दीनबन्ध्वष्टकम् || Deenabandhu Ashtakam || Deenabandhu Ashtak

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श्रीदीनबन्ध्वष्टकम् || Sri Deenabandhu Ashtakam

श्रीदीनबन्ध्वष्टकम् भगवान श्री विष्णु जी को समर्पित हैं ! श्रीदीनबन्ध्वष्टकम् स्वामी ब्रह्मानन्द कृत द्वारा रचियत हैं ! श्रीदीनबन्ध्वष्टकम् आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Sri Deenabandhu Ashtakam By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्रीदीनबन्ध्वष्टकम् || Sri Deenabandhu Ashtakam

यस्मादिदं जगदुदॆति चतुर्मुखाद्यम् यस्मिन्नवस्थितमशॆषमशॆषमूलॆ ।

यत्रॊपयाति विलयं च समस्तमन्तॆ दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ १ ॥

चक्रं सहस्रकरचारु करारविन्दॆ गुर्वी गदा दरवरश्च विभाति यस्य ।

पक्षीन्द्रपृष्ठपरिरॊपितपादपद्मॊ दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ २ ॥

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यॆनॊद्धृता वसुमती सलिलॆ निमग्ना नग्ना च पाण्डववधूः स्थगिता दुकूलैः ।

सम्मॊचितॊ जलचरस्य मुखाद्गजॆन्द्रॊ दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ ३ ॥

यस्यार्द्रदृष्टिवशतस्तु सुराः समृद्धिम् कॊपॆक्षणॆन दनुजा विलयं व्रजन्ति ।

भीताश्चरन्ति च यतॊऽर्कयमानिलाद्या दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ ४ ॥

गायन्ति सामकुशला यमजं मखॆषु ध्यायन्ति धीरमतयॊ यतयॊ विविक्तॆ ।

पश्यन्ति यॊगिपुरुषाः पुरुषं शरीरॆ दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ ५ ॥

आकाररूपगुणयॊगविवर्जितॊऽपि भक्तानुकम्पननिमित्तगृहीतमूर्तिः ।

यः सर्वगॊऽपि कृतशॆषशरीरशय्यॊ दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ ६ ॥

यस्याङ्घ्रिपङ्कजमनिद्रमुनीन्द्रवृन्दै-राराध्यतॆ भवदवानलदाहशान्त्यै ।

सर्वापराधमविचिन्त्य ममाखिलात्मा दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ ७ ॥

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यन्नामकीर्तनपरः श्वपचॊऽपि नूनम् हित्वाखिलं कलिमलं भुवनं पुनाति ।

दग्ध्वा ममाघमखिलं करुणॆक्षणॆन दृग्गॊचरॊ भवतु मॆऽद्य स दीनभन्धुः ॥ ८ ॥

दीनबन्ध्वष्टकं पुण्यं ब्रह्मानन्दॆन भाषितम् ।

यः पठेत् प्रयतॊ नित्यं तस्य विष्णुः प्रसीदति ॥ ९ ॥

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