श्री वृन्दावन अष्टकम || Shri Vrindavan Ashtakam || Vrindavan Ashtak

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श्री वृन्दावन अष्टकम || Shri Vrindavan Ashtakam

श्री वृन्दावन अष्टकम श्री विश्वनाथ चक्रवर्ति द्वारा रचियत हैं ! श्री वृन्दावन अष्टकम के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Shri Vrindavan Ashtakam By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्री वृन्दावन अष्टकम || Shri Vrindavan Ashtakam

न योगसिद्धिर्न च माऽस्तु मोक्षो वैकुण्ठलोकेऽपि न पार्षदत्वम् ।

प्रेमापि न स्यादिति चेत्तरां तु ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ १॥

तार्णं जनुर्यत्र विधिर्ययाचे सद्भक्तचूडामणिरुद्धवोऽपि ।

वीक्ष्यैव माधुर्यधुरां तदस्मिन् ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ २॥

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किं ते कृतं हन्त तपः क्षितीति गोप्योऽपि भूमेः स्तुवते स्म कीर्तिम् ।

येनैव कृष्णाङ्घ्रिपदाङ्कितेऽस्मिन् ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ ३॥

गोपाङ्गनालम्पटतैव यत्र यस्यां रसः पूर्णतमत्वमाप ।

यतो रसो वै स इति श्रुतिस्तन्ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ ४॥

भाण्डीरगोवर्धनरासपीठैस्त्रिसीमके योजनपञ्चकेन ।

मिते विभुत्वादमितेऽपि चास्मिन् ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ ५॥

यत्राधिपत्यं वृषभानुपुत्र्या येनोदयेत्प्रेमसुखं जनानाम् ।

यस्मिन्ममाशा बलवत्यतोऽस्मिन् ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ ६॥

यस्मिन्महारासविलासलीला न प्राप यां श्रीरपि सा तपोभिः ।

तत्रोल्लसन्मञ्जुनिकुञ्जपुञ्जो ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ ७॥

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सदा रुरुन्यङ्कुमुखा विशङ्कं खेलन्ति कूजन्ति पिकालिकीराः ।

शिखण्डिनो यत्र नटन्ति तस्मिन् ममास्तु वृन्दावन एव वासः ॥ ८॥

वृन्दावनस्याष्टकमेतदुच्चैः पठन्ति ये निश्चलबुद्धयस्ते ।

वृन्दावनेशाङ्घ्रिसरोजसेवां साक्षाल्लभन्ते जनुषोऽन्त एव ॥ ९॥

इति श्रीविश्वनाथचक्रवर्तिविरचितं वृन्दावनाष्टकं सम्पूर्णम् ।

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