Chandi Path Kaise Kare | Chandi Path Ke Fayde | Chandi Path Ke Labh | Chandi Path Benefits | Chandi Path Pdf | Chandi Path Mp3 Download | Chandi Path Lyrics | Shri Durga Saptshati Chandi Path दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ क्या है, क्यों किया जाता है क्या हैं चण्डी पाठ के फायदे : हम यहाँ आपको चंडी पाठ क्या है, क्यों किया जाता है, चंडी पाठ करने के लाभ और फायदे, चंडी पाठ कब और कैसे करें आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।
Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे श्री चण्डी पाठ || Shri Chandi Path || Durga Saptashati Chandi Paath का पाठ अपने दैनिक पूजा में या नवरात्रि के दिन करने से अपनी मनचाही कामना बड़ी आसानी से पूरी कर सकते हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Shri Durga Saptshati Chandi Path By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
श्री चण्डी पाठ || Shri Chandi Path || Durga Saptashati Chandi Paath
॥ श्रीचण्डीपाठः ॥
॥ ॐ श्री देवैः नमः ॥
॥ अथ चंडीपाठः ॥
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता ।
नमस्तस्यै १४ नमस्तस्यै १५ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-१६॥
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते ।
नमस्तस्यै १७ नमस्तस्यै १८ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-१९॥
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै २० नमस्तस्यै २१ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-२२॥
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै २३ नमस्तस्यै २४ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-२५॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै २६ नमस्तस्यै २७ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-२८॥
या देवी सर्वभूतेषु च्छायारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै २९ नमस्तस्यै ३० नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-३१॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ३२ नमस्तस्यै ३३ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-३४॥
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ३५ नमस्तस्यै ३६ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-३७॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ३८ नमस्तस्यै ३९ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४०॥
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ४१ नमस्तस्यै ४२ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४३॥
या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ४४ नमस्तस्यै ४५ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४६॥
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ४७ नमस्तस्यै ४८ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-४९॥
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ५० नमस्तस्यै ५१ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-५२॥
या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ५३ नमस्तस्यै ५४ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-५५॥
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ५६ नमस्तस्यै ५७ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-५८॥
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ५९ नमस्तस्यै ६० नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-६१॥
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ६२ नमस्तस्यै ६३ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-६४॥
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ६५ नमस्तस्यै ६६ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-६७॥
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ६८ नमस्तस्यै ६९ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-७०॥
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ७१ नमस्तस्यै ७२ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-७३॥
या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै ७४ नमस्तस्यै ७५ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-७६॥
इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भुतानाञ्चाखिलेषु या ।
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः ॥ ५-७७॥
चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद् व्याप्य स्थिता जगत् ।
नमस्तस्यै ७८ नमस्तस्यै ७९ नमस्तस्यै नमो नमः ॥ ५-८०॥
|| इति श्री चण्डी पाठ सम्पूर्ण || Shri Chandi Path Sampurn ||
श्री चण्डी पाठ के लाभ || Shri Chandi Path Benefits
कब करें कितनी बार Chandi Path:
शास्त्रों में कहा गया है कि यज्ञों में अश्वमेध यज्ञ व देवताओं में भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं। इस प्रकार स्तुतियों में ‘दुर्गा सप्तशती’ सबसे अधिक व तत्काल फल देने वाली है । नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती की पूजा से कई गुणा फल अधिक मिलता है।
- पारिवारिक संकट आने पर Shri Chandi Path का तीन बार पाठ करायें या करें।
- यदि घर में कोई तकलीफ पा रहा हो तो पांच बार दुर्गा सत्पशती का पाठ करें।
- यदि परिवार में कोई भय पैदा करने वाला संकट आया है तो Shri Chandi Path का सात बार पाठ करें।
- परिवार की सुख समृद्धि के लिये नौ बार पाठ करें।
- धनवान बनने के लिये रोजाना Shri Chandi Path का ग्यारह बार पाठ करें।
- मनचाही वस्तु पाने के लिये बारह बार पाठ करें।
- घर में सुख शांति व श्री वृद्धि के लिये Shri Chandi Path का पन्द्रह बार पाठ करें।
- पुत्र-पौत्र, धन-धान्य व प्रतिष्ठा के लिये सोलह बार पाठ करें।
- यदि परिवार में किसी पर राजदंड, शुत्र का संकट या मुकदमें में फंस गये हो तो Shri Chandi Path अठारह बार पाठ करें।
- जेल से छुटकारा पाने के (अगर निदोष हैं) लिये पच्चीस बार पाठ का विधान है।
- शरीर में कोई घाव-फोड़ा आदि हो गया हो या आपरेशन कराने की नौबत आ गयी हो तो Shri Chandi Path तीस बार पाठ कराने से फायदा होता है।
- भयंकर संकट, असाध्य रोग, वंशनाश या धन नाश की नौबत आये तो सौ बार सत्पशती का पाठ करायें। सौ बार पाठ को ही शतचण्डी पाठ कहते हैं।
- Shri Chandi Path का एक हजार पाठ कराने वाले यजमान को मुक्ति मिल जाती है। इसे ही सहस्त्रचण्डी पूजा कहते हैं।
सप्तशती के छह अंग मुख्य है-
- कवच
- अर्गला
- कीलक
- प्रधाणिक
- वैकृतिक रहस्य
- मूर्त्त रहस्य
इनके बिना Chandi Path पूरा नहीं होता है। इसका फल यजमान को भुगतना पड़ता है। आदि व अंत में नर्वाण मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। बीच में Chandi Path करें। देव्यथर्वशीर्ष, कुंजिकास्तोत्र व क्षमा याचना स्तोत्र का पाठ करने से चण्डी पाठ पूर्ण होता है। भगवान शिव कहते हैं। कि पहले अर्गला, कीलक व बाद में कवच पाठ करना चाहिए। इसके बाद ही Chandi Path करना चाहिये।
- अर्गला से पाप का नाश होता है।
- कीलक से मनचाहा फल मिलता है।
- कवच शरीर की रक्षा है।
कुछ विद्वान चंडीपाठ, के बाद, बीच में व पहले ‘बटुक भैरव स्तोत्र’ का पाठ भी करते हैं। इससे बड़े से बड़ा संकट दूर होता है। तथा सारी मनोकामनायें पूर्ण होती है।
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