श्री रुक्मिणी संदेश || Shri Rukmini Sandesh

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श्री रुक्मिणी संदेश || Shri Rukmini Sandesh

दिया गया श्री रुक्मिणी संदेश श्रीमद्भागवतम् से लिया गया हैं ! इस श्री रुक्मिणी संदेश में श्री रुक्मिणी देवी जी ने भगवान श्री कृष्ण जी की महिमा का वर्णन किया हैं ! श्री रुक्मिणी संदेश आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Shri Rukmini Sandesh By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्री रुक्मिणी संदेश || Shri Rukmini Sandesh

श्रुत्वा गुणान् भुवनसुंदर शृण्वतां ते,

निर्विश्य कर्णविवरैः हरतोऽङ्ग तापम् ।

रूपं दृशां दृशिमतां अखिलार्थलाभं,

त्वय्यच्युताविशति चित्तमपत्रपम् मे ॥१॥

का त्वा मुकुन्द महतीकुलशीलरूप,

विद्यावयोद्रविणधामभिरात्मतुल्यम् ।

धीरा पतिं कुलवती न वृणीत कन्या,

काले नृसिंह नरलोकमनोभिरामम् ॥२॥

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तन्मे भवान् खलु वृतः पतिरङ्ग जाया,

मात्मार्पितश्च भवतोऽत्र विभो विधेहि।

मा वीरभागमभिमर्शतु चैद्य आरात्,

गोमायुवन्मृगपतेः बलिमम्बुजाक्ष ॥३॥

पूर्तेष्टदत्तनियमव्रतदेवविप्र,

गुर्वर्चनादिभिरलं भगवान् परेशः।

आराधितो यदि गदाग्रज एत्य पाणिं,

गृह्णातु मे न दमघोषसुतादयोन्ये ॥४॥

श्वोभाविनि त्वमजितोद्वहने विदर्भान्,

गुप्तस्समेत्य पृतनापतिभिः परीतः।

निर्मथ्य चैद्यमगधेन्द्रबलं  प्रसह्य,

मां राक्षसेन विधिनोद्वह वीर्यशुल्काम् ॥५॥

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अन्तः पुरान्तरचरीमनिहत्यबन्धून्,

त्वामुद्वहे कथमिति प्रवदाम्युपायम्।

पूर्वेद्युरस्ति महती कुलदेवियात्रा,

यस्यां बहिर्नववधूर्गिरिजामुपेयात् ॥६॥

यस्याङ्घ्रिपङ्कजरजः स्नपनं महान्तो,

वाञ्छन्त्युमापतिरिव आत्मतमोपहत्यै।

यर्ह्यम्बुजाक्ष न लभेय भवत्प्रसादं,

जह्यामसून् व्रतकृशान् शतजन्मभिः स्यात् ॥७॥

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