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Gupt Navratri Puja Vidhi इस सरल विधि से करें गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि

Gupt Navratri Puja Vidhi इस सरल विधि से करें गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि : हमारे हिन्दू धर्म में नवरात्र में मां दुर्गा जी की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण समय माना जाता हैं। नवरात्र के समय साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष रूप से पूजा अर्चना करते हैं। तंत्र साधना आदि करने के लिए गुप्त नवरात्रि बेहद विशेष माने जाते हैं। गुप्त नवरात्रि वर्ष में आषाढ़ और माघ मास की शुक्ल पक्ष में आते हैं। वैसे इन इस नवरात्रि के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।

गुप्त नवरात्रि पूजा सामग्री

Gupt Navratri Puja Vidhi में निम्न सामग्री की आवश्यकता होती हैं जो आपको हम यंहा आपने जा रहे हैं। माँ दुर्गा जी की फोटो, रोली, मोली, साबुत चावल, साबुत सुपारी, कपूर, लोंग, इलायची, लाल कपड़ा, चुनरी, शुद्ध साफ की हुई मिट्टी, पुप्ष की माला आदि।

कैसे करें गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि

एक लकड़ी का फट्टा रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़ा- थोड़ा चावल रख कर श्री गणेश जी का ध्यान और स्मरण करते हुए मां श्री दुर्गा की मूर्ति रखे और बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति या फोटो रखें। Gupt Navratri Puja Vidhi आरंभ करते समय समय “ऊं पुण्डरीकाक्षाय नमः” मन्त्र बोलते हुए अपने ऊपर जल छिड़कें और अपने पूजा स्थल से दक्षिण और पूर्व के कोने में घी का दीपक जलाते हुए।

“ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तु ते।”

मंत्र बोलते हुए दीपक प्रज्ज्वलित करें। मां भगवती दुर्गा की अखंड ज्योति जलाये यह ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए।

गुप्त नवरात्रि पूजा संकल्प विधि

इसके बाद पुष्प लेकर मन में ही संकल्प लें कि मां मैं आज नवरात्र की प्रतिपदा से आपकी आराधना अमुक (कार्य नाम) कार्य के लिए कर रहा/रही हूं, मेरी पूजा स्वीकार करके इष्ट कार्य को सिद्ध करो। यदि आपको कोई मंत्र नही आता है श्री दुर्गा माँ का तो आप श्री दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र “ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” बोलते हुए सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। यह मां शक्ति का यह मंत्र अमोघ है अब आपके पास जो भी यथा संभव सामग्री हो, उसी से Gupt Navratri Puja Vidhi करें। संभव हो सके तो शृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं।

इसके बाद श्री दुर्गा माँ को जोत जलाये उसमे घी डालकर जोत लेते है, उसके बाद उसमे इच्छानुसार माँ दुर्गा जी को भोग लगाये और जल के छीटें दें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें श्रद्धापूर्वक सपरिवार आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें। नवरात्र में एक समय भोजन करें हो सके तो फलाहार करें, नवमी तिथि के दिन 9 कन्याओ को भोजन खिलाये। अष्टमी या नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

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