महामृत्युंजय स्तोत्र || Maha Mrityunjaya Stotram || Mrityunjaya Stotram

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महामृत्युंजय स्तोत्र || Maha Mrityunjaya Stotram || Mrityunjaya Stotram

महा मृत्युंजय स्तोत्रम् के रचियता ऋषि मार्कंडेय ने की हैं ! Maha Mrityunjaya Stotram भगवान शिव जी का स्तोत्र हैं ! महा मृत्युंजय स्तोत्रम् के नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय, दुर्घटना संबधित परेशानी, रोग निदान, मुत्यु तुल्य कष्ट आदि से मुक्ति पाता हैं ! मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए Maha Mrityunjaya Stotram का पाठ करना चाहिए ! महा मृत्युंजय स्तोत्रम् आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Maha Mrityunjaya Stotram By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

महामृत्युंजय स्तोत्र || Maha Mrityunjaya Stotram || Mrityunjaya Stotram

ॐ अस्य श्री महा मृत्युंजय स्तॊत्र मंत्रस्य

श्री मार्कांडॆय ऋषिः अनुष्टुप् छंदः

श्री मृत्युंजयॊ दॆवता गौरीशक्तिः मम सर्वारिष्ट

समस्त मृत्त्युशांत्यर्थं सकलैश्वर्य प्राप्त्यर्थं

जपॆ विनियॊगः अथ ध्यानम्

चंद्रर्काग्निविलॊचनं स्मितमुखं पद्मद्वयांतः स्थितम्’

मुद्रापाश मृगाक्ष सत्रविलसत् पाणिं हिमांशुं प्रभुम्

कॊटींदु प्रहरत् सुधाप्लुत तनुं हारादिभोषॊज्वलं

कांतं विश्वविमॊहनं पशुपतिं मृत्युंजयं भावयॆत्

ॐ रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकंठमुमापतिम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १ ॥

नीलकंठं कालमूर्तिं कालज्ञं कालनाशनम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ २ ॥

नीलकंठं विरूपाक्षं निर्मलं निलयप्रदम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ३ ॥

वामदॆवं महादॆवं लॊकनाथं जगद्गुरम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ४ ॥

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दॆवदॆवं जगन्नाथं दॆवॆशं वृषभध्वजम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ५ ॥

गंगादरं महादॆवं सर्पाभरणभूषितम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ६ ॥

त्र्यक्षं चतुर्भुजं शांतं जटामुकुटधारणम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ७ ॥

भस्मॊद्धूलितसर्वांगं नागाभरणभूषितम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ८ ॥

अनंतमव्ययं शांतं अक्षमालाधरं हरम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ९ ॥

आनंदं परमं नित्यं कैवल्यपददायिनम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १० ॥

अर्धनारीश्वरं दॆवं पार्वतीप्राणनायकम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ ११ ॥

प्रलयस्थितिकर्तारं आदिकर्तारमीश्वरम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १२ ॥

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व्यॊमकॆशं विरूपाक्षं चंद्रार्द्ध कृतशॆखरम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १३ ॥

गंगाधरं शशिधरं शंकरं शूलपाणिनम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १४ ॥

अनाथं परमानंदं कैवल्यपददायिनम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १५ ॥

स्वर्गापवर्ग दातारं सृष्टिस्थित्यांतकारिणम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १६ ॥

कल्पायुर्द्दॆहि मॆ पुण्यं यावदायुररॊगताम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १७ ॥

शिवॆशानां महादॆवं वामदॆवं सदाशिवम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १८ ॥

उत्पत्ति स्थितिसंहार कर्तारमीश्वरं गुरुम्‌ ।

नमामि शिरसा दॆवं किं नॊ मृत्यु: करिष्यति ॥ १९ ॥

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फलश्रुति

मार्कंडॆय कृतं स्तॊत्रं य: पठॆत्‌ शिवसन्निधौ ।

तस्य मृत्युभयं नास्ति न अग्निचॊरभयं क्वचित्‌ ॥ २० ॥

शतावृतं प्रकर्तव्यं संकटॆ कष्टनाशनम्‌ ।

शुचिर्भूत्वा पठॆत्‌ स्तॊत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम्‌ ॥ २१ ॥

मृत्युंजय महादॆव त्राहि मां शरणागतम्‌ ।

जन्ममृत्यु जरारॊगै: पीडितं कर्मबंधनै: ॥ २२ ॥

तावकस्त्वद्गतप्राणस्त्व च्चित्तॊऽहं सदा मृड ।

इति विज्ञाप्य दॆवॆशं त्र्यंबकाख्यममं जपॆत्‌ ॥ २३ ॥

नम: शिवाय सांबाय हरयॆ परमात्मनॆ ।

प्रणतक्लॆशनाशाय यॊगिनां पतयॆ नम: ॥ २४ ॥

॥ इती श्री मार्कंडॆयपुराणॆ महा मृत्युंजय स्तॊत्रं संपूर्णम्‌ ॥

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