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पद्मनाभ द्वादशी पूजा विधि || Padmanabha Dwadashi Puja Vidhi
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन पद्मनाभ द्वादशी का व्रत व पूजन किया जाता हैं। हिंदु मान्यता के अनुसार भगवान पद्मनाभ को जाग्रत अवस्था में आने के लिये अंगड़ाई लेते हैं और पद्मम पर आसीन ब्रह्मा जी “ॐकार” की ध्वनि करते हैं। पद्मनाभ द्वादशी का व्रत एवं पूजन करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। हम यंहा आपको एकादशी व्रत कैसे किया जाता है इसके बारे में बताने जा रहे हैं ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे पद्मनाभ द्वादशी पूजा विधि || Padmanabha Dwadashi Puja Vidhi को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीक़े से पद्मनाभ द्वादशी व्रत व पूजा कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Ekadashi Vrat Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
पद्मनाभ द्वादशी पूजा विधि || Padmanabha Dwadashi Puja Vidhi
पद्मनाभ द्वादशी कब मनाई जाती हैं ? || Padmanabha Dwadashi Kab Manai Jati Hain ?
पद्मनाभ द्वादशी का व्रत एवं पूजा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन मनाई जाती है ।
पद्मनाभ द्वादशी कब हैं? 2021 || Padmanabha Dwadashi Kab Hai? 2021
इस वर्ष 2021 में पद्मनाभ द्वादशी का व्रत एवं पूजन 17 अक्टूबर, 2021 वार रविवार के दिन किया जायेगा।
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पद्मनाभ द्वादशी का महत्व || Padmanabha Dwadashi Ka Mahatva / Labh / Fayde
पद्मनाभ द्वादशी का व्रत एवं पूजन करने से व्यक्ति के ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति व सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं। जातक की समस्त मनोकामना पूरी होती हैं। व्यक्ति का समाज में यश और बल में वृद्धि और समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती हैं। पद्मनाभ द्वादशी का व्रत एवं पूजन जातक को आध्यात्मिक शांति और उन्नति प्राप्त होती हैं।
पद्मनाभ द्वादशी पूजा मुहूर्त || Padmanabha Dwadashi Puja Muhurat Time
सुबह 09:22 से दोपहर 12:12 तक,
दोपहर 01:38 से दोपहर 03:02 तक,
पद्मनाभ द्वादशी पूजा विधि || Padmanabha Dwadashi Puja Vidhi
पद्मनाभ द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा-अर्चना किये जाने का विधान हैं। इस स्वरूप में भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हुये हैं, इसलिये Padmanabha Dwadashi Puja के लिये वही प्रतिमा लें जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हों।
- पद्मनाभ द्वादशी के दिन जातक को प्रातःकाल सूर्यादय से पूर्व उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर स्नानादि करके साफ़ कपड़े धारण करें।
- उसके बाद अपने पूजा स्थल पर जाकर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान श्री विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें।
- फिर अपने हाथ में जल लेकर पद्मनाभ द्वादशी के व्रत व पूजा का संकल्प लें।
- तत्पश्चात् एक पीतल का कलश स्थापित करके कलश में जल, रोली, कुछ सिक्के डालें, और कलश के मुख पर अशोक या आम के पत्ते रखकर उस पर नारियल रखें।
- उसमें बाद भगवान पद्मनाभ को दूध से स्नान कराकर उन पर चन्दन का लेप करें।
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- धूपबत्ती-दीप जलाकर भगवान पद्मनाभ की यथाविधि पूजन करें। उन्हे फल-लाल फूल अर्पित करें।
- भगवान को भोग (नैवेद्य) अर्पित करें। भोग में गेहूं व गुड़ के दलिए का भोग लगाएं क्योकि भगवान पद्मनाभ को गुड़ अतिप्रिय हैं। व 12 तुलसी पत्र अवश्य चढ़ाये और नीचे बताये गये मंत्र की लाल चंदन की माला से 108 बार जाप करें।
- फिर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करके आरती करके पूजा समापन करें।
- Padmanabha Dwadashi Puja अर्चना के बाद केले वृक्ष की पूजा-अर्चना करें। और उसके नीचे घी का दीपक जलाए।
- फिर ब्राह्मण को भोजन कराकर अपनी यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।
- संध्या के समय भगवान पद्मनाभ के समक्ष दीपक जलाकर आरती करके उसके पश्चात ही भोजन करें। इस दिन एक ही समय भोजन करें।
पद्मनाभ द्वादशी पूजा मंत्र || Padmanabha Dwadashi Puja Mantra
ॐ पद्मनाभाय नम:।।
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पद्मनाभ द्वादशी पर नया कार्य आरम्भ करना शुभ रहता हैं || Padmanabha Dwadashi Par Shuru Kare Naya Kaam
हमारे हिंदु मान्यता के अनुसार पद्मनाभ द्वादशी तिथि को अत्यधिक शुभ माना जाता हैं। ऐसा कहा जाता है कि किसी को यदि कोई नया व्यवसाय आरम्भ करना हो तो, उसके लिये पद्मनाभ द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ रहता हैं। जो भी कार्य इस दिन शुरू किया जाता है, उसका परिणाम उसके उम्मीद से कही ज्यादा अधिकअच्छा होता हैं। इसके अलावा इस दिन यात्रा प्रारम्भ करना भी अत्यत शुभफलदायक रहता हैं।
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