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गणगौर पूजा विधि || Gangaur Puja Vidhi
Gangaur Puja Vidhi गणगौर तीज पूजा कब है ? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि: गणगौर एक त्योहार है जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है । होली के दूसरे दिन यानी चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से जो नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं । यह व्रत विवाहिता लड़कियों के लिए पति का अनुराग उत्पन्न कराने वाला और कुमारियों को उत्तम पति देने वाला है । इससे सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है । हम यंहा आपको गणगौर की पूजा विधि के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं ! कैसे करें गणगौर पूजा विधि को पढ़कर आप भी बहुत गणगौर की पूजा कर सकते हैं ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे गणगौर पूजा विधि || Gangaur Puja Vidhi || Gangaur Ki Puja Vidhi को जानकर आप बहुत आसानी से गणगौर की पूजा अर्चना कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Gangaur Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
गणगौर पूजा विधि || Gangaur Puja Vidhi
गणगौर पूजा कब है 2023 || Gangaur Puja 2023 Kab Hai?
इस बार 2023 में गणगौर पूजा मार्च महीने की 24 तारीख वार शुक्रवार के दिन की जाएगी।
गणगौर पूजा मुहूर्त 2023 || Gangaur Puja Muhurat 2023?
सूर्यादय से सुबह 11:02बजे तक,
दोपहर 12:34 से दोपहर 02:03 बजे तक,
सांय 06:34 से सूर्यास्त तक.
ऊपर दिए गये Gangaur Puja Muhurat आप ऊपर देख सकते हो।
गणगौर पूजा सामग्री || Gangaur Puja Samagri :
Gangaur Puja में होली की राख़, मिटटी, एक टोकरी, दूब, फुल, चार कटोरियां, रोली, हल्दी, मेहंदी, काजल, चावल, एक लोटे में जल, एक मिट्टी की कटोरी, हल्दी की गांठ, चांदी की अंगूठी, साबुत सुपारी, एक कौड़ी, एक छोटे किनारे की थाली।
गणगौर पूजा विधि || Gangaur Puja Vidhi
गणगौर पूजा का आरम्भ फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तक की जाती है! होली के दुसरे दिन से Gangaur Puja की जाती हैं ! यह पूजा सोलह दिन तक चलती हैं ! नवविवाहिताएं अपने सुहाग के लिए शादी के बाद की पहली गणगौर की विशेष रूप से पूजा करती हैं ! होली के दुसरे दिन स्नान करके होली की राख़ और मिटटी से आठ गणगौर बनाई जाती हैं ! टोकरी में दूब बिछा कर इन गणगौरों को रख दिया जाता हैं ! इसके बाद उन्हें छोटे छोटे कपड़ों से लपेट देते हैं !
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पूर्व दिशा की दिवार के पास रखकर उस पर गणगौर की स्थापित का दिया जाता हैं ! दीवार पर भी गणगौर और ईसर का चित्र बना लें ! एक लोटे में जल भर लें उसके ऊपर दूब और फुल रख लें ! इसके बाद दूब वाला गीत गाए ! अलग अलग चार कटोरियाँ में हल्दी, रोली, मेहंदी, और काजल इ एक डिबिया लेकर दीवार पर इन सभी से अलग अलग सोलह बिंदिया लगाई जाती हैं ! बिंदी लगाने के बाद पूजा ख़त्म करके ही उठाना चाहिए ! एक मिटटी की कटोरी में थोडा सा जल, एक हल्दी की गांठ, कौड़ी, चांदी की अंगूठी और थोड़ी सी दूब रख लें ! गणगौर के फुल चढाने के बाद सवेर का गीत गाए ! गणगौर की पूजा दो महिलाएं को जोड़े से करनी चाहिए ! दोनों महिलाये एक दुसरे की छोटी अंगुली से हाथ पकड़ लेती हैं ! Gangaur Puja पूरी करने के बाद ही हाथ से जोड़ा छोड़ा हैं ! यदि किसी महिला का जोड़ा नहीं हैं तो वह अपनी चूड़ी या चुनड़ी को पकड़कर भी जोड़ा ले सकती हैं !
दोनों हाथों में दूब लेकर मिटटी की कटोरी को थाली से थोडा सा उठाकर धीर धीरे हिलाते हैं और और एल खेल वाला गीत गाते हैं ! इसके बाद दूब से पाटा धोते हैं और पाटा धोने का गीत गाते हैं और Gangaur Puja हैं !
गणगौर पूजा कैसे करे || Gangaur Puja Kaise Kare
गणगौर की पूजा करने के लिए सोलह बार पूजा का गीत गाते जाते हैं और बीच बीच में दूब को जल के लोटे में डुबोकर गणगौर को जल का छींटा मारते हैं ! जब एक बार यह गीत हो जाय तो पाटे पर एक बिंदी लगा दें ! इस तरह जब सोलह बिंदी लग जाए तो Gangaur Puja हो जाती हैं !
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गणगौर पूजा का गीत || Gangaur Puja Ka Geet
गौर-गौर गणपति ईसर पूजे पार्वती
पार्वती का आला टीला, गोर का सोना का टीला
टीला दे, टमका दे, राजा रानी बरत करे
करता करता, आस आयो मास
आयो, खेरे खांडे लाडू लायो,
लाडू ले बीरा ने दियो, बीरो ले गटकायो
साड़ी में सिंगोड़ा, बाड़ी में बिजोरा,
सान मान सोला, ईसर गोरजा
दोनों को जोड़ा, रानी पूजे राज में,
दोनों का सुहाग में
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रानी को राज घटतो जाय,
म्हारो सुहाग बढ़तो जाय
किडी किडी किडो दे,
किडी थारी जात दे,
जात पड़ी गुजरात दे,
गुजरात थारो पानी आयो,
दे दे खंबा पानी आयो,
आखा फूल कमल की डाली,
मालीजी दूब दो, दूब की डाल दो
डाल की किरण, दो किरण मन्जे
एक, दो, तीन, चार, पांच, छ:, सात, आठ,
नौ, दस, ग्यारह, बारह, तेरह, चौदह, पंद्रह, सोलह।
यह गीत सोलह बार गाने के बाद गणगौर की आरती करें ! आरती का गीत गाने के बाद हाथ खोले लें ! और एक हाथ में दूब को गणगौर पर चढ़ा दें ! दुसरे हाथ की दूब को हाथ में ही रखें और गणगौर की कहानी सुनें !
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गणगौर व्रत का उद्यापन विधि || Gangaur Vrat Ka Udyapan Vidhi
यदि आप गणगौर व्रत का उद्यापन करने के लिए सोलह सुहागन स्त्रियों को समस्त सोलह शृंगार की वस्तुएं देकर भोजन चाहिए ! इसके बाद गौरी जी की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए ! काठ सुनने के बाद बाद देवी गौरी जी पर चढ़ाए हुए सिन्दूर से स्त्रियां को अपनी मांग भरनी चाहिए ! फिर उसके बाद उन्हें केवल एक बार भोजन करके गणगौर व्रत का उद्यापन कर दिया जाता है । गणगौर का प्रसाद पुरुषों के लिए वर्जित है ।
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