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Rog Nashak Mantra गंभीर रोगों से मुक्ति दिला सकते हैं ये शास्त्रों में बताए गए ये रोग मुक्ति मंत्र

Rog Nashak Mantra गंभीर रोगों से मुक्ति दिला सकते हैं ये शास्त्रों में बताए गए ये रोग मुक्ति मंत्र : आज हम आपको यंहा Rog Nashak Mantra बताने जा रहे हैं। हमारे द्वारा बताये जा रहे रोग मुक्ति के उपाय को आप विश्वास एवं आस्था के साथ करते है, तो आपको आपकी बीमारी में सुधार नजर आता दिखेगा। विश्वास एवं आस्था इसलिए जरूरी है क्योंकि ज्योतिष ग्रहों के अनुसार काम करती है और हर ग्रहों के अपने अपने देवता है, और सब बीमारी का किसी ना किसी ग्रह से सबंध होता हैं।

यदि आप उस ग्रह की पूजा, शांति या मंत्रो से शांत करते है तो आपको ग्रहों सबंधित बीमारी में भी सुधार नजर आता दिखेंगा। यहां हम आपको कुछ बिमारियों के Rog Nashak Mantra बताने जा रहे हैं, जिनको पढ़कर करने से आप अपने रोगों को दूर कर सकते हैं।

गंभीर रोगों से मुक्ति दिला सकते हैं ये शास्त्रों में बताए गए ये रोग मुक्ति मंत्र

रोग नाशक मंत्र करने की विधि

Rog Nashak Mantra जप के लिए आसन (कुश/ऊनी), गोमुखी, रुद्राक्ष माला, पंचमात्र, आचमनी और शुद्ध जल। आदि सामग्री होनी चाहिए।

आचमन क्रिया

  • प्रथम आचमन – ॐ केशवाय नम:
  • द्वितीय आचमन – ॐ नारायणाय नम:
  • तृतीय आचमन – ॐ माधवाय नम:
  • चतुर्थ आचमन – हस्त प्रक्षालन।
  • ॐ गोविंदाय नम: बोलकर हाथ धो लें।

पूर्व अथवा पश्चिम की तरफ मुख करके स्नानादि करके शुद्ध कपड़े पहनकर आसन बिछाएं। अब उपरोक्त विधि से आचमन करें और Rog Nashak Mantra चयन कर पांच माला जप नियमित करें। माला गौमुखी में रखें और गौमुखी से तर्जनी उंगली बाहर रखें और मंत्र जप करें ।मंत्र जप न बहुत तेजी से हो और न ही धीमे, पर स्पष्ट उच्चारण आवश्यक शर्त है। एक दिन में एक ही समय Rog Nashak Mantra जप करें। जप की संख्या बढ़ा भी सकते हैं।

कैंसर रोग नाशक मंत्र

“ॐ नम: शिवाय शंभवे कर्केशाय नमो नम:।”

यह Rog Nashak Mantra किसी भी तरह के कैंसर रोग में लाभदायक होता है।

मस्तिष्क रोग नाशक मंत्र

“ॐ उमा देवीभ्यां नम:।”

यह Rog Nashak Mantra मस्तिष्क संबंधी विभिन्न रोगों जैसे सिरदर्द, हिस्टीरिया, याददाश्त जाने आदि में लाभदायी माना जाता है।

आंखों के रोग नाशक मंत्र

“ॐ शंखिनीभ्यां नम:।”

इस Rog Nashak Mantra से जातक को मोतियाबिंद सहित रतौंधी, नेत्र ज्योति कम होने आदि की परेशानी में लाभ मिलता है।

हृदय रोग नाशक मंत्र

“ॐ नम: शिवाय संभवे व्योमेशाय नम:।”

हृदय संबंधी रोगों से अधिकांश लोग पीड़ित होते हैं। इसलिए अगर वे इस Rog Nashak Mantra का जप करें, तो उन्हें लाभ मिलता है। या फिर

सोमवार को प्रातः काल स्नान आदि करके श्वेत वस्त्र धारण करें । सिर्फ कुश के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर प्रवाल की माला से “ॐ लं ललितादेवीभ्यां नमः” मंत्र का जाप 10000 बार 11 दिनों में पूर्ण करें। यदि आप ह्रदय रोगी हो तो नित्य प्रातः काल इस मंत्र का 11 बार जप करे और दाएं हाथ की अनामिका उंगली अपने हृदय पर रखें। हृदय रोगियों को लाभ होगा। इसी विधि से बुधवार की रात “ॐ धं धनुर्धरिभ्यां नमः” मंत्र को 1008 बार जप करके सिद्ध कर ले। अगर किसी को स्नायु से संबंधित रोग हो, तो प्रति दिन इस मंत्र को 108 वार जप ले। लाभ होगा।

स्नायु रोग नाशक मंत्र

“ॐ धं धर्नुधारिभ्यां नम:।”

कान संबंधी रोग नाशक मंत्र

“ॐ व्हां द्वार वासिनीभ्यां नम:।”

कर्ण विकारों को दूर करने में यह Rog Nashak Mantra आश्चर्यजनक भूमिका निभाता है।

कफ संबंधी रोग नाशक मंत्र

“ॐ पद्मावतीभ्यां नम:।”

श्वास रोग नाशक मंत्र

“ॐ नम: शिवाय संभवे श्वासेशाय नमो नम:।”

पक्षाघात रोग नाशक मंत्र

“ॐ नम: शिवाय शंभवे खगेशाय नमो नम:।”

पेट-दर्द, जलोदर, कब्ज, अम्लपित्त आदि रोग नाशक मंत्र

मंगलवार की रात में स्नान आदि करके सफेद वस्त्र धारण करे। फिर कुश के आसन पर बैठकर अपने सामने चीनी की कटोरी में थोड़ी-सी सफेद अजवाइन रखें। अब “ॐ शूं शूल धरिणीभ्यां नमः” मंत्र को 1008 बार जप कर सिद्ध कर लें। जब किसी व्यक्ति पेट से संबंधित कष्ट हो, इस Rog Nashak Mantra का 11 बार जप कर थोड़ी-सी अभिमंत्रित सफ़ेद अजवाइन रोगी को खिलाकर पानी पिला दे। पेट-दर्द, जलोदर, कब्ज, अम्लपित्त आदि रोगो में भी लाभ होगा।

कंठमाला य गले के दर्द दूर रोग नाशक मंत्र

“ॐ चिं चित्राघण्टाभ्यां नमः”

इस Rog Nashak Mantra को 1008 बार जप कर सिद्ध कर लें फिर नित्य 11 बार इसी Rog Nashak Mantra को पढ़कर जल को अभिमंत्रित करके इसका सेवन सुबह-शाम करे। इसे कंठमाला, गले के दर्द आदि का निवारण होता है।

हनुमान चालीसा का एक अन्य दोहा- “नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा“ का जाप जाप सर्व रोग निवारण उपाय में अन्यतम है।

एक अन्य मंत्र है “ॐ उग्रवीरं महाविष्णुं ज्वलंतं सर्वतो मुखम् | नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्।”

यह Rog Nashak Mantra सर्व रोग निवारण उपाय\मंत्र\यंत्र है | इसका जाप करने के पहल गणेश जी अर्चना करें। अपने पूर्वजों का स्मरण करें। अब नरसिंह भगवान की तस्वीर ले। उसका पूजन करें। अब अपने दाहिने हाथ में जल ले और विनियोग मंत्र का उच्चारण कर जमीन पर गिरा दें। मंत्र प्रारंभ करने के पहले दीपक जलाएं।

अगर आपको स्वस्थ्य सम्बंधित किसी भी तरह की कोई समस्या है तो इसके लिए आप उस समस्या के समाधान के लिए नीचे बताये गए Rog Nashak Mantra का जाप प्रतिदिन सुबह के समय नहा-धोकर पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके 27, 54, 107, 1007 बार करे आपको शीध्र ही फल मिलेगा:

Rog Nashak Mantra : “ॐ ह्रीम अर्हम स्वोम क्रीम च्रीम श्रीम प्रीम सर्व सम्पू भगवती, भट्टारी के महा पराक्रम वले महाशक्ते क्षाम क्षीम क्षूम माम रक्ष रक्ष स्वाहा”

रोग नाशक बीज मंत्र

बीज मंत्रो से अनेकों रोगों का निदान सफल है। आवश्यकता केवल अपने अनुकूल प्रभावशाली Rog Nashak Mantra चुनने और उसका शुद्ध उच्चारण से मनन-गुनन करने की है। बीज के अर्थ से अधिक आवश्यक उसका शुद्ध उच्चारण ही है। जब एक निश्चित लय और ताल से मंत्र का सतत् जप चलता है तो उससे नाडियों में स्पंदन होता है।

उस स्पदन के घर्षण से विस्फोट होता है और एनर्जी उत्पन होती है, जो षट्चक्रों को चैतन्य करती है। इस समस्त प्रक्रिया के समुचित अभ्यास से शरीर में प्राऔतिक रुप से उत्पन्न होते और शरीर की आवश्कता के अनुरुप शरीर का पोषण करने में सहायक हारमोन्स आदि का सामन्जस्य बना रहता है और तदनुसार शरीर को रोग से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है।

  • कां – पेट सम्बन्धी कोई भी विकार और विशेष रूप से आतों की सूजन में लाभकारी।
  • गुं – मलाशय और मूत्र सम्बन्धी रोगों में उपयोगी।
  • शं – वाणी दोष, स्वप्न दोष, महिलाओं में गर्भाशय सम्बन्धी विकार औेर हर्निया आदि रोगों में उपयोगी ।
  • घं – काम वासना को नियंत्रित करने वाला और मारण-मोहन उच्चाटन आदि के दुष्प्रभाव के कारण जनित रोग-विकार को शांत करने में सहायक।
  • ढं – मानसिक शांति देने में सहायक। अप्राऔतिक विपदाओं जैसे मारण, स्तम्भन आदि प्रयोगों से उत्पन्न हुए विकारों में उपयोगी।
  • पं – फेफड़ों के रोग जैसे टी.बी., अस्थमा, श्वास रोग आदि के लिए गुणकारी।
  • बं – शूगर, वमन, कक, विकार, जोडों के दर्द आदि में सहायक।
  • यं – बच्चों के चंचल मन के एकाग्र करने में अत्यत सहायक।
  • रं – उदर विकार, शरीर में पित्त जनित रोग, ज्वर आदि में उपयोगी।
  • लं – महिलाओं के अनियमित मासिक धर्म, उनके अनेक गुप्त रोग तथा विशेष रूप से आलस्य को दूर करने में उपयोगी।
  • मं – महिलाओं में स्तन सम्बन्धी विकारों में सहायक।
  • धं – तनाव से मुक्ति के लिए मानसिक संत्रास दूर करने में उपयोगी ।
  • ऐं- वात नाशक, रक्त चाप, रक्त में कोलस्ट्रोल, मूर्छा आदि असाध्य रागों में सहायक।
  • द्वां – कान के समस्त रोगों में सहायक।
  • ह्रीं – कफ विकार जनित रोगों में सहायक।
  • ऐं – पित जनित रोगों में उपयोगी।
  • वं – वात जनित रोगों में उपयोगी।
  • शुं – आतों के विकार तथा पेट सम्बन्धी अनेक रोगों में सहायक ।
  • हुं – यह बीज एक प्रबल एन्टीबॉइटिक सिद्व होता है। गाल ब्लैडर, अपच लिकोरिया आदि रोगों में उपयोगी।
  • अं – पथरी, बच्चों के कमजोर मसाने, पेट की जलन, मानसिक शान्ति आदि में सहायक इस बीज का सतत जप करने से शरीर में शक्ति का संचार उत्पन्न होता है।

संदर्भ: इस Rog Nashak Mantra गंभीर रोगों से मुक्ति दिला सकते हैं ये शास्त्रों में बताए गए ये रोग मुक्ति मंत्र की पोस्ट की सहायता को पढ़कर आपके जीवन में चल रहे बीमारी को बताये गये मंत्रो का जाप करने से मुक्ति या उसमें कमी ला सकते हैं।

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