Surya Dev Puja Vidhi रोजाना या रविवार को करें श्री सूर्य देव की पूजा विधि : हम यंहा आपको रोजाना या रविवार को सूर्य देव पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं. इस पोस्ट के माध्यम से आपको सूर्य देव की पूजा विधि कैसे किया जाता हैं इसके बारे में बताने जा रहे हैं ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे श्री सूर्य देव पूजा विधि || Shri Surya Dev Puja Vidhi को पढ़कर आप भी रोजाना या रविवार को आसानी से सूर्य देव की पूजा सही विधि से कर सकोगें !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Shri Surya Dev Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.
श्री सूर्य देव पूजा विधि || Shri Surya Dev Puja Vidhi
श्री सूर्य देव पूजा सामग्री || Shri Surya Dev Puja Samagri
श्री सूर्य देव पूजन में कुमकुम या लाल चंदन, लाल फूल, चावल, दीपक, तांबे की थाली, तांबे का लोटा आदि |
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श्री सूर्य देव पूजा विधि || Shri Surya Dev Puja Vidhi
श्री सूर्य देव पूजन करने के लिए लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन या कुमकुम का पाउडर डाल दें। उसके बाद लोटे में लाल पुष्प भी डाल दें। उसके बाद थाली में दीपक और लोटा रख लें।
इसके बाद अब “ऊँ सूर्याय नमः” मंत्र का जप करते हुए सबसे पहले सूर्य देव को प्रणाम करें। फिर लोटे से सूर्य देवता को जल चढ़ाते समय नीचे बताये गये सूर्य मंत्र का जाप करते रहें ।
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श्री सूर्य देव पूजा मंत्र || Shri Surya Dev Puja Mantra
“ऊँ सूर्याय नमः”
“ऊँ सूर्याय नमः अर्घं समर्पयामि” कहते हुए पूरा जल समर्पित कर दें। इस प्रकार से सूर्य को जल चढ़ाना सूर्य को अर्घ प्रदान करना कहलाता है।अर्घ समर्पित करते समय साधक की नजरें हमेशा लोटे के जल की धारा की ओर रखें। जल की धारा में सूर्य देव का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा। सूर्य को अर्घ समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं। कि जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे। उसके बाद दीपक जलाकर सूर्य देव को अर्पित करें और फिर सूर्य देव की आरती करें। फिर सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
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सूर्य देव के रोजाना किए जाने वाले पूजन में आवाहन, आसन की जरुरत नहीं होती है। सूर्य ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष ही दिखाई देते हैं। उगते हुए सूर्य का पूजन उन्नतिकारक होता हैं। इस समय निकलने वाली सूर्य किरणों में सकारात्मक प्रभाव बहुत अधिक होता है। जो कि शरीर को भी स्वास्थय लाभ पंहुचाती हैं।
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