Holika Dahan Puja Vidhi होलिका दहन की पूजा विधि कैसे करें, जानें होलिका दहन पूजा शुभ मुहूर्त : होली का नाम सुनते ही अपने मन व दिल में आनन्द व उल्लास के गुब्बारे खिल जाते है। क्योंकि यह पर्व ही कुछ ऐसा है। होली का पर्व सारे देश में किसी ना किसी रूप में बनाया जाता है। यह तो आप सब जानते हो की होली हर वर्ष की फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनायी जाती है। तथा भद्रारहित समय में होली का दहन किया जाता हैं। हमारे द्वारा बताये जा रहे Holika Dahan Puja Vidhi को पढ़कर आप भी होलिका दहन की पूजा सही तरह से कर सकते हैं।
हमारे द्वारा बताई जा रही इस जानकारी को ध्यानपूर्वक धीरे धीरे से पढ़ें, जिससे आपके मन में इस पोस्ट को लेकर किसी भी प्रकार की कोई शंका ना रहे जाये। और यदि आपके मन में इस पोस्ट को लेकर कोई प्रशन हैं। तो आप हमें पोस्ट के नीचे जाकर कमेंट करके अपना प्रशन पूछ सकते हैं आपको वहां जवाब दे दिया जायेगा। धन्यवाद जय श्री राम
Holika Dahan Puja Vidhi होलिका दहन की पूजा विधि कैसे करें, जानें होलिका दहन पूजा शुभ मुहूर्त
जीवन भर के उपाय के साथ बनवाये वैदिक जन्म कुण्डली केवल 500/- रूपये में
10 साल उपाय के साथ बनवाए लाल किताब कुण्डली केवल 500/- रूपये में
होलिका दहन पूजा कब है? 2024
होलिका दहन पूजा फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती हैं। इस साल Holika Dahan Puja 2024 में 24 मार्च, वार रविवार के दिन मनाई जाएगी।
होलिका दहन पूजा मुहूर्त 2024
सुबह 09:33 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक,
दोपहर 02:05 बजे से दोपहर 03:35 बजे तक,
ऊपर बताये गये समय में Holika Dahan Puja करना शुभ रहेगा।
होलिका दहन पूजा सामग्री
आप Holika Dahan Puja में गोबर से बने बड़कूले, रोली, मौली, अक्षत, धुपबत्ती, फूलमाला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग-चावल, फूले, बताशे, गुलाल, नारियल, जल का लोटा, गेहूं की नई हरी बालियां, हरे चने का पौधा आदि ।
होलिका दहन पूजा में बड़कूले कितने होने चाहिए
होलिका दहन से दस बारह दिन पहले शुभ दिन देखकर गोबर से सात बड़कूले बनाये जाते है। गोबर से बने बड़कूले को भरभोलिए भी कहा जाता है। पाँच बड़कूले छेद वाले बनाये जाते है ताकि उनको माला बनाने के लिए पिरोया जा सके।
दो बड़कूले बिना छेद वाले बनाये जाते है । इसके बाद गोबर से ही सूरज, चाँद, तारे, और अन्य खिलौने बनाये जाते है। पान, पाटा, चकला, एक जीभ, होला–होली बनाये जाते है। इन पर आटे, हल्दी, मेहंदी, गुलाल आदि से बिंदियां लगाकर सजाया जाता है। होलिका की आँखें चिरमी या कोड़ी से बनाई जाती है। अंत में ढाल और तलवार बनाये जाते है।
बड़कूले से माला बनाई जाती है। माला में होलिका, खिलोंने, तलवार, ढाल आदि भी पिरोये जाते है। एक माला पितरों की, एक हनुमान जी की, एक शीतला माता की और एक घर के लिए बनाई जाती है। बाजार से तैयार माला भी खरीद सकते है। यह Holika Dahan Puja में काम आती है।
होलिका दहन पूजा की विधि
आप Holika Dahan Puja करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। जल की बूंदों का छिड़काव आसपास तथा पूजा की थाली और खुद पर करें। इसके पश्चात नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
इसी प्रकार भक्त प्रह्लाद को स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें। इसके पश्चात् होलिका को रोली, मौली, चावल अर्पित करें, पुष्प अर्पित करें, चावल मूंग का भोग लगाएं। बताशा, फूले आदि चढ़ाएं। हल्दी मेहंदी, गुलाल, नारियल और बड़कूले चढ़ाएं। हाथ जोड़कर होलिका से सुख समृद्धि की कामना करें।
सूत के धागे से होलिका के चारों ओर घूमते हुए तीन, पाँच या सात बार लपेट दें। जल का लोटा वहीं पूरा खाली कर दें। इसके बाद होली का दहन किया जाता है। पुरुषों के माथे पर तिलक लगाया जाता है। होली जलने पर रोली चावल चढ़ाकर सात बार अर्घ्य देकर सात परिक्रमा करनी चाहिए।
मंत्र: “असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।”
Holika Dahan Puja Mantra का उच्चारण करते हुए होलिका की सात परिक्रमा करें।
इसके बाद साथ लाये गए हरे गेहूं और चने होली की अग्नि में भून लें। होली की अग्नि थोड़ी सी अपने साथ घर ले आएं। ये दोनों काम बड़ी सावधानी पूर्वक करने चाहिए। होली की अग्नि से अपने घर में धूप दिखाएँ। भूने हुए गेहूं और चने प्रसाद के रूप में ग्रहण करे।
होलिका दहन पूजा मंत्र
होलिका पूजन के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः ।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ॥
होलिका दहन के पश्चात उसकी जो राख निकलती है, जिसे होली – भस्म कहा जाता है, उसे शरीर पर लगाना चाहिए। होली की राख लगाते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रम्हणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि माँ देवी ! भूति भूतिप्रदा भव॥
ऐसा माना जाता है, कि होली की जली हुई राख घर में समृद्धि लाती है। साथ ही ऐसा करने से घर में शांति और प्रेम का वातावरण निर्मित होता है।
संदर्भ: इस Holika Dahan Puja Vidhi होलिका दहन की पूजा विधि कैसे करें, जानें होलिका दहन पूजा शुभ मुहूर्त की पोस्ट में आपको होलिका दहन की पूजा विधि और उसके शुभ पूजा मुहूर्त की जानकारी के बारे में जान सकते हैं।