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अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा || Angarki Sankashti Chaturthi Vrat Katha || Angarki Chaturthi Vrat Katha
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कब हैं ? 2021 || Angarika Sankashti Chaturthi Vrat 2021 Date
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत को नवम्बर महीने की 23 तारीख़, वार मंगलवार के दिन बनाई जायेगीं |
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा || Angarki Sankashti Chaturthi Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि भारद्वाज और देवी पृथ्वी के पुत्र का नाम मंगल था। मंगल ने अपने पिता की आज्ञा से मात्र सात वर्ष की आयु से भगवान गणेश की कठोर तपस्या आरम्भ कर दी थी। उस बालक ने भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिये वर्षों तक कठोर तप किया, निराहार रहा। उसकी इस श्रद्धा और भक्ति को देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हो गये और उन्होने मंगल को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन दर्शन दियें। Angarki Sankashti Chaturthi Vrat Katha
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भगवान गणेश ने पृथ्वी पुत्र को दर्शन देकर वरदान मांगने के लिये कहा। धरती पुत्र ने भगवान गणेश से सदैव उनकी शरण में रहने के साथ स्वर्ग में देवताओं से समकक्ष पद पाने की इच्छा व्यक्त करी। तब भगवान गणेश ने उनकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया और कहा तुम्हे स्वर्ग में देवताओं के समान सम्मान प्राप्त होगा। तुम मंगल और अंगारक नाम से प्रसिद्ध होंगे। मंगलवार के दिन आने वाली संकष्टी चतुर्थी को तुम्हारे नाम अर्थात अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जायेगा और इसका व्रत एवं पूजन करने से साधक को वर्ष की सभी संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पुण्य लाभ होगा। ऐसा कहकर भगवान गणेश अंतर्ध्यान हो गये। Angarki Sankashti Chaturthi Vrat Katha
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संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत बहुत ही दुर्लभ है और इसकी महिमा अपरमपार हैं। इसका व्रत करने से जातक की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भगवान गणेश जी कृपा से उसे सुख-शांति, धन-समृद्धि व आरोग्य की प्राप्ति होती हैं। Angarki Sankashti Chaturthi Vrat Katha
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