उद्धव कृत राधा स्तोत्रम् || Uddhava Kritam Radha Stotram || Radha Stotra

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श्री उद्धव कृत राधा स्तोत्रम् || Shri Uddhava Kritam Radha Stotram || Radha Stotra

श्री राधा स्तोत्रम् राधा रानी को समर्पित हैं ! इस श्री राधा स्तोत्रम् की रचना भगवान श्री उद्धव द्वारा की गई हैं ! इस राधा स्तोत्रं का ब्रह्मवैवर्त पुराण के अंतर्गत से लिया गया हैं ! इस श्री राधा स्तोत्रम् का नित्य पाठ करने से साधक के ऊपर राधा रानी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं ! श्री राधा स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Shri Uddhava Kritam Radha Stotram By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi. 

श्री उद्धव कृत राधा स्तोत्रम् || Shri Uddhava Kritam Radha Stotram || Radha Stotra

उद्धव उवाच ।

वन्दे राधापदाम्भोजं ब्रह्मादिसुरवन्दितम् ।

यत्कीर्तिकीर्तनेनैव पुनाति भुवनत्रयम् ॥ १॥

नमो गोकुलवासिन्यै राधिकायै नमो नमः ।

शतश‍ृङ्गनिवासिन्यै चन्द्रावत्यै नमो नमः ॥ २॥

तुलसीवनवासिन्यै वृन्दारण्यै नमो नमः ।

रासमण्डलवासिन्यै रासेश्वर्यै नमो नमः ॥ ३॥

विरजातीरवासिन्यै वृन्दायै च नमो नमः ।

वृन्दावनविलासिन्यै कृष्णायै नमो नमः ॥ ४॥

नमः कृष्णप्रियायै च शान्तायै च नमो नमः ।

कृष्णवक्षःस्थितायै च तत्प्रियायै नमो नमः ॥ ५॥

नमो वैकुण्ठवासिन्यै महालक्ष्म्यै नमो नमः ।

विद्याधिष्ठातृदेव्यै च सरस्वत्यै नमो नमः ॥ ६॥

सर्वैश्वर्याधिदेव्यै च कमलायै नमो नमः ।

पद्मनाभप्रियायै च पद्मायै च नमो नमः ॥ ७॥

महाविष्णोश्च मात्रे च पराद्यायै नमो नमः ।

नमः सिन्धुसुतायै च मर्त्यलक्ष्म्यै नमो नमः ॥ ८॥

नारायणप्रियायै च नारायण्यै नमो नमः ।

नमोऽस्तु विष्णुमायायै वैष्णव्यै च नमो नमः ॥ ९॥

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महामायास्वरूपायै सम्पदायै नमो नमः ।

नमः कल्याणरूपिण्यै शुभायै च नमो नमः ॥ १०॥

मात्रे चतुर्णां वेदानां सावित्र्यै च नमो नमः ।

नमो दुर्गविनाशिन्यै दुर्गादेव्यै नमो नमः ॥ ११॥

तेजःसु सर्वदेवानां पुरा कृत्युगे मुदा ।

अधिष्ठानकृतायै च प्रकृत्यै च नमो नमः ॥ १२॥

नमस्त्रिपुरहारिण्यै त्रिपुरायै नमो नमः ।

सुन्दरीषु च रम्यायै निर्गुणायै नमो नमः ॥ १३॥

नमो निद्रास्वरूपायै निर्गुणायै नमो नमः ।

नमो दक्षसुतायै च सत्यै नमो नमः ॥ १४॥

नमः शैलसुतायै च पार्वत्यै च नमो नमः ।

नमो नमस्तपस्विन्यै ह्युमायै च नमो नमः ॥ १५॥

निराहारस्वरूपायै ह्यपर्णायै नमो नमः ।

गौरीलोकविलासिन्यै नमो गौर्यै नमो नमः ॥ १६॥

नमः कैलासवासिन्यै माहेश्वर्यै नमो नमः ।

निद्रायै च दयायै च श्रधायै च नमो नमः ॥ १७॥

नमो धृत्यै क्षमायै च लज्जायै च नमो नमः ।

तृष्णायै क्षुत्स्वरूपायै स्थितिकर्त्र्यै नमो नमः ॥ १८ ।

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नमः संहाररूपिण्यै महामार्यै नमो नमः ।

भयायै चाभयायै च मुक्तिदायै नमो नमः ॥ १९॥

नमः स्वधायै स्वाहायै शान्त्यै कान्त्यै नमो नमः ।

नमस्तुष्ट्यै च पुष्ट्यै च दयायै च नमो नमः ॥ २०॥

नमो निद्रास्वरूपायै श्रद्धायै च नमो नमः ।

क्षुत्पिपासास्वरूपायै लज्जायै च नमो नमः ॥ २१॥

नमो धृत्यै क्षमायै च चेतनायै च नमो नमः ।

सर्वशक्तिस्वरूपिण्यै सर्वमात्रे नमो नमः ॥ २२॥

अग्नौ दाहस्वरूपायै भद्रायै च नमो नमः ।

शोभायै पूर्णचन्द्रे च शरत्पद्मे नमो नमः ॥ २३॥

नास्ति भेदो यथा देवि दुग्धधावल्ययोः सदा ।

यथैव गन्धभूम्योश्च यथैव जलशैत्ययोः ॥ २४॥

यथैव शब्दनभसोर्ज्योतिर्ःसूर्यकयोर्तथा ।

लोके वेदे पुराणे च राधामाधावयोस्तथा ॥ २५॥

चेतनं कुरु कल्याणि देहि मामुत्तरं सति ।

इत्युक्त्वा चोद्धवस्तत्र प्रणनाम पुनः पुनः ॥ २६॥

इत्युद्धवकृतं स्तोत्रं यः पठेद् भक्ति पूर्वकम् ।

इह लोके सुखं भुक्त्वा यात्यन्ते हरिमन्दिरम् ॥ २७॥

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न भवेद् बन्धुविच्छेदो रोगः शोकः सुदारुणः ।

प्रोषिता स्त्री लभेत् कान्तं भार्याभेदी लभेत् प्रियाम् ॥ २८॥

अपुत्रो लभते पुत्रान् निर्धनो लभते धनम् ।

निर्भुमिर्लभते भूमिं प्रजाहिनो लभेत् प्रजाम् ॥ २९॥

रोगाद् विमुच्यते रोगी बद्धो मुच्येत् बन्धनात् ।

भयान्मुच्येत् भीतस्तु मुच्येतापन्न आपदः ॥ ३०॥

अस्पष्टकीर्तिः सुयशा मूर्खो भवति पण्डितः ॥ ३१॥

इति श्रीब्रह्मवैवर्ते उद्धवकृतं श्रीराधास्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

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