रोग निवारण उपाय || Rog Nivaran Upay || Rog Nivaran Totke || Rog Nivaran Ke Upay

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रोग निवारण उपाय || Rog Nivaran Upay || Rog Nivaran Ke Upay

आज हम आपको यंहा Rog Nivaran Upay बताने जा रहे हैं ! हमारे द्वारा बताये जा रहे रोग मुक्ति के उपाय को आप विश्वास व् आस्था के साथ करते है तो आपको आपकी बीमारी में सुधार नजर आता दिखेगा ! विश्वास व् आस्था इसलिए जरूरी है क्योंकि ज्योतिष ग्रहों के अनुसार काम करती है और हर ग्रहों के अपने अपने देवता है और सब बीमारी का किसी ना किसी ग्रह से सबंध होता हैं ! यदि आप उस ग्रह की पूजा, शांति या मंत्रो से शांत करते है तो आपको ग्रहों सबंधित बीमारी में भी सुधार नजर आता दिखेंगा !! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे रोग निवारण उपाय || Rog Nivaran Upay को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीक़े से अपने रोग को दूर कर सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Rog Nivaran Upay By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

रोग निवारण उपाय || Rog Nivaran Upay || Rog Nivaran Totke

  • पत्थरचूर की जड़ को ताम्बे के ताबीज में भरवाकर, लाल सूती डोरे की सहायता से बच्चे के गले में लटका दें। Rog Nivaran Upay के अनुसार इस प्रयोग से दांत निकलते समय कोई कष्ट नहीं होता और हरे-पीले रंग के होने वाले दस्त भी बंद हो जाते हैं।
  • यदि शिशु माँ के स्तनपान करने के तुरंत बाद ही वमन कर दे, तो उसके समीप तभी कांसे का कोई भी बर्तन बजा दें। Rog Nivaran Upay के अनुसार इस प्रयोग से वमन का वेग शांत हो जाएगा।
  • रोगी व्यक्ति को पान में गुलाब की सात पंखुडियां खिलाने से अगर उसको कोई नजर लगी है तो उससे छुटकारा मिलता है और दवा भी जल्दी असर करती है । 
  • शिशु रोग मुक्ति का उपाय : कपूर की चकतियों की माला गले में धारण कराने से शिशु के दांत सरलता से निकल आते हैं।
  • पीपल, आवलें का रास व धाय के पुष्प-इनको पीसकर यह मिश्रण मसूड़ों पर लगाने से दांत सहजता से जैम जाते हैं।
  • कुत्ते के दांत को ताबीज में रखकर बच्चे के गले में पहनाने से दांत सरलता से निकलते हैं । 
  • बच्चे के दांत सरलता से निकालें, इसके लिए संभालू की जड़ का ताबीज बनाकर गले में लटकाएं।
  • बच्चे का रोना बन्द, सरसों, मिर्च (लाल) लोहबान तथा नमक लेकर बच्चे को ओइछना तथा उन वस्तुओं को आग में जलाना.

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  • शिशु रोग मुक्ति का उपाय : सफ़ेद कबूतर का जोड़ा घर में रखने (पालने) से बच्चे को जापोगा रोग की बाधा का भय नहीं रहता। Rog Nivaran Upay के अनुसार इस रोग को “जम्हुआ” के नाम से भी जाना जाता है।
  • जिन छोटे बच्चों के सिर पर बाल न हों या कवर नाममात्र को हों तो किसी रविवार के दिन से रसौत व हाथीदांत की राख सिर पर नित्य मलने से बाल उग आते हैं।
  • यदि दुधमुंहे (माँ का दूध पीने वाले) छोटे शिशु को बहुत तीव्रता से हिचकी आ रही हो तो उसके सिर व कलेजे पर कड़वे तेल की हलके हाथ से मालिश करने के उपरान्त एक तिनका लेकर और बच्चे के सिर के ऊपर हाथ करके, तोड़ते हुए, उस टुकड़े को बच्चे के पीछे की ओर फ़ेंक दें। Rog Nivaran Upay के अनुसार इस क्रिया से तुरंत हिचकी आना बंद हो जाएगी।
  • कृष्ण पक्ष में अमावस्या की रात को 12 बजे नहा-धोकर नीले रंग के वस्त्र ग्रहण करें। आसन पर नीला कपड़ा बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठे। इसके पश्चात चौमुखी दीपक (चार मुँह वाला जलाएँ। (निम्न सामग्री पहले से इकट्ठी करके रख लें) नीला कपड़ा सवा गज दृ 4 मीटर चौमुखी दिए 40 नग, मिट्टी की गड़वी 1 नग, सफेद कुशासन (कुश का आसन) 1 नग, बत्तियाँ 51 नग, छोटी इलायची 11 दाने, छुहारे (खारक) 5 नग, एक नीले कपड़े का रूमाल, दियासलाई, लौंग 11 दाने, तेल सरसों 1 किलो इत्र व शीशी गुलाब के फूल 5 नग, गेरू का टुकड़ा, 1 लडडू और लड्डू के टुकड़े 11 नग। विधि – नीले कपड़े के चारों कोने में लड्डू, लौंग, इलायची एवं छुहारे बाँध लें, फिर मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, गुलाब के फूल भी वहाँ रख लें। फिर नीचे लिखा मंत्र पढ़ें । मंत्र पढ़ते समय लोहे की चीज (दियासलाई) से अपने चारों ओर लकीर खींच लें। मंत्र : “ऊँ अनुरागिनी मैथन प्रिये स्वाहा । शुक्लपक्षे, जपे धावन्ताव दृश्यते जपेत् ।।” यह मंत्र चालीस दिन लगातार पढ़ें, (सवा लाख बार) सुबह उठकर नदी के पानी में अपनी छाया को देखें। जब मंत्र संपूर्ण हो जाएँ तो सारी सामग्री (नीले कपड़े सहित) पानी में बहा दें। अब जिसको आप अपने वश में करना चाहते हैं अथवा जिस किसी रोगी का इलाज करना चाहते हैं, उसका नाम लेकर इस मंत्र को 1100 बार पढ़ें, Rog Nivaran Upay के अनुसार बस आपका काम हो जाएगा।
  • आरोग्य प्राप्ति के लिए ब्राह्मी, पलाश, अर्जुन, आंवला व सूरजमुखी का वृक्ष लगायें।
  • तांबे के लोटे मे गंगा जल लेकर एक नारियल पर लाल चुन्नी बाँधकर रोगी के ठीक होने का संकल्प करे । रोगी के ठीक होने तक नारियल मंदिर में स्थापित रहने दे। 
  • दोष निवारण यंत्रों को स्थापित कर फूल व प्रसाद अर्पण करने से रोगी जल्दी ठीक हो जाता है।
  • घर मे नवग्रह शांति का हवन करवाये व ब्राह्मण को भोजन करवाये। घर के मंदिर मे स्थापित सभी मूर्तियो को गंगाजल व कच्चे दूध से पुन: प्राण प्रतिष्ठा करे। Rog Nivaran Upay के अनुसार ऐसा करने से आपके घर से रोग शीघ्र ही गायब हो जायेगा।

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  • अगर घर किसी छोटे बच्चे को नज़र लग जाने की वजह से तेज बुखार आया है या लगातार रो रहा है तो हाथ में चुटकी भर रक्षा लेकर बृहस्पतिवार को “ओम चैतन्य गोरखनाथ नमः” मंत्र का जाप 108 बार करे तथा उसे पुडिया में बंद कर काले रेशमी धागे से बच्चे के गले में बांध दे। Rog Nivaran Upay के अनुसार इससे बच्चों को बुरी नज़र का खतरा कम हो जाता है।
  • अगर आपके परिवार में कोई रोग ग्रस्त है तो एक देशी अखंडित पान, गुलाब का फूल और बताशे रोगी के ऊपर से वार कर 31 बार उतारें और उसे लेजर चौराहे पर रख दे। Rog Nivaran Upay के अनुसार ऐसा करने से रोगी की दशा शीघ्रता से सुधरेगी।
  • लकवा रोग से मुक्ति के लिए मंगल यंत्र के सामने मंगल मंत्र का जप करें तथा 43 दिनों तक लगातार तांबे का एक चौकोर टुकड़ा लकवे से ग्रस्त अंग से स्पर्श कहाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें। Rog Nivaran Upay के अनुसार इससे लकवा रोगी ठीक हो जाता है।
  • आधासीसी दर्द से छुटकारा पाने के लिए विधि-विधानपूर्वक बुध यंत्र के सामने बुध मंत्र का जप जप करें। साथ ही बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाएं। Rog Nivaran Upay के अनुसार इस प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है ।
  • गुरु यंत्र के नियमित दर्शन से थॉइराइड रोग में आराम मिलता है।
  • बवासीर रोग से मुक्ति पाने के लिए गुरु यंत्र के सामने गुरु मंत्र का जप करें तथा एक सफेद कागज पर अष्टगंध द्वारा गुरु यंत्र बनाकर नाभि पर बांधने से इस रोग में आराम मिलता है।
  • घर का कोई सदस्य यदि बीमार है तो कोशिश करें कि उसे सोमवार के दिन ही डाक्टर को दिखाएं। और थोड़े से खुल्ले पैसों के साथ रोगी की दवा की पहली खुराक भगवान शिव को चढ़ाएं । और भगवान से शीध्र स्वास्थ ठीक होने की प्रार्थना करें। Rog Nivaran Upay के अनुसार एैसा करने से बीमार इंसान जल्दी ठीक होने लगता है। 
  • जब भी पूर्णिमा आती है तब भगवान शिव के मंदिर में शिव जी से घर के सदस्यों को निरोग रहने की प्रार्थना करें ।और गरीब लोगों को कुछ दान जैसे मिठाई, फल व खुल्ले पैसे आदि दें।

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  • किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया में सुखा लें। जिस कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से “ॐ माधवाय नम:।” “ॐ अनंताय नम:।” “ॐ अच्युताय नम:।” मन्त्र की एक माला का जाप करें। कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा । दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य करें। Rog Nivaran Upay के अनुसार ऐसा करने से दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा। 
  • यदि किसी रोगी को मृत्युतुल्य पीड़ा हो रही हो, तो Rog Nivaran Upay के अनुसार जौ के आटे ( बाजार में यह आसानी से उपलब्ध है ) में काले तिल और सरसों का तेल मिला कर रोटी बना कर रोगी के ऊपर से 7 बार उतार कर किसी भैंसे को खिलाएं त्वरित लाभ मिलता है ।
  • सूर्य जब भी मेष राशि में ( 13 से 15 अप्रैल ) में प्रवेश करें तो प्रात: काल नीम की ताजी कपोलें गुड़ व मसूर के साथ पीस कर खाने से वर्ष भर रोग दूर रहते है, यह घर के सभी छोटे बड़े व्यक्तियों को खाना चाहिए ।
  • यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से बीमार है तो Rog Nivaran Upay के अनुसार उससे घर के दक्षिण पश्चिम कोने ( नैत्रत्य कोण ) के कमरे में दक्षिण दिशा में सर रखकर सुलाएं , उनकी दवाएं और जल कमरे के ईशान कोण में रखें । ध्यान रखें रोगी व्यक्ति अपनी दवाएं और अपना खाना पीना ईशान कोण अथवा पूर्व की तरफ मुंह करके ही खाएं ।
  • किसी भी प्रेत बाधा से मुक्त होने लिए लगातार 21 दिन तक प्रतिदिन सूर्यास्त के समय गाय का आधा किलो दूध लें तथा उसमें नौ बूंद शुद्ध शहद और 10 बूंद गंगाजल डालें। शहद और गंगाजल मिश्रित दूध को शुद्ध बर्तन में रखकर शुद्ध वस्त्र पहनकर हर-हर गंगे बोलते हुए घर में छिड़काव करें। छिड़काव करने के बाद मुख्य दरवाजे पर आकर शेष बचे हुए दूध को धार बांधकर वहीं पर गिरा दें और बोलें- संकट कटे मिटे सब पीरा। जो सुमिरे हनुमत बलवीरा।। Rog Nivaran Upay के अनुसार यह क्रिया 21 दिन तक करते रहें । 
  • अत्यंत बीमार होने पर मृत्यु की आशंका से बचने हेतु Rog Nivaran Upay के अनुसार 600 ग्राम जौ का आटा 100 ग्राम काले तिल, सरसों के तेल में गूंथकर एक मोटा रोट बना लें तथा एक ही तरफ उसकी सिकाई करें। ध्यान रहे रोट को उलट-पलट न करें। सिक जाने पर उसको उतार कर तेल से रोट को चुपड़ कर उस पर गुड़ की डली रखकर पूरे शरीर पर उतारा करें। 
  • इस मंत्र “ॐ सर्व रोगहराय नमः” का 11 शनिवार या मंगलवार के दिन उतारा करके काले भैंसे को खिला दें। 3, 5 या 7 मंगल से शनिवार तक करें, Rog Nivaran Upay के अनुसार रोगी को लाभ हो जाएगा।
  • आँखों के रोग : आँखों में यदि काला मोतिया हो जाए तो ताम्बे के पात्र में जल लेकर उसमें ताम्बे का सिक्का व गुड डालकर प्रतिदिन सूर्य को अर्ध्य दें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से शुरू कर चौदह रविवार करें। अर्ध्य देते समय रोग से मुक्ति की प्रार्थना करते रहें। इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के फल लाल कपडे में बांधकर किसी भी मन्दिर में दें। Rog Nivaran Upay के अनुसार यह उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ होगा।

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  • घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में ( फूलदार बाती ) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।
  • रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, Rog Nivaran Upay के अनुसार पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।
  • पूर्णिमा के दिन रात्रि में घर में खीर बनाएं। ठंडी होने पर उसका मंदिर में मां लक्ष्मी को भोग लगाएं एवं चन्द्रमा और अपने पितरों का मन ही मन स्मरण करें और कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें । Rog Nivaran Upay के अनुसार ऐसा वर्ष भर पूर्णिमा में करते रहने से घर में सुख शांति, निरोगिता एवं हर्ष और उल्लास का वातावरण बना रहता है धन की कभी भी कमी नहीं रहती है ।
  • रोग मुक्ति के लिए प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।
  • लगातार बुखार आने पर टोटका : यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो Rog Nivaran Upay के अनुसार आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें ! बुखार उतर जायगा 
  • घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो Rog Nivaran Upay के अनुसार एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन से रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है ।
  • घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं।
  • पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें।

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  • यदि किसी बीमार व्यक्ति का रोग ठीक ना हो रहा हो तो Rog Nivaran Upay के अनुसार उसके तकिये के नीचे सहदेई और पीपल की जड़ रखने से बीमारी जल्दी ठीक होती है ।
  • मंदिर में गुप्त दान करें। रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे।
  • सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं पैर से सिर की ओर जाती हैं, जो अधिक से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर लायेंगी, जिससे व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।
  • बच्चे के बीमार होने पर : यदि आपका बच्चा बीमार है जो भी खाता है उसकी उल्टी कर देता है। एक पान के पत्ते पर एक बूंदी का लड्डू, पांच गुलाब के फूल रखकर बच्चे के ऊपर से सात बार उसार कर चुपचाप किसी मंदिर में रखकर आ जाएं Rog Nivaran Upay के अनुसार कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा।
  • अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो Rog Nivaran Upay के अनुसार किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।

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