सर्व पितृ अमावस्या व्रत कथा | Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha | Sarva Pitru Amavasya Vrat Kab Hai 2023 | Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha Ka Punya | Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha Pdf | Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha Lyrics | सर्व पितृ अमावस्या व्रत कथा || Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha || Sarva Pitru Amavasya Ki Katha : इस बार पितृपक्ष का समापन 14 अक्टूबर 2023, वार शनिवार के दिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होने जा रहा है। यह तो आप सब पहले ही जानते हो कि श्राद्ध पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या का बहुत ही अधिक महत्व है। इस अमावस्या को पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि भी कही जाती है। इस सर्व पितृ अमावस्या तिथि का बहुत ज्यादा महत्व माना जाता हैं, यदि आपने इन श्राद्ध तिथियों में किसी का श्राद्ध करना भूल गये हो या आपको किसी अपने की श्राद्ध तिथि पता ना हो, तो आप आज के दिन यानी सर्व पितृ अमावस्या को उन पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं।
कहा जाता है देवताओं के पितृगण “अग्निष्वात्त” जो सोमपथ लोक में निवास करते हैं, उनकी मानसी कन्या, ‘अच्छोदा’ नाम की एक नदी के रूप में अवस्थित हुई। वहीं मत्स्य पुराण में अच्छोद सरोवर और अच्छोदा नदी का जिक्र मिलता है जो कि कश्मीर में स्थित है। आइए जानते हैं Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha ।
सर्व पितृ अमावस्या व्रत कब हैं? || Sarva Pitru Amavasya 2022 Date
इस साल 2023 में Sarva Pitru Amavasya को अक्टूबर महीने की 14 तारीख़, वार रविवार के दिन बनाई जायेगीं |
सर्व पितृ अमावस्या व्रत कथा || Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha || Sarva Pitru Amavasya Ki Katha
एक बार अच्छोदा ने एक हजार वर्ष तक तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर देवताओं के पितृगण अग्निष्वात्त और और बर्हिषपद अपने अन्य पितृगण अमावसु के साथ अच्छोदा को वरदान देने के लिए आश्विन अमावस्या के दिन उपस्थित हुए।
उन्होंने अक्षोदा से कहा कि हे पुत्री हम सभी तुम्हारी तपस्या से अति प्रसन्न हैं, इसलिए जो चाहो, वर मांग लो। लेकिन अक्षोदा ने अपने पितरों की तरफ ध्यान नहीं दिया और वह अति तेजस्वी पितृ अमावसु को अपलक निहारती रही। Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha
पितरों के बार-बार कहने पर उसने कहा, ‘हे भगवन, क्या आप मुझे सचमुच वरदान देना चाहते हैं?’ इस पर तेजस्वी पितृ अमावसु ने कहा, ‘हे अक्षोदा वरदान पर तुम्हारा अधिकार सिद्ध है, इसलिए निस्संकोच कहो।’ अक्षोदा ने कहा,‘भगवन यदि आप मुझे वरदान देना ही चाहते हैं तो मैं तत्क्षण आपके साथ रमण कर आनंद लेना चाहती हूं।’
अक्षोदा के इस तरह कहे जाने पर सभी पितृ क्रोधित हो गए। उन्होंने अक्षोदा को श्राप दिया कि वह पितृ लोक से पतित होकर पृथ्वी लोक पर जाएगी। पितरों के इस तरह श्राप दिए जाने पर अक्षोदा पितरों के पैरों में गिरकर रोने लगी। इस पर पितरों को दया आ गई। उन्होंने कहा कि अक्षोदा तुम पतित योनि में श्राप मिलने के कारण मत्स्य कन्या के रूप में जन्म लोगी। Sarva Pitru Amavasya Katha
पितरों ने आगे कहा कि भगवान ब्रह्मा के वंशज महर्षि पाराशर तुम्हें पति के रूप में प्राप्त होंगे। तुम्हारे गर्भ से भगवान व्यास जन्म लेंगे। उसके उपरांत भी अन्य दिव्य वंशों में जन्म लेते हुए तुम श्राप मुक्त होकर पुन: पितृलोक में वापस आ जाओगी। पितरों के इस तरह कहे जाने पर अक्षोदा शांत हुई।
अमावसु के ब्रह्मचर्य और धैर्य की सभी पितरों ने सराहना की एवं वरदान दिया कि यह अमावस्या की तिथि ‘अमावसु’ के नाम से जानी जाएगी। जो प्राणी किसी भी दिन श्राद्ध न कर पाए वह केवल अमावस्या के दिन श्राद्ध-तर्पण करके सभी बीते चौदह दिनों का पुण्य प्राप्त करते हुए अपने पितरों को तृप्त कर सकते हैं। Sarva Pitru Amavasya Vrat Katha
तभी से प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है और यह तिथि ‘सर्वपितृ श्राद्ध’ के रूप में भी मानाई जाती है।
उसी पाप के प्रायश्चित हेतु कालान्तर में यही अच्छोदा महर्षि पराशर की पत्नी एवं वेदव्यास की माता सत्यवती बनी थी। तत्पश्यात समुद्र के अंशभूत शांतनु की पत्नी हुईं और दो पुत्र चित्रांगद तथा विचित्र वीर्य को जन्म दिया था इन्हीं के नाम से कलयुग में ‘अष्टका श्राद्ध’ मनाया जाता है। Sarva Pitru Amavasya Katha
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Yogy salah margdarshan thik hai. Sarahniye hai. Lekin kisi ko falithota hai kisi ko nhi ya fir kafi der se hoti hai. Kya karan hai mahraji? Kisi ko dob samay gyat nhi Hai Unhe kya krna chahiye?