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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 4 GyanKarmSanyasYog भगवद गीता अध्याय 4 ज्ञानकर्मसंन्यासयोग

अथ चतुर्थोऽध्यायः- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग योग परंपरा, भगवान के जन्म कर्म की दिव्यता, भक्त लक्षण भगवत्स्वरूप श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्‌ […]

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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 3 Karmyog भगवद गीता अध्याय 3 कर्मयोग

अथ तृतीयोऽध्यायः- कर्मयोग ज्ञानयोग और कर्मयोग के अनुसार अनासक्त भाव से नियत कर्म करने की आवश्यकता अर्जुन उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते

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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 2 Sankhyayog भगवद गीता अध्याय 2 सांख्ययोग

अथ द्वितीयोऽध्यायः ~ सांख्ययोग अर्जुन की कायरता के विषय में श्री कृष्णार्जुन-संवाद संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्‌ । विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच

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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 1 Arjunvishadyog भगवद गीता अध्याय 1 अर्जुनविषादयोग

अथ प्रथमोऽध्यायः- अर्जुनविषादयोग दोनों सेनाओं के प्रधान शूरवीरों और अन्य महान वीरों का वर्णन धृतराष्ट्र उवाच  धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः

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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 18 MokshSanyasYog भगवद गीता अध्याय 18 मोक्षसंन्यासयोग

अथाष्टादशोऽध्यायः- मोक्षसंन्यासयोग त्याग का विषय अर्जुन उवाच सन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्‌ । त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ৷৷18.1৷৷ arjuna uvāca saṅnyāsasya

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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 17 ShraddhaTrayVibhagYog भगवद गीता अध्याय 17 श्रद्धात्रयविभागयोग

अथ सप्तदशोऽध्यायः- श्रद्धात्रयविभागयोग श्रद्धा का और शास्त्रविपरीत घोर तप करने वालों का विषय अर्जुन उवाच ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः। तेषां

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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 16 DaiwaSurSampdwiBhagYog भगवद गीता अध्याय 16 दैवासुरसम्पद्विभागयोग

अथ षोडशोऽध्यायः- दैवासुरसम्पद्विभागयोग फलसहित दैवी और आसुरी संपदा का कथन श्रीभगवानुवाच अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः। दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्‌॥16.1॥ śrī bhagavānuvāca

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Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 15 PurushottamYog भगवद गीता अध्याय 15 पुरुषोत्तमयोग

अथ पञ्चदशोऽध्यायः- पुरुषोत्तमयोग संसाररूपी अश्वत्वृक्ष का स्वरूप और भगवत्प्राप्ति का उपाय श्रीभगवानुवाच ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्‌ । छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं

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