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मंगला गौरी व्रत कथा || Mangla Gauri Vrat Katha || Mangala Gauri Vrat Story
मंगला गौरी व्रत कब करे || Mangla Gauri Vrat Kab Kare
मंगला गौरी व्रत ( Mangla Gauri Vrat Katha ) श्रावण मास के प्रथम मंगलवार से प्रारम्भ करना चाहिए !
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मंगला गौरी व्रत के लाभ || Mangla Gauri Vrat Katha Ke Labh
Mangla Gauri Vrat Katha करने से महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक सुख में कमी या विवाह के बाद अलगाव, मांगलिक दोष, दांम्पत्य जीवन में परेशानी आदि अशुभ योग़ कुंडली में होने पर !
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मंगला गौरी व्रत कथा || Mangla Gauri Vrat Katha || Mangala Gauri Vrat Story
कुण्डिन नगर में धर्मपाल नामक एक धनी सेठ रहता था। उसकी पत्नी सती, साध्वी एवं पतिव्रता थी। परंतु उनके कोई पुत्र नहीं था। सब प्रकार के सुखों से समृद्ध होते हुए भी वे दम्पति बड़े दुःखी रहा करते थे। उनके यहां एक जटा रुद्राक्ष मालाधारी भिक्षुक प्रतिदिन आया करते थे। सेठानी ने सोचा कि भिक्षुक को कुछ धन आदि दें, सम्भव है इसी पुण्य से मुझे पुत्र प्राप्त हो जाए। ऐसा विचारकर पति की सम्पति से सेठानी ने भिक्षुक की झोली में छिपाकर सोना डाल दिया। परंतु इसका परिणाम उलटा ही हुआ भिक्षुक अपरिग्रह व्रती थे, उन्होंने अपना व्रत भंग जानकर सेठ-सेठानी को संतान हीनता का शाप दे डाला। फिर बहुत अनुनय-विनय करने से उन्हें गौरी की कृपा से एक अल्पायु पुत्र प्राप्त हुआ। उसे गणेश ने सोलह वें वर्ष में सर्प दंश का शाप दे दिया था। परंतु उस बालक का विवाह ऐसी कन्या से हुआ, जिसकी माता ने मंगलागौरी-व्रत किया था। उस व्रत के प्रभाव से उत्पन्न कन्या विधवा नहीं हो सकती थी। अतः वह बालक शतायु हो गया। न तो उसे सांप ही डंस सका और ही यम दूत सोलहवें वर्ष में उसके प्राण ले जा सके। इसलिए यह व्रत प्रत्येक नवविवाहिता को करना चाहिए। Mangla Gauri Vrat Katha
मंगला गौरी व्रत श्रावण मास में पडने वाले सभी मंगलवार को रखा जाता है. श्रावण मास में आने वाले सभी व्रत-उपवास व्यक्ति के सुख- सौभाग्य में वृ्द्धि करते है. सौभाग्य से जुडे होने के कारण इस व्रत को विवाहित महिलाएं और नवविवाहित महिलाएं करती है. इस उपवास को करने का उद्धेश्य अपने पति व संतान के लम्बें व सुखी जीवन की कामना करना है.
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जिन महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक सुख में कमी या विवाह के बाद अलगाव जैसे अशुभ योग बन रहे हों, उन महिलाओं को भी यह व्रत विशेष रुप से करना चाहिए. इस व्रत के विषय में यह मान्यता है, कि यह उपवास नियम अनुसार किया जायें तो वैवाहिक सुख को बढाता है, तथा दांम्पत्य जीवन को सुखमय बनाये रखने में सहयोग करता है. Mangla Gauri Vrat Katha
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