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हयग्रीव पूजा विधि || Hayagriva Puja Vidhi || Hayagriva Jayanti Puja Vidhi

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श्री हयग्रीव पूजा विधि || Shri Hayagriva Puja Vidhi || Hayagreeva Puja Vidhi

भगवान हयग्रीव अथवा हयशीर्ष भगवान विष्णु जी के ही अवतार हैं  इनका सिर घोड़े का है। पुराणों में भगवान के इस स्वरूप से संबन्धित कथाएँ मिलती हैं। हम आपको श्री हयग्रीव जयंती पर भगवान Shri Hayagriva Puja Vidhi बताने जा रहे है ! आप हमारे द्वारा बताये गये श्री हयग्रीव जी की पूजन विधि से श्री हयग्रीव जी को खुश कर सकते है व अपनी मनोकामना पूरी करवा सकते हैं !! Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे श्री हयग्रीव पूजा विधि || Shri Hayagriva Puja Vidhi || Hayagreeva Puja Vidhi को पढ़कर आप भी बहुत आसन तरीके से श्री हयग्रीव जी पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकोगें !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Shri Hayagriva Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्री हयग्रीव पूजा विधि || Shri Hayagriva Puja Vidhi

श्री हयग्रीव जंयती कब हैं ? 2022 || Shri Hayagriva Jayanti 2022 Date

इस साल श्री हयग्रीव जंयती 11 अगस्त, वार गुरुवार के दिन मनाई जाएगी !

श्री हयग्रीव पूजा मुहूर्त || Shri Hayagriva Puja Muhurat

सुबह 07:41 से दोपहर 12:30 मिनट तक ( चर, लाभ, अमृत चौघडिया मुहूर्त सहित ) 

दोपहर 12:04 से दोपहर 12:53 मिनट तक ( अभिजित मुहूर्त सहित ) 

दोपहर 02:06 से दोपहर 03:42 बजे तक ( शुभ चौघडिया मुहूर्त सहित ) 

सांय 06:54 से रात्रि 09:08 बजे तक ( प्रदोष काल मुहूर्त सहित ) 

श्री हयग्रीव पूजा विधि || Shri Hayagriva Puja Vidhi 

श्री हयग्रीव जी का पूजन करते समय पूर्व दिशा व उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं । सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी का पूजन करें । श्री गणेश जी को स्नान कराकर उन्हें वस्त्र अर्पित करें । गंध, पुष्प , धूप ,दीप, अक्षत से पूजन करें । उसके बाद अब भगवान Shri Hayagriva Puja करें । पहले श्री हयग्रीव जी को पंचामृत व् जल से स्नान कराएं । उन्हें वस्त्र अर्पित करें । वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं । अब पुष्पमाला पहनाएं । अब तिलक करें । “ॐ नमो भगवते आत्मविशोधनाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हयग्रीव जी को तिलक लगाएं । इसके पश्चात अपने हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हयग्रीव जी का ध्यान करें : 

हयग्रीव पूजा ध्यान मंत्र || Hayagriva Puja Dhyan Mantra

अंगन्यास 

ब्रह्मा ऋषि:| अनुष्टुप् छन्द:|  श्री हयग्रीव: परमात्मा देवता |

हकारं बीजं | यकारं शक्ति:| ग्रीवः कीलकम् |

श्रीहयग्रीव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोग:||

करन्यास:

उद्गीथ प्रणवोद्गीथ अंगुष्ठाभ्यां नमः ।  सर्ववागीश्वरेश्वर  तर्जनीभ्यां नमः ।  

सर्ववेदमयाचिन्त्य मध्यमाभ्यां नमः । सर्वं  बोधय बोधय अनामिकाभ्यां नमः ।   

उद्गीथ प्रणवोद्गीथ सर्ववागीश्वरेश्वर कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।

सर्ववेदमयाचिन्त्य सर्वं बोधय बोधय करतल-करपृष्ठाभ्यां नमः |

हृदयादि न्यास:

उद्गीथ प्रणवोद्गीथ हृदयाय नमः । सर्ववागीश्वरेश्वर  शिरसे स्वाहा ।  

सर्ववेदमयाचिन्त्य शिखायै वषट् ।

सर्वं  बोधय बोधय कवचाय हुं । उद्गीथ प्रणवोद्गीथ सर्ववागीश्वरेश्वर नेत्रत्रयाय वौषट् ।  

सर्ववेदमयाचिन्त्य सर्वं  बोधय बोधय अस्त्राय फट् | भूर्भुवस्वरोमिति दिग्बंध्:

|| ध्यानम् ||

हस्तैर्दधानम् मालां च पुस्तकं वर पंकजम्।

कर्पूराभम् सौम्य-रूपम् नाना भूषणभूषितम्॥

हयग्रीव पूजा मंत्र || Hayagriva Puja Mantra

ॐ हयग्रीव नारायणाय नमः लं पृथिव्यात्मकम् गंधम् समर्पयामि

ॐ हयग्रीव नारायणाय नमः हं आकाशात्मकम् पुष्पम् समर्पयामि

ॐ हयग्रीव नारायणाय नमः यं वायवात्मकम् धूपम् आघ्रापयामि

ॐ हयग्रीव नारायणाय नमः रं वह्न्यात्मकम् दीपम् दर्शयामि

ॐ हयग्रीव नारायणाय नमः वं अमृतात्मकम् नैवेद्यम् निवेदयामि

ॐ हयग्रीव नारायणाय नमः सौं सर्वात्मकम् सर्वोपचाराणि मनसा परिकल्प्य समर्पयामि

इसके बाद श्री हयग्रीव जी को गंध, फूल, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं ।

हयग्रीव पूजा मंत्र || Hayagriva Puja Mantra 

“॥ॐ नमो भगवते आत्मविशोधनाय नमः॥” 

या 

“॥ ॐ वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात्॥”

दिए गए मन्त्रों में से किसी एक मंत्र का Shri Hayagriva Puja में जाप करें उसके बाद श्री हयग्रीव स्तोत्र का पाठ करें । Shri Hayagriva Puja, मंत्र जप और आरती के दौरान हुए जाने-अनजाने दोषों के लिए क्षमा प्रार्थना कर सारी परेशानियों और चिंतामुक्ति के लिए कामना करें ।

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