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पंचोपचार पूजा विधि || Panchopchar Puja Vidhi || Panchopchar Pujan Vidhi
हमारे हिन्दू धर्म के मान्यता के अनुसार देवी देवताओं को प्रसन्न करने की अनेकों विधियां बताई गई हैं, आपको अनेकों प्रकार के मंत्र, तंत्र, ज्योतिष, पूजा-पाठ आदि हमारे हिंदू धर्म के ग्रंथों में निहित है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में देवी देवताओं की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करने हेतु भी कई विशेष पूजा विधियां हैं, जैसे कि पंचोपचार (5 प्रकार), दशोपचार (10 प्रकार), षोडशोपचार (16 प्रकार), द्वात्रिशोपचार (32 प्रकार), चतुषष्टि प्रकार (64 प्रकार), एकोद्वात्रिंशोपचार (132 प्रकार) आदि । इन सभी विधियों में सबसे अधिक सरल, सुगम एवं प्रचलित विधियां में पंचोपचार पूजन एवं षोडशोपचार पूजन हैं। हमारे घर या मंदिरों में किसी विशेष शुभ कार्यों में किए जाने वाली पूजन की विधि पंचोपचार व षोडशोपचार ही होती है। आइये हम आपको Panchopchar Pujan Vidhi कैसे की जाती हैं इसके बारे में पूर्ण रूप से बताने जा रहे हैं | Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे पंचोपचार पूजा विधि || Panchopchar Puja Vidhi || Panchopchar Pujan Vidhi को पढ़कर आप भी नित्य दैनिक पूजा पंचोपचार पूजन से करके अपने देवी या देवता को प्रसन्न कर सकते हो !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Panchopchar Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
पंचोपचार पूजा विधि || Panchopchar Puja Vidhi || Panchopchar Pujan Vidhi
पंचोपचार पूजा विधि कैसे करें || Panchopchar Puja Vidhi Kaise Kare || Panchopchar Pujan Vidhi Kaise Kare
हमारे हिन्दू धर्म के मान्यता अनुसार वैदिक, पौराणिक एवं तांत्रिक आदि पूजा में पंचोपचार पूजा करने का महत्त्व है। पंचोपचार पूजा करते समय वैदिक एवं पौराणिक मंत्रो का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा भी नित्य दैनिक देवी देवताओ पूजा में भी पंचोपचार पूजा की जाती हैं। नित्य दैनिक देवी देवताओ पूजा उनके स्तुति मंत्रो आदि द्वारा भी की जा सकती है। सर्वप्रथम अपने घर के पूजा स्थल को पूर्ण रूप से स्वच्छ, साफ, सुथरा और पवित्र करने के उपरांत ही अपनी पूजा आरम्भ करे।
आत्म शुद्धि पंचोपचार पूजा मंत्र || Aatm Shuddhi Panchopchar Puja Mantra ( आत्म शुद्धि मन्त्र )
सर्वप्रथम अपने बायें हाथ में शुद्ध जल लेकर दाहिने हाथ से नीचे बताये गये निम्न मंत्रो के उच्चारण के साथ अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर जल छिड़कना चाहिये –
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥
आचमन मंत्र || Aachman Mantra
नीचे बताये गये निम्न मन्त्रों को पढ़ते हुए तीन बार आचमन करें।
ॐ केशवाय नम:।
ॐ नारायणाय नम:।
ॐ माधवाय नम:।
फिर आखिर में यह निम्न मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें ।
ॐ हृषीकेशाय नम: ।
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तिलक लगाने का मंत्र || Tilak Lagane Ka Mantra
“ॐ चंदनस्य महत्पुण्यं पवित्रं पापनाशनम ।
आपदां हरते नित्यं लक्ष्मी: तिष्ठति सर्वदा ॥”
ऊपर दिए गये मंत्र उच्चारण करते हुए अपने माथे पर तिलक लगाये।
पंचोपचार पूजा मंत्र || Panchopchar Puja Mantra || Panchopchar Pujan Mantra
दैनिक पूजा का संकल्प मंत्र || Dainik Puja Sankalp Mantra
अपने हाथ में अक्षत-पुष्प आदि लेकर पूजन का सङ्कल्प करे –
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्यैतस्य (दिन में : अस्यां दिनमाने कहें / रात में : अस्यां रात्रौ कहें ) मासानाम् मासोतमे मासे ..आषाढ़…….. २ मासे …..कृष्ण……. ३ पक्षे ……..पूर्णिमा…. ४ तिथौ …..शानिवार…….५ वासरे ….भारद्वाज…….. ६ त्रोत्पन्नः ….ललित त्रिवेदी…….. ७ सपरिवारस्य सर्वारिष्ट निरसन पूर्वक सर्वपाप क्षयार्थं, दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, श्रुति स्मृति पुराणतन्त्रोक्त फल प्राप्तयर्थं, सकल मनोरथ सिध्यर्थं ….श्री लक्ष्मी नारायण ……….. ८ करिष्ये।
(Name of the year) नामा संवत्सरे,-Vilambi
(Name of the aayanam) आयने,-(Uttaraayan / Dakshinaayan)
(Name of the rithu) ऋतौ,-(Vasanth/ Greeshma/ Varsha/ Sharad/ Hemanth/ Shishir)
(Name of the month) मासे,-(Chaitra, Vaishaka, Jyeshta, Aashada, Sraavana, etc.)
(Name of the paksha) पक्षे,-(Shuklapaksh/ Krishnapaksh)
(Name of the thithi) तिथौ,-(Paadyami, Vidiya, Tadiya, Chaviti,… Pournamyam, etc.)
(Name of the day) वासरे,-(Sunday – Bhanu/ Monday – Indu/ Tues – Bhouma/ Wednes – Soumya/ Thurs -Guru/ Fri – Bhrugu/ Saturday – Sthira)
पंचोपचार पूजा ध्यान मंत्र || Panchopchar Puja Dhyan Mantra || Panchopchar Pujan Dhyan Mantra
भगवान श्री गणेश, श्री शिव, श्री विष्णु, देवी श्री लक्ष्मी, श्री काली, श्री सरस्वती, श्री दुर्गा आदि का ध्यान करते हुए उनके ध्यान मन्त्रों का उच्चारण करने के उपरान्त ध्यान मंत्र में दिए गये निम्न मंत्र से ध्यान को समर्पित करें।
संकल्प लेते समय अमुक के स्थान पर जिस देवी देवता का नाम लिया हो उसी देवी देवता का ध्यान मंत्र का उच्चारण करें। फिर गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य के मंत्रो द्वारा पंचोपचार पूजन किया जाता है।
विभिन्न देवी देवताओं के ध्यान मंत्र यंहा से पढ़े : Click Here
पंचोपचार पूजा में गन्ध (चन्दन) समर्पित करने का मंत्र || Panchopchar Puja Me Gandh ( Chandan ) Samarpit Karne Ka Mantra || Panchopchar Pujan Me Gandh ( Chandan ) Samarpit Karne Ka Mantra
नीचे दिए गये निम्न मंत्र का जाप करके गन्ध (चन्दन) समर्पित करें |
“ॐ श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् ।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दन प्रतिगृह्मयताम्।
चन्दन समर्पयामि॥”
चन्दन समर्पित करें। ( मानसिक रूप से भी समर्पित कर सकते है | )
पंचोपचार पूजा में पुष्प समर्पित करने का मंत्र || Panchopchar Puja Me Pushpa Samarpit Karne Ka Mantra || Panchopchar Pujan Me Pushpa Samarpit Karne Ka Mantra
नीचे दिए गये निम्न मंत्र का जाप करके पुष्प समर्पित करें |
“ॐ मल्लिकादिसुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयानीतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।
पुष्पाणि समर्पयामि॥”
पुष्प समर्पित करें।
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पंचोपचार पूजा में धुप समर्पित करने का मंत्र || Panchopchar Puja Me Dhup Samarpit Karne Ka Mantra || Panchopchar Pujan Me Dhup Samarpit Karne Ka Mantra
नीचे दिए गये निम्न मंत्र का जाप करके धूपबत्ती जलाकर समर्पित करें |
“ॐ वनस्पतिरसोद् भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः ।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ।
धूपमाघ्रापयामि ॥”
धूप जलाकर समर्पित करें।
पंचोपचार पूजा में दीप समर्पित करने का मंत्र || Panchopchar Puja Me Deep Samarpit Karne Ka Mantra || Panchopchar Pujan Me Deep Samarpit Karne Ka Mantra
नीचे दिए गये निम्न मंत्र का जाप करके दीपक जलाकर समर्पित करें |
“ॐ चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्योऽअजायत ।
श्रोत्राद् वायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत ॥”
दीपक जलाकर समर्पित करें।
पंचोपचार पूजा में नैवेद्य समर्पित करने का मंत्र || Panchopchar Puja Me Naivedyam Samarpit Karne Ka Mantra || Panchopchar Pujan Me Naivedyam Samarpit Karne Ka Mantra
नीचे दिए गये निम्न मंत्र का जाप करके नैवेद्य समर्पित करें |
“ॐ शर्करा खण्ड खाद्यादि दधि क्षीर घृतादिभिः।
आहारै र्भक्ष्यभोज्यैश्च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम् ।
नैवेद्यं निवेदयामि ॥”
नैवेद्यं समर्पित करें।
“ॐ प्राणाय स्वाहा ।
ॐ आपानाय स्वाहा ।
ॐ व्यानाय स्वाहा ।
ॐ उदानाय स्वाहा ।
ॐ समानाय स्वाहा ।
प्रत्येक स्वाहा बोलने के बाद आचमनी जल समर्पित करें।
इसके बाद इष्ट देवी या देवता का ध्यान मन्त्र करने के उपरांत उनका पंचोपचार पूजन आरम्भ करे इसके उपरान्त जिस भी देवी या देवता की पूजा कर रहे हो उसकी चालीसा, स्तोत्र, अष्टोत्तर शतनाम, कवच एवं आरती आदि का पाठ करें। और अंत में पुष्पांजलि समर्पित और प्रदक्षिणा करे।
आप किसी भी देवी या देवता का स्तोत्र, अष्टोत्तर शतनाम एवं कवच आदि का पाठ करना चाहते हो तो सीधे हमारी website पर जाकर आसानी से पढ़ सकते हो।
या फिर आप Google पर सर्च या बोल कर सर्च कर सकते हो जैसे की आपको माँ लक्ष्मी जी का स्तोत्र पढ़ना है तो
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लिखकर या बोलकर सर्च करके आसानी से किसी भी देवी या देवता का स्तोत्र प्राप्त कर सकते हो |
ऐसे ही आप माँ लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम पढ़ना है तो
Maa Lakshmi Ashtottara Stotrm Lalit Trivedi
लिखकर या बोलकर सर्च करके आसानी से किसी भी देवी या देवता का अष्टोत्तर शतनाम प्राप्त कर सकते हो |
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पंचोपचार पूजा में पुष्पांजलि समर्पित करने का मंत्र || Panchopchar Puja Me Pushpanjali Samarpit Karne Ka Mantra || Panchopchar Pujan Me Pushpanjali Samarpit Karne Ka Mantra
नीचे दिए गये निम्न मंत्र का जाप करके पुष्पांजलि समर्पित करें |
“ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
तेह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे सा्या सन्ति देवाः ॥”
“ॐ नानासुगन्धपुष्पाणि यथा कालोद्भवानि च ।
पुष्पांजलिर्मया दत्ता गृहाण परमेश्वर ॥”
पुष्पांजलि समर्पित करें।
पंचोपचार पूजा में प्रदक्षिणा करने का मंत्र || Panchopchar Puja Me Pradakshina Karne Ka Mantra || Panchopchar Pujan Me Pradakshina Samarpit Karne Ka Mantra
“ॐ यानि कानि च पापानि ज्ञाताज्ञातकृतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणायाः पदे पदे”
प्रदक्षिणां करें।
नित्य पूजा या छोटी पूजा में पंचोपचार पूजा करते है और अनुष्ठानो में देवी देवताओ की षोडशोपचार पूजा की जाती है। षोडशोपचार पूजा वैदिक मंत्रो, पौराणिक मंत्रो की जाती है। इसके अलावा देवी देवताओ के स्तुति मंत्रो के द्वारा षोडशोपचार पूजा की जा सकती है। जैसे:- पुरुष सूक्त, रूद्र सूक्त इत्यादि।
निम्न प्रमुख देवताओं की नित्य दैनिक पूजा विधि की जाती हैं ?
भगवान श्री गणेश, शिव, विष्णु
निम्न प्रमुख देवियों की नित्य दैनिक पूजा विधि की जाती हैं ?
श्री लक्ष्मी, काली, सरस्वती, दुर्गा
पंचोपचार पूजा विधि के नियम || Panchopchar Puja Vidhi Ke Niyam || Panchopchar Pujan Vidhi Ke Niyam
पंचोपचार पूजन विधि को पंचोपचार इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि इसमें पांच प्रकार से भगवान का पूजन किया जाता है। आइए जानते हैं इन 5 प्रकार से भगवान के पूजन करने का विधि विधान –
- सर्वप्रथम Panchopchar Puja में देवी या देवताओं को चंदन लगाने का भाव करते है, इसमें हल्दी, कुमकुम आदि को अपने दांये हाथ की अपनी अनामिका उंगली ( कनिष्ठा के समीप वाली उंगली से ) देवी-देवताओं की प्रतिमा पर तिलक लगाना चाहिए। तिलक लगाने के पश्चात दांये हाथ के अंगूठे और अनामिका के बीच चुटकी भर हल्दी या कुमकुम लेकर भगवान के चरणों में अर्पित करना चाहिए।
- Panchopchar Puja के दुसरे चरण में देवी देवताओं को गंध अर्थात चंदन का अर्पण करने के पश्चात पल्लव अर्थात पत्र व पुष्प चढ़ाना या अर्पित करना चाहिए। ध्यान रहे देवी देवताओं को चढ़ाए जाने वाला पुष्प/फुल पल्लव कागज और प्लास्टिक इत्यादि का यानी कि कृत्रिम नही होना चाहिए, भगवान को चढ़ाए जाने वाले पुष्प ताजे एवं सात्विक होने चाहिए। देवताओं को पुष्प चढ़ाने से पहले पत्र जैसे कि भगवान शिवजी को बेलपत्र, गणेश जी को दूर्वा, कलश पूजन में आम के पल्लव आदि भिन्न-भिन्न प्रकार की पत्रों का अर्पण किया जाता है। पुष्प भी देवी-देवताओं के अनुरूप में चढ़ाए या अर्पित किये जाते हैं, जैसे कि शिवजी को धतूरे का पुष्प (फूल), दुर्गा माता को लाल रंग के पुष्प, भगवान विष्णु को पीले रंग के पुष्प आदि का अर्पित किये जाते है।
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- पंचोपचार पूजन में पुष्प अर्पित करने के बाद Panchopchar Puja के तीसरे चरण में धूप दिखाने का विधान है। धूप के तौर पर धूपबत्ती अथवा धूमन आदि का प्रयोग किया जाता है। परन्तु धूप दिखाते समय विशेष ख्याल रखे की देवी देवताओं को धूप हाथों से ना फैलाएं। और धूपबत्ती दिखाते समय घंटी भी बजानी चाहिए, इससे देवी देवता जागृत अवस्था में रहते हैं। धूप दिखाने हेतु देवी देवताओं की विशिष्ट सुगंधित धूपबत्ती आदि का प्रयोग आरती उतारने में भी करना चाहिए। जैसे कि शिव जी के लिए हीना, श्री लक्ष्मी जी के लिए गुलाब आदि का प्रयोग करना चाहिए।
- धूप दिखाने के पश्चात Panchopchar Puja के चौथे चरण में दीपक जलाना चाहिए। संभव हो तो गाय का शुद्ध घी या सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए। आरती करते समय आप बाएं हाथ से घंटी अथवा शंखनाद करना चाहिए। दीपक जलाते समय यह बात का विशेष ख्याल रखे की कभी भी एक दीपक से दूसरा दीपक नहीं जलाया जाता है, और ना ही तेल के दीपक से घी के दीपक जलाए जाते हैं। साथ ही एक ही बत्ती का एक बार से अधिक आरती में प्रयोग नही किया जाना चाहिए।
- पंचोपचार पूजन के पांचवी विधि यानि की आखरी विधि में नैवेद्य समर्पित करने की होती है। नैवेद्य अर्थात मेवा, मिष्ठान, मिठाई आदि। नैवेद्य के निर्माण में सात्विकता बरतना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। इसमें शुद्ध पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए। कोशिश करें कि इसे बाहर से लाने या मंगवाने की जगह आप स्वयं घर में ही तैयार किया जाए।
- नैवेद्य में अर्पित होने वाली वस्तुओं का अधिक महत्व उसकी शुद्धता पर होता है। नैवेद्य में नमक, मिर्च अथवा अन्य तामसिक पदार्थों का स्पर्श मात्र ही अपवित्र कर देता है। अत एव नैवेद्य की पवित्रता एवं स्वच्छता का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक होता है। नैवेद्य अर्पित करते समय इष्ट देव से प्रार्थना कर देवी देवता की प्रतिमा के समीप भूमि पर रखने से पहले जल से चोकोर मंडल निर्मित करें। उसके बाद उस पर नैवेद्य की थाली रखकर घड़ी के सुई के घूमने की दिशा में जल से तीन बार फेरा लगाएं। साथ ही मन ही मन यह भावना रखें कि हमारे द्वारा अर्पित किया जा रहा नैवेद्य भगवान के भोजन में पंहुच रहा है। ऐसी भावना रखें कि आप अपने हाथों से अपने आराध्य देव या देवी को नैवेद्य ( मेवा मिष्ठान ) का भोग लगा रहे हैं।
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