को उठा लिया। नृप ने प्रतिज्ञा कर लीनी।

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होये जो बलवान इससे ज्यादा। उसको यह पुत्री दीन्ही॥

राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिये एक भव्य स्वयंवर का आयोजन किया। उस स्वयंवर में भारतवर्ष के सभी राजा-महाराजाओं को आमंत्रित किया गया। उस स्वयंवर में श्रीराम और लक्ष्मण अपने गुरू विश्वामित्र के साथ पहुँचें। जब स्वयंवर में उपस्थित कोई भी राजा या राजकुमार उस शिव धनुष को उठा नही पाया, तब राजा जनक बहुत दुखी हुये। तब गुरू विश्वामित्र ने श्रीराम को शिव धनुष उठाकर राजा जनक को इस दुख से निकालने के लिये कहा। अपने गुरू की आज्ञा पाकर श्रीराम ने उस शिव धनुष को उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की तो वो धनुष टूट गया। इस प्रकार श्री राम ने स्वयंवर की शर्त को पूरा किया और फिर उनका विवाह देवी सीता से साथ हुआ। Vivah Panchami Katha

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