Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 14 GunTrayVibhagYog भगवद गीता अध्याय 14 गुणत्रयविभागयोग

अथ चतुर्दशोऽध्यायः- गुणत्रयविभागयोग ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत्‌ की उत्पत्ति श्रीभगवानुवाच परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम्‌ । यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ॥ (१) śrī bhagavānuvāca paraṅ bhūyaḥ pravakṣyāmi jñānānāṅ jñānamuttamam. yajjñātvā munayaḥ sarvē parāṅ siddhimitō gatāḥ৷৷14.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान ने कहा – हे अर्जुन! समस्त ज्ञानों में भी सर्वश्रेष्ठ इस … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 13 Ksetra-KsetrajnayVibhagYog भगवद गीता अध्याय 13 क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग

अथ त्रयोदशोsध्याय: श्रीभगवानुवाच  ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय अर्जुन उवाच प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च । एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव ৷৷13.1৷৷ arjuna uvāca prakṛtiṅ puruṣaṅ caiva kṣētraṅ kṣētrajñamēva ca. ētadvēditumicchāmi jñānaṅ jñēyaṅ ca kēśava৷৷13.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन ने पूछा – हे केशव! मैं आपसे प्रकृति एवं पुरुष, क्षेत्र एवं क्षेत्रज्ञ और ज्ञान एवं ज्ञान … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 12 BhaktiYog भगवद गीता अध्याय 12 भक्तियोग

अथ द्वादशोऽध्यायः- भक्तियोग साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते । ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ arjuna uvāca ēvaṅ satatayuktā yē bhaktāstvāṅ paryupāsatē. yēcāpyakṣaramavyaktaṅ tēṣāṅ kē yōgavittamāḥ৷৷12.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- जो अनन्य प्रेमी भक्तजन पूर्वोक्त प्रकार से निरन्तर … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 11 VishwaRoopDarshanYog भगवद गीता अध्याय 11 विश्वरूपदर्शनयोग

अथैकादशोऽध्यायः- विश्वरूपदर्शनयोग विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥ arjuna uvāca madanugrahāya paramaṅ guhyamadhyātmasaṅjñitam. yattvayōktaṅ vacastēna mōhō.yaṅ vigatō mama৷৷11.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उपदेश कहा, उससे मेरा यह अज्ञान … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 10 VibhutiYog भगवद गीता अध्याय 10 विभूतियोग

अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग भगवान की विभूति और योगशक्ति का कथन तथा उनके जानने का फल श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ৷৷10.1৷৷ śrī bhagavānuvāca bhūya ēva mahābāhō śrṛṇu mē paramaṅ vacaḥ. yattē.haṅ prīyamāṇāya vakṣyāmi hitakāmyayā৷৷10.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान्‌ बोले- हे महाबाहो! फिर भी मेरे परम रहस्य और प्रभावयुक्त … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 9 RajVidyaRajGuhyaYog भगवद गीता अध्याय 9 राजविद्याराजगुह्ययोग

अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग परम गोपनीय ज्ञानोपदेश, उपासनात्मक ज्ञान, ईश्वर का विस्तार श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे । ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्‌॥9.1॥ śrī bhagavānuvāca idaṅ tu tē guhyatamaṅ pravakṣyāmyanasūyavē. jñānaṅ vijñānasahitaṅ yajjñātvā mōkṣyasē.śubhāt৷৷9.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- तुझ दोषदृष्टिरहित भक्त के लिए इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुनः भली भाँति कहूँगा, जिसको … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 8 AksharBrahmaYog भगवद गीता अध्याय 8 अक्षरब्रह्मयोग

अथाष्टमोऽध्यायः- अक्षरब्रह्मयोग ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर अर्जुन उवाच किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं पुरुषोत्तम । अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते৷৷8.1৷৷ arjuna uvāca kiṅ tadbrahma kimadhyātmaṅ kiṅ karma puruṣōttama. adhibhūtaṅ ca kiṅ prōktamadhidaivaṅ kimucyatē৷৷8.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन ने कहा- हे पुरुषोत्तम! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 7 GnyanVignyanYog भगवद गीता अध्याय 7 ज्ञानविज्ञानयोग

अथ सप्तमोऽध्यायः- ज्ञानविज्ञानयोग विज्ञान सहित ज्ञान का विषय,इश्वर की व्यापकता श्रीभगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः । असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥ śrī bhagavānuvāca mayyāsaktamanāḥ pārtha yōgaṅ yuñjanmadāśrayaḥ. asaṅśayaṅ samagraṅ māṅ yathā jñāsyasi tacchṛṇu৷৷7.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अनन्य प्रेम से मुझमें आसक्त चित तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 6 AtmSanyamYog भगवद गीता अध्याय 6 आत्मसंयमयोग

अथ षष्ठोऽध्यायः- आत्मसंयमयोग कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ के लक्षण, काम-संकल्प-त्याग का महत्व श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः । स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ॥ śrī bhagavānuvāca anāśritaḥ karmaphalaṅ kāryaṅ karma karōti yaḥ. sa saṅnyāsī ca yōgī ca na niragnirna cākriyaḥ৷৷6.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- जो पुरुष कर्मफल का … Read more

Shrimad Bhagavad Gita – Chapter 5 KarmSanyasYog भगवद गीता अध्याय 5 कर्मसंन्यासयोग

अथ पंचमोऽध्यायः- कर्मसंन्यासयोग ज्ञानयोग और कर्मयोग की एकता, सांख्य पर का विवरण और कर्मयोग की वरीयता अर्जुन उवाच सन्न्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि । यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम्‌ ॥ arjuna uvāca saṅnyāsaṅ karmaṇāṅ kṛṣṇa punaryōgaṅ ca śaṅsasi. yacchrēya ētayōrēkaṅ tanmē brūhi suniśicatam৷৷5.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- हे कृष्ण! आप कर्मों के संन्यास की … Read more