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सरस्वती अष्टकम || Saraswati Ashtakam || Saraswati Ashtak
यह सरस्वती अष्टकम श्री पद्मपुराणे के अंतर्गत से लिया गया हैं ! श्री सरस्वती अष्टकम के बारे में बताने जा रहे हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Saraswati Ashtakam By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.
सरस्वती अष्टकम || Saraswati Ashtakam || Saraswati Ashtak
॥ सरस्वत्यष्टकम् ॥ श्रीगणेशाय नमः ।
शतानीक उवाच ।
महामते महाप्राज्ञ सर्वशास्त्रविशारद ।
अक्षीणकर्मबन्धस्तु पुरुषो द्विजसत्तम ॥ १॥
मरणे यज्जपेज्जाप्यं यं च भावमनुस्मरन् ।
परं पदमवाप्नोति तन्मे ब्रूहि महामुने ॥ २॥
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शौनक उवाच ।
इदमेव महाराज पृष्टवांस्ते पितामहः ।
भीष्मं धर्मविदां पृष्ठेदं धर्मपुत्रो युधिष्ठिरः ॥ ३॥
युधिष्ठिर उवाच ।
पितामह महाप्राज्ञ सर्वशास्त्रविशारद ।
बृहस्पतिस्तुता देवी वागीशाय महात्मने ।
आत्मानं दर्शयामास सूर्य कोटिसमप्रभम् ॥ ४॥
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सरस्वत्युवाच ।
वरं वृणीष्व भद्रं ते यत्ते मनसि वर्तते ।
बृहस्पतिरुवाच ।
यदि मे वरदा देवि दिव्यज्ञानं प्रयच्छ मे ॥ ५॥
देव्युवाच ।
हन्त ते निर्मलं ज्ञानं कुमतिध्वंसकारकम् ।
स्तोत्रेणानेन ये भक्त्या मां स्तुवन्ति मनीषिणः ॥ ६॥
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बृहस्पतिरुवाच ।
लभते परमं ज्ञानं यत्सुरैरपि दुर्लभम् ।
प्राप्नोति पुरुषो नित्यं महामायाप्रसादतः ॥ ७॥
सरस्वत्युवाच ।
त्रिसन्ध्यं प्रयतो नित्यं पठेदष्टकमुत्तमम् ।
तस्य कण्ठे सदा वासं करिष्यामि न संशयः ॥ ८॥
इति श्रीपद्मपुराणे दिव्यज्ञानप्रदायकं सरस्वत्यष्टकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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