गीता की आरती || Gita Ki Aarti || Gita Ji Ki Aarti || Gita Aarti || Geeta Ki Aarti || Geeta Aarti

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गीता की आरती || Gita Ki Aarti || Gita Ji Ki Aarti

श्री गीता जी हिन्दू धर्म का एक पवित्र ग्रन्थ हैं ! श्री गीता जी की आरती नियमित रूप से पढ़ने से जातक के बुरे कर्म समाप्त होने लगते हैं ! Shri Gita Ki Aarti आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Shri Gita Ki Aarti By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

गीता की आरती || Gita Ki Aarti || Gita Aarti

टेक जय गीता माता मैया जय गीता माता । सुख करनी दुःख हरनी तुमको जग गाता ।।

अज्ञान मोह ममता का क्षण में नाश करे । सत्य ज्ञान का मन में तू प्रकाश करे ।।

शरण तेरी जो आवे तेरी मति ग्रहण करे । पाप ताप मिट जावे निर्भय मन सिन्धु तरे ।।

रणक्षेत्र में अर्जुन जब शोकाधीर हुआ । कर्तव्य कर्म तब बैठा बहुत मलीन हुआ ।।

तब कृष्णचन्द्र के मुख से तुमने अवतार लिया । तत्व बात समझा कर उसका उद्भार किया।।

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शरीर जन्मते मरते आत्मा अविनाशी । शरीर के दुःख व्यापे आत्मा सुख राशी ।।

अत: शरीर की ममता मन से त्याग करो । आत्मा ब्रह्मा को  चिन्हों उससे अनुराग करो ।।

निष्काम कर्म नित्य करके जगका उपकार करो । फल वांछित को त्यागो सद् व्यवहार  करो ।।

मन को वश में करके इच्छा त्याग करो । निष्काम जगत में रह कर हरि से अनुराग करो ।।

यह उपदेश जो तेरे नर मन में लावे । भगवान भवसागर से वह क्यों न तर जावे ।।

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