कनकधारा स्तोत्रम् || Kanakadhara Stotram || Kanakadhara Stotra

कनकधारा स्तोत्रम्, Kanakadhara Stotram, Kanakadhara Stotram Ke Fayde, Kanakadhara Stotram Ke Labh, Kanakadhara Stotram Benefits, Kanakadhara Stotram Pdf, Kanakadhara Stotram Mp3 Download, SKanakadhara Stotram Lyrics.

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope  ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

नोट : यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

30 साल के फ़लादेश के साथ वैदिक जन्मकुंडली बनवाये केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

कनकधारा स्तोत्रम् || Kanakadhara Stotram || Kanakadhara Stotra

श्री कनकधारा स्तोत्रम् के रचियता आदी गुरु शंकराचार्य जी हैं ! Kanakadhara Stotram पूर्ण रूप से संस्कृत भाषा में हैं ! श्री कनकधारा स्तोत्रम् माँ लक्ष्मी जी का भजन हैं ! इसमें कुल 21 श्लोक हैं ! कनकधारा शब्द का अर्थ है “आसमान से सोने का की वर्षा होना” ! कनकधारा स्तोत्रम् से माँ लक्ष्मी जी का आवाहन किया जाता हैं ! यह तो आप सब जानते है माँ लक्ष्मी जी भगवान श्री विष्णु जी की पत्नी है और माँ लक्ष्मी जी की धन की देवी भी कहा जाता हैं ! जो भी जातक श्री कनकधारा स्तोत्रम् का नियमित रूप से पाठ करता हैं उस व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि की बर्षा होने लगाती हैं उसे धन के मामले में कभी दुःख प्राप्त नही होता हैं ! क्योंकि उस पर धन की देवी माँ लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती हैं ! Kanakadhara Stotram के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Kanakadhara Stotram By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

कनकधारा स्तोत्रम् || Kanakadhara Stotram || Kanakadhara Stotra

॥ अथ श्री कनकधारा स्तोत्रम् ॥

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।

अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥१॥

मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि।

मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥

विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्ष आनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि।

ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्ध मिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः ॥३॥

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्।

आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥४॥

बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।

कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला, कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥५॥

[AdSense-A]

कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव।

मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥६॥

प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत् प्रभावान् माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।

मय्यापतेत्तदिह मन्थर-मीक्षणार्धं मन्दाऽलसञ्च मकरालय-कन्यकायाः ॥७॥

दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा मस्मिन्नकिञ्चन विहङ्गशिशौ विषण्णे।

दुष्कर्म-घर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण-प्रणयिनी नयनाम्बुवाहः ॥८॥

इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।

दृष्टिः प्रहृष्ट-कमलोदर-दीप्तिरिष्टां पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः ॥९॥

गीर्देवतेति गरुडध्वजभामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर-वल्लभेति।

सृष्टि-स्थिति-प्रलय-केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै ॥१०॥

श्रुत्यै नमोऽस्तु नमस्त्रिभुवनैक-फलप्रसूत्यै रत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणाश्रयायै।

शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्र निकेतनायै पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तम-वल्लभायै ॥११॥

नमोऽस्तु नालीक-निभाननायै नमोऽस्तु दुग्धोदधि-जन्मभूत्यै।

नमोऽस्तु सोमामृत-सोदरायै नमोऽस्तु नारायण-वल्लभायै ॥१२॥

[AdSense-B]

नमोऽस्तु हेमाम्बुजपीठिकायै नमोऽस्तु भूमण्डलनायिकायै।

नमोऽस्तु देवादिदयापरायै नमोऽस्तु शार्ङ्गायुधवल्लभायै ॥१३॥

नमोऽस्तु देव्यै भृगुनन्दनायै नमोऽस्तु विष्णोरुरसि स्थितायै।

नमोऽस्तु लक्ष्म्यै कमलालयायै नमोऽस्तु दामोदरवल्लभायै ॥१४॥

नमोऽस्तु कान्त्यै कमलेक्षणायै नमोऽस्तु भूत्यै भुवनप्रसूत्यै।

नमोऽस्तु देवादिभिरर्चितायै नमोऽस्तु नन्दात्मजवल्लभायै ॥१५॥

सम्पत्कराणि सकलेन्द्रिय-नन्दनानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरुहाक्षि।

त्वद्-वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि मामेव मातरनिशं कलयन्तु नान्यत् ॥१६॥

यत्कटाक्ष-समुपासनाविधिः सेवकस्य सकलार्थसम्पदः।

सन्तनोति वचनाऽङ्गमानसैः स्त्वां मुरारि-हृदयेश्वरीं भजे ॥१७॥

सरसिज-निलये सरोजहस्ते धवळतरांशुक-गन्ध-माल्यशोभे।

भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन-भूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥१८॥

[AdSense-C]

दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्ट स्वर्वाहिनीविमलचारु-जलप्लुताङ्गीम्।

प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिराजगृहिणीम मृताब्धिपुत्रीम् ॥१९॥

कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूर-तरङ्गितैरपाङ्गैः।

अवलोकय मामकिञ्चनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः ॥२०॥

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमीभिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।

गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते भुविबुधभाविताशयाः ॥२१॥

॥ श्रीमदाध्यशङ्कराचार्यविरचितं श्री कनकधारा स्तोत्रम् समाप्तम् ॥

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope  ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges  ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678

<<< पिछला पेज पढ़ें                                                                                                                      अगला पेज पढ़ें >>>


यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services )

यह पोस्ट आपको कैसी लगी Star Rating दे कर हमें जरुर बताये साथ में कमेंट करके अपनी राय जरुर लिखें धन्यवाद : Click Here

Scroll to Top