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छठ व्रत पुजा विधि || Chhath Vrat Puja Vidhi || Chhath Vrat Ki Puja Vidhi

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छठ व्रत पुजा विधि || Chhath Vrat Puja Vidhi || Chhath Vrat Puja Ki Vidhi

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ षष्ठी मनाई जाती हैं ! इस त्यो्हार को छठ के नाम से भी जाना जाता हैं ! हमारे पूर्वी भारत में छठ पर्व खूब धूमधाम से मनाया जाता है ! इसे ज्यादातर बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश व् नेपाल के तराई क्षेत्रों में छठ पर्व को पुरे हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है ! अब तो इस महा पर्व को धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है ! छठ पर्व एक साल में दो बार मनाया जाता है ! पहली बार तो चैत्र महीने में और दूसरी बार कार्तिक महीने में मनाया जाता है ! पारिवारिक सुख-स्मृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए छठ पर्व मनाया जाता है ! छठ पर्व को स्त्री और पुरुष समान रूप से मनाते हैं ! पुत्र सुख पाने के लिए भी छठ पर्व को मनाया जाता है ! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे छठ व्रत पुजा विधि || Chhath Vrat Puja Vidhi || Chhath Vrat Puja Ki Vidhi को पढ़कर आप भी बहुत सही से छठ पुजा कर सकोगें !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Chhath Vrat Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

छठ व्रत पुजा विधि || Chhath Vrat Puja Vidhi || Chhath Vrat Puja Ki Vidhi

छठ व्रत पुजा सामग्री || Chhath Vrat Puja Samagri :

बॉस या पितल की सूप, बॉस के फट्टे से बने दौरा व डलिया, पानी वाला नारियल, गन्ना पत्तो के साथ, नींबू बड़ा, शहद की डिब्बी, पान सुपारी, कैराव, सिंदूर, सुथनी, शकरकंदी, डगरा, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, कपूर, कुमकुम, चावल अक्षत के लिए, चन्दन, फल, घर पर शुद्ध देसी घी में बना हुआ ठेकुवा जिसे हम लोग अग्रोटा भी कहते है !

छठ व्रत पुजा विधि || Chhath Vrat Puja Vidhi

छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव होता है ! इसकी शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर समाप्ति कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होती है ! इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं ! इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी नहीं ग्रहण करते है ! छठ पर्व के पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है ! फिर उससे अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है ! जो भी व्यक्ति उपवास करते है वः दिन भर अन्न-जल त्याग कर शाम को आठ बजे के बाद से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे “खरना” कहते हैं ! तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं ! अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं ! पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है !  छठ पर्व में खाने में लहसून व् प्याज आदि खाना वर्जित होता है ! और अपने घरों  छठ पर्व के गीत गाये जाते हैं !

छठ पर्व का पहला दिन – Chhath Vrat Puja Vidhi नहाय खाय :

पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी उपवास करने वाले सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।

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छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे अन्न तो क्या पानी भी नहीं ग्रहण करते है।

छठ पर्व का दूसरा दिन – Chhath Vrat Puja Vidhi लोहंडा और खरना

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिनभर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है और पूजा वाले घर में किसी अन्य व्यक्ति का जाना मना होता है. 

छठ पर्व का तीसरा दिन – Chhath Vrat Puja Vidhi संध्या अर्घ्य ( डूबते सूरज की पूजा करना )

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, इसके अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, इससे बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और उस मौसम में मिलने सभी फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है। सभी अपने हैसियत के अनुसार फल की खरीदारी करते है गरीब से गरीब भी इस पर्व में शामिल होने के लिए पैसा इक्कठा करता है और पूजन करता है.

शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रति के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रति एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है; इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले जैसा दृश्य बन जाता है।

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छठ पर्व का चौथा दिन – Chhath Vrat Puja Vidhi सुबह का अर्घ्य ( उगते सूरज की पूजा करना )

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रति वहीं पुनः इकट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने पूर्व संध्या को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। सभी व्रति तथा श्रद्धालु घर वापस आते हैं, व्रति घर वापस आकर गाँव के पीपल के पेड़ जिसको ब्रह्म बाबा कहते हैं वहाँ जाकर पूजा करते हैं। पूजा के पश्चात् व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं जिसे पारण या परना कहते हैं।

छठ व्रत पूजा विधि || Chhath Vrat Puja Vidhi

छठ पर्व में मंदिरों में पूजा अर्चना नहीं की जाती है और ना ही घर में साफ़-सफाई की जाती है ! छठ पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर भोजन किया जाता है । पंचमी तिथि को उपवास करके संध्याकाळ में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया जाता है | तत्पश्चात अलोना भोजन किया जाता है ।

षष्ठी के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है | संकल्प लेते समय नीचे दिए गये निम्न Chhath Vrat Puja Mantra का उच्चारण करे :

ऊं अद्य अमुकगोत्रोअमुकनामाहं मम सर्व, पापनक्षयपूर्वकशरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये ।

नोट : दिए गये मंत्र में पहले अमुक के स्थान पर अपने गोत्र का नाम बोले व् दूसरी बार अमुक वाले स्थान पर अपना नाम बोलेन ! इस दिन पूरा दिन निराहार और नीरजा निर्जल रहकर पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है |

सूर्य को अर्ध्य देने की विधि :

छठ पर्व के दिन सूर्य को भी अर्ध्य देने की भी एक विधि होती है | एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें | तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर नीचे दिए गये निम्न मन्त्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दें । Chhath Vrat Puja Mantra मंत्र : 

ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते । 

अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते ॥

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