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मंगला गौरी व्रत पूजा विधि || Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi
हम यंहा आपको मंगला गौरी व्रत पूजा की सम्पूर्ण विधि बताने जा रहे हैं, इस पोस्ट के माध्यम से आप भी Mangla Gauri Vrat Puja की सही तरह से कर सकते हैं ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे मंगला गौरी व्रत पूजा विधि || Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi || Mangla Gauri Vrat Udyapan Vidhi को पढ़कर आप मंगला गौरी की सही तरह से सम्पूर्ण पूजा कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि || Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi
मंगला गौरी व्रत पूजा सामग्री || Mangla Gauri Vrat Puja Samagri
जातक को Mangla Gauri Vrat Puja के लिए फल, फूलों की मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग, जीरा, धनिया ( सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए ), साडी सहित सोलह श्रंगार की 16 वस्तुएं, 16 चूडियां इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के सूखे मेवे 16 बार. सात प्रकार के धान्य (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) 16 बार.
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मंगला गौरी व्रत पूजा कैसे करें || Mangla Gauri Vrat Puja Kaise Kare
इस Mangla Gauri Vrat Puja को करने वाली महिलाओं को श्रावण मास के प्रथम मंगलवार के दिन इन व्रतों का संकल्प सहित प्रारम्भ करना चाहिए. श्रावण मास के प्रथम मंगलवार की सुबह, स्नान आदि से निर्वत होने के बाद, मंगला गौरी की मूर्ति या फोटो को लाल रंग के कपडे से लिपेट कर, लकडी की चौकी पर रखा जाता है. इसके बाद गेंहूं के आटे से एक दीया बनाया जाता है, इस दीये में 16-16 तार कि चार बतियां कपडे की बनाकर रखी जाती है.
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मंगला गौरी व्रत पूजा की विधि || Mangla Gauri Vrat Puja Ki Vidhi
Mangla Gauri Vrat Puja करने वाले व्रती को सुबह स्नान आदि कर व्रत का प्रारम्भ किया जाता हैं.
एक चौकी पर सफेद लाल कपडा बिछाना चाहियें.
सफेद कपडे पर चावल से नौ ग्रह बनाते है, तथा लाल कपडे पर षोडश माताएं गेंहूं से बनाते है.
चौकी के एक तरफ चावल और फूल रखकर गणेश जी की स्थापना की जाती है.
दूसरी और गेंहूं रख कर कलश स्थापित करते हैं.
कलश में जल रखते है.
आटे से चौमुखी दीपक बनाकर कपडे से बनी 16-16 तार कि चार बतियां जलाई जाती है.
सबसे पहले श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है.
पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लोंग, पान,चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं.
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इसके पश्चात कलश का पूजन भी श्री गणेश जी की पूजा के समान ही किया जाता है.
फिर नौ ग्रहों तथा सोलह माताओं की पूजा की जाती है. चढाई गई सभी सामग्री ब्राह्माण को दे दी जाती है.
मंगला गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करा, वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी व काजल लगाते है. श्रंगार की सोलह वस्तुओं से माता को सजाया जाता हैं.
सोलह प्रकार के फूल- पत्ते माला चढाते है, फिर मेवे, सुपारी, लौग, मेंहदी, शीशा, कंघी व चूडियां चढाते है.
अंत में मंगला गौरी व्रत की कथा सुनी जाती हैं. मंगला गौरी की पूजा मंत्र को करके मंगला गौरी की आरती करे.
कथा सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास तथा ननद को सोलह लड्डु देती हैं. इसके बाद वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देती हैं. अंतिम व्रत के दूसरे दिन बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी या पोखर में विर्सिजित कर दिया जाता हैं.
मंगला गौरी व्रत पूजा मंत्र || Mangla Gauri Vrat Puja Mantra
दिए गये Mangla Gauri Vrat Puja Mantra को कम से कम 11, 21, 51, 108 बार या अपनी श्रध्दा के अनुसार जाप करना चाहिए !
मंत्र : सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरणनेताम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते..
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पुरूष क्या करें :
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार Mangla Gauri Vrat Puja से मंगलिक योग का कुप्रभाव भी काम होता है। पुरूषों को इस दिन मंगलवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी कुण्डली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होता है और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
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मंगला गौरी पूजा व्रत उद्यापन विधि || Mangla Gauri Puja Vrat Udyapan Vidhi
मंगला गौरी पूजा व्रत का उद्यापन आखरी मंगलवार को किसी पंडित या पुरोहित या आचार्य जी को सोलह सुहागन स्त्रियों को भोजन करा कर मंगला गौरी पूजा व्रत उद्यापन करना चाहिए ! Mangla Gauri Vrat Puja Udyapan वाले दिन हर मंगलवार की तरह ही पूजा करनी चाहिए ! आखरी मंगलवार को समस्त परिवार के साथ हवन करना चाहिए ! हवन पूर्णाहुति के बाद मंगला गौरी की आरती करे ! इस प्रकार से मंगला गौरी व्रत का उद्धयापन किया जाता है !
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