रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे WhatsApp Group पर जुड़ें Join Now

रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे Telegram Group पर जुड़ें Join Now

श्री राजराजेश्वरी मंत्र मातृका स्तव || Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam

श्री राजराजेश्वरी मंत्र मातृका स्तव, Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam, Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam Ke Fayde, Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam Ke Labh, Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam Pdf, Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam Mp3 Download, Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam Lyrics.

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope  ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

नोट : यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

30 साल के फ़लादेश के साथ वैदिक जन्मकुंडली बनवाये केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

श्री राजराजेश्वरी मंत्र मातृका स्तव || Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam

श्री राजराजेश्वरी मंत्र मातृका स्तव श्री राजराजेश्वरी माता जी की पूजा अर्चना में पाठ किया जाता हैं ! श्री राजराजेश्वरी मंत्र मातृका स्तव आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्री राजराजेश्वरी मंत्र मातृका स्तव || Sri Rajarajeshwari Mantra Matruka Stavam

कल्याणायुतपूर्णचन्द्रवदनां प्राणेश्वरानन्दिनीं पूर्णां पूर्णतरां परेशमहिषीं पूर्णामृतास्वादिनीम्।

संपूर्णां परमोत्तमामृतकलां  विद्यावतीं भारतीं श्रीचक्रप्रियबिंदुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम्  ॥१॥

ईकारादिसमस्तवर्णविविधाकारैकचिद्रूपिणीं चैतन्यात्मकचक्रराजनिलयां चक्रान्तसंचारिणीम्।

भावाभावविभाविनीं भवपरां सद्भक्तिचिन्तामणीं श्रीचक्रप्रियबिंदुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम्  ॥२॥

ईशाधिक्परयोगिवृन्दविदितां स्वानन्दभूतां परां पश्यन्तीं तनुमध्यमां विलसिनीं श्री वैखरीरूपिणीम्।

आत्मानात्मविचारिणीं विवरगां विद्यां त्रिपीठात्मिकां श्रीचक्रप्रियबिंदुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम्  ॥३॥

ल्क्ष्यालक्ष्यनिरीक्षणां निरुपमां रुद्राक्षमालाधरां त्र्यक्षाराकृति दक्षवंशकलिकां दीर्घाक्षिदीर्घस्वराम्।

भद्रां भद्रवरप्रदां भगवतीं पद्मेश्वरीं मुद्रिणीं श्रीचक्रप्रियबिंदुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम्  ॥४॥

ह्रींबीजागतनादबिंदुभरितां ओंकारनादात्मिकां ब्रह्मानन्दघनोदरीं गुणवतीं ज्ञानेश्वरीं ज्ञानदाम्।

इच्छाज्ञानकृतीं महीं गतवतीं गन्धर्वसंसेवितां श्रीचक्रप्रियबिंदुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम्  ॥५॥

हर्षोन्मत्तसुवर्णपात्रभरितां पीनोन्नताघूर्णितां हूंकारप्रियशब्दजालनिरताम् सारस्वतोल्लासिनीम्।

सारासारविचारचारुचतुराम् वर्णाश्रमाकारिणीं श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपराम् श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ ६ ॥

सर्वेशां नगविहारिणीम् सकरुणां सन्नादिनीं नादिनीं संयोगप्रियरूपिणीं प्रियवतीं प्रीतां प्रतापोन्नताम्

सर्वान्तर्गतिशालिनीं शिवतनुं सन्दीपिनीं दीपिनीं श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ ७ ॥

कर्माकर्मविवर्जितां कुलवतीं कर्मप्रदां कौलिनीं कारुण्याम्बुधि सर्वकामनिरतां सिन्धुप्रियोल्लासिनीम्।

पञ्चब्रह्मसनातनासनगतां गेयां सुयोगान्वितां श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ ८ ॥

हस्त्युत्कुम्भनिभस्तनद्वितयतः पीनोन्नतादानतां हाराद्याभरणां सुरेन्द्रविनुतां शृङ्गारपीठालयाम्।

योन्याकारकयोनिमुद्रितकरां नित्यां नवार्णात्मिकां श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ ९ ॥

लक्ष्मीलक्षणपूर्णभक्तवरदां लीलाविनोदस्थितां लाक्षारञ्जितपादपद्मयुगलां ब्रह्मेन्द्रसंसेविताम्।

लोकालोकितलोककामजननीं लोकाश्रयांकस्थितां श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ १० ॥

ह्रींकारास्यतशंकरप्रियतमां श्रीयोगपीठेश्वरीं माङ्गल्यायुतपङ्कजाभनयनां माङ्गल्यसिद्धिप्रदाम्।

कारुण्येन विशेषितां सुमहालावण्यसंशोभितां श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ ११ ॥

सर्वज्ञानकलावतीं सकरुणां सर्वेश्वरीं सर्वगां सत्यां सर्वमयीं सहस्रदलजां सत्वान्नमोपस्थिताम्।

सङ्गासङ्गविवर्जितां सुखकरीं बालार्ककोटिप्रभां श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ १२ ॥

कादि़क्षान्तसुवर्णबिन्दुसुतनुं सर्वाङ्गसंशोभितां नानावर्णविचित्रचित्रचरितां चातुर्यचिन्तामणीम्।

चित्रानन्दविधायिनीं सुचपलां कूटत्रयाकारिणीं श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥१३॥

लक्ष्मीशानविधीन्द्रचन्द्रमकुटाद्यष्टाङ्गपीठाश्रितां सूर्येन्द्वग्निमयैकपीठनिलयां त्रिस्थां त्रिकोणेश्वरीम्।

गोप्त्रीं गर्वनिगर्वितां गगनगां गङ्गागणेशप्रियां श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥१४॥

ह्रीं कूटत्रयरूपिणीं समयिनीं संसारिणीं हंसिनीं वामाचारपरायणीं सुकुलजां बीजावतीं मुद्रिणीम्।

कामाक्षीं करुणार्द्रचित्तसहितां श्रीं श्रीं त्रिमूर्त्यादिकां श्रीचक्रप्रियबिन्दुतर्पणपरां श्रीराजराजेश्वरीम् ॥ १५ ॥

या विद्या शिवकेशवादिजननी या वै जगन्मोहिनी या ब्रह्मादिपिपीलिकान्तजगदानन्दैकसन्दायिनी।

या पञ्चप्रणवादिरेफनलिनी याचित्कलामालिनी सा पायात्परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी॥ १६ ॥

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope  ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

<<< पिछला पेज पढ़ें                                                                                                                      अगला पेज पढ़ें >>>


यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

यह पोस्ट आपको कैसी लगी Star Rating दे कर हमें जरुर बताये साथ में कमेंट करके अपनी राय जरुर लिखें धन्यवाद : Click Here

रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे WhatsApp Group पर जुड़ें Join Now

रोजाना फ्री टिप्स के लिए हमसे Telegram Group पर जुड़ें Join Now