चतुःश्लोकी भागवत || Chatusloki Bhagavatam || Chatusloki Bhagavata

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चतुःश्लोकी भागवत || Chatusloki Bhagavatam || Chatusloki Bhagavata

तब भगवान ने ब्रह्माजी को ज्ञान दिया, केवल चार श्लोकों में, इसी को ‘चतुःश्लोकी भागवत’ कहते हैं ! चतुःश्लोकी भागवत श्रीमद्भागवत महापुराण ( २.९.३२ – ३५ ) के अंतगर्त से लिया गया हैं ! चतुःश्लोकी भागवत आदि के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Chatusloki Bhagavatam By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

चतुःश्लोकी भागवत || Chatusloki Bhagavatam || Chatusloki Bhagavata

श्री भगवानुवाच

ज्ञानं परमगुह्यं मे यद्विज्ञानसमन्वितम्।

सरहस्यं तदङ्गं च गृहाण गदितं मया॥१॥

यावानहं यथाभावो यद्रूपगुणकर्मकः।

तथैव तत्त्वविज्ञानमस्तु ते मदनुग्रहात् ॥२॥

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अहमेवासमेवाग्रे नान्यद्यत्सदसत्परम्।

पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम् ॥३॥

ऋतेऽर्थं यत्प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मनि।

तद्विद्यादात्मनो मायां यथाऽऽभासो यथा तमः ॥४॥

यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चावचेष्वनु।

प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेष्वहम् ॥५॥

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एतावदेव जिज्ञास्यं तत्त्वजिज्ञासुनात्मनः।

अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत्स्यासर्वत्र सर्वदा ॥६॥

एतन्मतं समातिष्ठ परमेण समाधिना।

भवान् कल्पविकल्पेषु  न विमुह्यति कर्हिचित् ॥७॥

( इति श्रीमद्भागवते द्वितीयस्कन्धे भगवत्ब्रह्मसंवादे चतुःश्लोकी भागवतम् )

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