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बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र || Baglamukhi Ashtottara Shatnaam Stotram

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श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र || Shri Baglamukhi Ashtottara Shatnaam Stotram

यह तो आप सब जानते है की बगलामुखी महाविद्या दस महाविद्याओं में आठवें स्थान की साधना मानी जाती हैं ! श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र देवी बगलाुखी के 108 नामों को सूचीबद्ध करता है ! Shri Baglamukhi Ashtottara Shatnaam Stotram का पाठ करने से जातक को किसी भी प्रकार का भय नही होता हैं ! जातक के शत्रु का विनाश व् स्तम्भन हो जाता हैं ! उसकी रक्षा होती है। बगलामुखी का स्वरूप रक्षात्मक, शत्रुविनाशक एवं स्तंभनात्मक है !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Shri Baglamukhi Ashtottara Shatnaam Stotram By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र || Shri Baglamukhi Ashtottara Shatnaam Stotram

श्रीगणेशाय नमः ।

नारद उवाच ।

भगवन्देवदेवेश सृष्टिस्थितिलयात्मक ।

शतमष्टोत्तरं नाम्नां बगलाया वदाधुना ॥ १॥

श्रीभगवानुवाच ।

शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।

पीताम्बर्यां महादेव्याः स्तोत्रं पापप्रणाशनम् ॥ २॥

यस्य प्रपठनात्सद्यो वादी मूको भवेत्क्षणात् ।

रिपुणां स्तम्भनं याति सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ॥ ३॥

ॐ अस्य श्रीपीताम्बराष्टोत्तरशतनामस्तोत्रस्य सदाशिव ऋषिः,

अनुष्टुप्छन्दः, श्रीपीताम्बरा देवता,

श्रीपीताम्बराप्रीतये पाठे विनियोगः ।

ॐ बगला विष्णुवनिता विष्णुशङ्करभामिनी ।

बहुला वेदमाता च महाविष्णुप्रसूरपि ॥ ४॥

महामत्स्या महाकूर्म्मा महावाराहरूपिणी ।

नारसिंहप्रिया रम्या वामना बटुरूपिणी ॥ ५॥

जामदग्न्यस्वरूपा च रामा रामप्रपूजिता ।

कृष्णा कपर्दिनी कृत्या कलहा कलकारिणी ॥ ६॥

बुद्धिरूपा बुद्धभार्या बौद्धपाखण्डखण्डिनी ।

कल्किरूपा कलिहरा कलिदुर्गति नाशिनी ॥ ७॥

कोटिसूर्य्यप्रतीकाशा कोटिकन्दर्पमोहिनी ।

केवला कठिना काली कला कैवल्यदायिनी ॥ ८॥

केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता ।

रुद्ररूपा रुद्रमूर्ती रुद्राणी रुद्रदेवता ॥ ९॥

नक्षत्ररूपा नक्षत्रा नक्षत्रेशप्रपूजिता ।

नक्षत्रेशप्रिया नित्या नक्षत्रपतिवन्दिता ॥ १०॥

नागिनी नागजननी नागराजप्रवन्दिता ।

नागेश्वरी नागकन्या नागरी च नगात्मजा ॥ ११॥

नगाधिराजतनया नगराजप्रपूजिता ।

नवीना नीरदा पीता श्यामा सौन्दर्य्यकारिणी ॥ १२॥

रक्ता नीला घना शुभ्रा श्वेता सौभाग्यदायिनी ।

सुन्दरी सौभगा सौम्या स्वर्णाभा स्वर्गतिप्रदा ॥ १३॥

रिपुत्रासकरी रेखा शत्रुसंहारकारिणी ।

भामिनी च तथा माया स्तम्भिनी मोहिनी शुभा ॥ १४॥

रागद्वेषकरी रात्री रौरवध्वंसकारिणी ।

यक्षिणी सिद्धनिवहा सिद्धेशा सिद्धिरूपिणी ॥ १५॥

लङ्कापतिध्वंसकरी लङ्केशी रिपुवन्दिता ।

लङ्कानाथकुलहरा महारावणहारिणी ॥ १६॥

देवदानवसिद्धौघपूजिता परमेश्वरी ।

पराणुरूपा परमा परतन्त्रविनाशिनी ॥ १७॥

वरदा वरदाराध्या वरदानपरायणा ।

वरदेशप्रिया वीरा वीरभूषणभूषिता ॥ १८॥

वसुदा बहुदा वाणी ब्रह्मरूपा वरानना ।

बलदा पीतवसना पीतभूषणभूषिता ॥ १९॥

पीतपुष्पप्रिया पीतहारा पीतस्वरूपिणी ।

इति ते कथितं विप्र नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥ २०॥

यः पठेत्पाठयेद्वापि शृणुयाद्वा समाहितः ।

तस्य शत्रुः क्षयं सद्यो याति नैवात्र संशयः ॥ २१॥

प्रभातकाले प्रयतो मनुष्यः पठेत्सुभक्त्या परिचिन्त्य पीताम् ।

द्रुतं भवेत्तस्य समस्तबुद्धिर्विनाशमायाति च तस्य शत्रुः ॥ २२॥

॥ इति श्रीविष्णुयामले नारदविष्णुसंवादे श्रीबगलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् ॥

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