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Karwa Chauth Vrat Katha करवाचौथ व्रत कथा, जरुर पढ़े यह कहानी वरना अधूरा रहेगा आपका व्रत

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करवा चौथ व्रत कथा || Karwa Chauth Vrat Katha || Karwa Chauth Vrat Kahani 

Karwa Chauth Vrat Katha करवाचौथ व्रत कथा, जरुर पढ़े यह कहानी वरना अधूरा रहेगा आपका व्रत : करवा चौथ व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन किया जाता है !

 

Karwa Chauth Vrat Katha करवाचौथ व्रत कथा, जरुर पढ़े यह कहानी वरना अधूरा रहेगा आपका व्रत

 

करवा चौथ व्रत कब हैं ? 2022 || Karwa Chauth 2022 Date : 

करवा चौथ व्रत को अक्टूबर महीने की 13 तारीख़, वार गुरुवार के दिन बनाई जायेगीं !

करवा चौथ व्रत कथा || Karwa Chauth Vrat Katha || Karwa Chauth Vrat Kahani

सात भाई थे उनके एक बहन थी । सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे और हमेशा उसके साथ ही खाना खाते थे । जब बहन की शादी हो गई तो बहन ने करवां चौथ का व्रत किया ।सभी भाई शाम को खाना खाने बैठे तो अपनी बहन को खाने की लिए बुलाया । तब बहन ने कहा कि “आज मेरे चौथ माता का व्रत है ” तब भाइयो ने सोचा की चाँद पता नही कब तक उदय होगा अपनी बहन तो भूखी है उन सबने उपाय सोचा और पहाड़ पर जाकर आग जलाई और उसके आगे चालनी लगाकर चाँद बना दिया और बोले कि “बहन चाँद उग आया “वह अपनी भाभियों से बोली कि “चाँद उग आया ” तो भाभियां बोली कि ” ये चाँद आप के लिए उगा है वह भोली थी नकली चाँद के अर्ग देकर भाइयो के साथ खाना खाने बैठ गई । Karwa Chauth Vrat Katha

उसने जैसे ही पहला ग्रास तोडा तो उसमे बाल आ गया , दूसरा तोड़ा इतने में उसके ससुराल से बुलावा आ गया की लड़की को तुरंत ससुराल भेजो। जब माँ ने बेटी को विदा करने के लिए कपड़ो का बक्सा खोला तो उसमे भी सबसे पहले काला कपड़ा ही निकला तब माँ बहुत डर गई । Karwa Chauth Vrat Katha

उसने अपनी बेटी को एक चाँदी का सिक्का देते हुए कहा कि “तुझे रास्ते में जो भी मिले उसके पैर छूती जाना और जो तुझे सुहागन होने का आशीर्वाद दे उसे ये सिक्का दे देना और अपने पल्लू पर गांठ बांध लेना “। वो पुरे रास्ते ऐसा ही करती गई पर किसी ने उसे सुहागन होने का आशीर्वाद नही दिया । Karwa Chauth Vrat Katha

जब वह अपने ससुराल पहुचीं तो बाहर उसकी जेठुती खेल रही थी उसने उसके पैर छुए तो उसने सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया तो उसने सिक्का जेठुती को दिया और पल्लू पर गांठ बांध ली ।जब घर के अन्दर गई तो देखा की उसका पति मरा पड़ा है

जब उसके पति को जलाने के लिए ले जाने लगे तो उसने नही ले जाने दिया । तब सबने कहा कि “गाँव में लाश नही रहने देगे ” तो गाँव के बाहर एक झोपडी बना दी वह उसमे रहने लगी और अपने पति की सेवा करने लगी। रोज घर से बच्चे उसे खाना दे जाते । Karwa Chauth Vrat Katha

कुछ समय बाद माघ की चौथ आई तो उसने व्रत किया ।रात को चौथ माता गाजती गरजती आई तो उसने माता के पैर पकड़ लिए ।माता पैर छुड़ाने लगी बोली ” सात भाइयो की बहन घनी भूखी मेरे पैर छोड़ “। जब उसने पैर नही छोड़े तो चौथ माता बोली कि ” मैं  कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी बैशाख की चौथ आएगी उसके पैर पकड़ना ।

कुछ समय बाद बैशाख की चौथ आई तो उसने कहा कि “मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी भादवे की चौथ आएगी उसके पैर पकड़ना । जब भादवे की चौथ आई तो उसने भी यही कहा कि “मैं कुछ नही कर सकती मेरे से बड़ी कार्तिक चौथ है वो ही तेरे पति को जीवन दे सकती है लेकिन वो तेरे से सुहाग का सामान मांगेगी तो तू वो सब तैयार रखना लेकिन मैंने  तुझे ये सब बताया है ऐसा मत कहना “। Karwa Chauth Vrat Katha

जब कार्तिक चौथ आई तो उसने अपने पति के लिए व्रत रखा । रात को चौथ माता आई तो उसने पैर पकड़ लिए तो  माता बोली “सात भाइयो की लाड़ली बहन घणी  भूखी , घणी तिसाई ,पापिनी मेरे पैर छोड़ “।

तब वो बोली कि “माता मेरे से भूल हो गई मुझे माफ कर दो ,और मेरे पति को जीवन दान दो”। जब उसने माता के पैर नही छोड़े तो माता बोली कि “ठीक है जो सामान मैं मांगू वो मुझे लाकर दे”। Karwa Chauth Vrat Katha

माता ने जो सामान माँगा वो उसने लाकर दे दिया । तब चौथ माता बोली कि “तुझे ये सब किसने बताया “। वो बोली कि ” माता मैं इस जंगल में अकेली रहती हूँ मुझे ये सब बताने यहाँ कौन आएगा “।

चौथ माता ने माँग में से सिंदूर लिया, आँख में से काजल व चिटली अंगुली से मेहँदी निकालकर उसके पति के छिटा तो उसका पति जीवित हो गया । माता ने उसके पति को जीवित कर दिया और सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया । Karwa Chauth Vrat Katha

सुबह बच्चे जब खाना लेकर आये ,तो अपने चाचा को जीवित पाया। दौडकर घर गये और सबको बताया कि “चाचा जीवित हो गए “। सब लोग वहा गए तो देखा की बच्चे सच कह रहे है ।

अपने बेटे को जीवित देखकर सास बहु के पैर पड़ने लगी तो बहु बोली “सासुजी आप ये क्या कर रही है मैंने कुछ नहीं किया ये तो चौथ माता ने किया है ” । हे चौथ माता जैसे उसको सुहाग दिया वैसे सभी को देना। Karwa Chauth Vrat Katha

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