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केमद्रुम दोष के प्रभाव || Kemadruma Dosh Ke Prabhav || Kemadruma Yoga Ke Effects
केमद्रुम योग को महासत्यानाशी दोष भी माना जाता हैं ! यदि जन्मकुंडली में चन्द्रमा ग्रह के द्वितीय यानी आगे वाला भाव और द्वादश यानी पीछे वाला भाव में कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम योग नामक दोष का निर्माण होता हैं ! और जब चन्द्रमा ही प्रभाव हीन हो जाए तो यह किसी भी जातक के लिए कष्टकारी हो जाता है क्योंकि यही हमारे मन और दिमाग का कारक ग्रह है । इसलिए हम आपको यंहा केमद्रुम योग के प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं ! यदि केमद्रुम योग भी आपकी जन्मकुंडली में है तो Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे केमद्रुम दोष के प्रभाव || Kemadruma Dosh Ke Prabhav || Kemadruma Yoga Ke Effects को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीके से केमद्रुम योग की शांति कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Kemadruma Dosh Ke Prabhav By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
केमद्रुम दोष के प्रभाव || Kemadruma Dosh Ke Prabhav || Kemadruma Yoga Ke Effects
केमद्रुम दोष कैसे बनता है ? || Kemadruma Dosh Kaise Banata Hai ?
केमद्रुम योग को महासत्यानाशी दोष भी माना जाता हैं ! यदि जन्मकुंडली में चन्द्रमा ग्रह के द्वितीय यानी आगे वाला भाव और द्वादश यानी पीछे वाला भाव में कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम योग नामक दोष का निर्माण होता हैं ! इसे इस प्रकार समझे चन्द्रमा कुंडली के जिस भी घर में हो, उसके आगे और पीछे के घर में कोई ग्रह न हो । इसके अलावा चन्द्रमा की किसी ग्रह से युति न हो या चंद्र को कोई शुभ ग्रह न देखता हो तो कुण्डली में केमद्रुम दोष बनता है । केमद्रुम दोष के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है ।
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केमद्रुम दोष के प्रभाव || Kemadruma Dosh Ke Prabhav
केमद्रुम योग जिस भी जातक की जन्मकुंडली में होता है उस जातक का जीवन दरिद्रता एवं संघर्ष से ग्रस्त होता है । इसमें जातक द्वारा बड़ी मेहनत करके पैसा कमाता है लेकिन कुछ एक सालो बाद सब बर्बाद हो गया, तो यह केमद्रुम दोष कार्य का होता है । केमद्रुम दोष ( kemdrum dosh ) जातक के जीवन में सब कुछ वापिस ले लेना और फिर शून्य स्थिति में ला देता हैं ! केमद्रुम दोष से पीड़ित जातक को शिक्षा में परेशानी, निर्धन, वैवाहिक जीवन और संतान पक्ष में सुख की कमी आदि समस्या देता हैं ! इस दोष के कारन से ही जातक को अपने घर से दूर रहना या अकेला रहना स्वभाव में नीचता का भाव भी देखा जा सकता है ।
भाव अनुसार केमद्रुम दोष के प्रभाव || Bhav Anusar Kemadruma Dosh Ke Prabhav
कुण्डली के द्वादश भावो में केमद्रुम योग के फल भावो के अनुसार अलग अलग होता है मगर लक्षण सब मे एक समान ही पाया जाता है। केमद्रुम योग का द्वादश भाव में फल इस प्रकार है ।
- केमद्रुम योग लग्न भाव से हो तो दु:खी ,रोगी, निर्धन, प्रायः विमार रहने वाला, होता है ।चंद्रमा वृषभ या कर्क राशि में हो तो प्रभाव कुछ कम होता है । नोट- वृष और कर्क राशि में प्रभाव नहीं होता है ऐसी बात नहीं है बहुत से लोग इन राशियो को देखकर कह देते है केमद्रुम योग भंग है मगर ऐसी बात नहीं है केमद्रुम योग का प्रभाव होता है मगर कम होता है।
- केमद्रुम योग द्वितीय भाव से हो तो जातक मानसिक रोगी, चिड़चिड़ा, अशांत, बेवजह क्रोध करने वाला, नेत्र कष्ट, पारिवारिक कलह, और पाप वृत्ति हो जाती है।
- केमद्रुम योग तृतीय भाव में हो तो आमदनी पर रोक, भाइ भतिजा पारिवारिक जनो से कष्ट, या उनकी हानि, भाग्यावरोध, शत्रु से हानि, मानसिक अशांति और वस्त्राभूषण की कमी होता है ।
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- केमद्रुम योग चतुर्थ भाव से हो तो मानसिक अशांति, पेट में पीड़ा, जल से भय, अपमान जनक परिस्थिति में रहना पड़ता है।
- केमद्रुम योग पंचम भाव से हो तो प्रत्येक कार्य में असफल, अशांति, धन हानि, कमर में कष्ट, जोड़ो में दर्द, गठियाबाई, कफ प्रकोप से कष्ट, गले में खराबी तथा चोरों और जल जंतुओं से भय होता है।
- केमद्रुम योग षष्ठम भाव से हो तो आमदनी पर रोक, रोग वृद्धि, शत्रुभय, अपमानित होना, यात्रा में चोट लगना, चचेरे भाईयो से कष्ट, ननिहाल पक्ष में कष्ट विषेशकर पशु और शत्रु भय होता है ।
- केमद्रुम योग सप्तम भाव से हो तो पत्नि, व्यापार से संबन्धित कष्ट, पत्नि विमार रहे या क्रोधी या दरिद्र हो, व्यापार मे हानि होता है ।
- केमद्रुम योग अष्टम भाव से हो तो कब्ज, पेट में अन का न पचना, नाभि के आस पास कष्ट या आपरेशन, सर्प या जहरीले जंतुओं से भय, घुटनों में दर्द, पिशाच बाधा, मानसिक रोग से ग्रसित, होता है।
- केमद्रुम योग नवम भाव से हो तो राजकीय परेशानी, राजदंड, भाग्यावरोध, लंबी यात्रा, संतान से कष्ट या झगड़ा, पेट संबंधी परेशानी, व्यापार मे हानि परन्तु औरतों का प्रिय होता है।
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- केमद्रुम योग दशम भाव से हो तो सम्पुर्ण कार्यों में अलफलता, सेहत ठीक न रहना, नौकरी में अवनति और कारोबारी क्षेत्रों में संघर्ष करना पड़ता है।
- केमद्रुम योग एकादश भाव से हो तो हर प्रकार से धन हानि, आय का समुचित उपाय न होना, आमदनी में पग पग पर कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है।
- केमद्रुम योग द्वादश भाव से हो तो नेत्र पीड़ा, शारीरिक कष्ट, विशेष कर वांयीं आंख, गला, वांयी दाढ में कष्ट और नाना प्रकार के दुखो का सामना करना पड़ता है।
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