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Tulsi Vivah Puja Vidhi : घर में तुलसी पूजा कैसे करें जानें तुलसी विवाह कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

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तुलसी विवाह पूजा विधि || Tulsi Vivah Puja Vidhi || Ghar Me Tulsi Vivah Puja

Tulsi Vivah Puja Vidhi : घर में तुलसी पूजा कैसे करें जानें तुलसी विवाह कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी पूजन का उत्सव पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है । कहा जाता है कि कार्तिक मास मे जो मनुष्य तुलसी का विवाह भगवान से करते हैं, उनके पिछलों जन्मो के सब पाप नष्ट हो जाते हैं । हम यंहा आपको Tulsi Vivah Puja Vidhi के बारे में बताने जा रहे हैं ! कार्तिक मास में स्नान करने वाले स्त्रियाँ कार्तिक शुक्ल एकादशी का शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती है । समस्त विधि विधान पुर्वक गाजे बाजे के साथ एक सुन्दर मण्डप के नीचे यह कार्य सम्पन्न होता है । दरअसल, तुलसी को “विष्णु प्रिया” भी कहते हैं । तुलसी विवाह के लिए कार्तिक शुक्ल की नवमी ठीक तिथि है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना शुभ होता है। लेकिन लोग एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी पूजन करके पांचवे दिन तुलसी का विवाह करते हैं। तुलसी विवाह की यही पद्धति बहुत प्रचलित है। शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दंपत्तियों के संतान नहीं होती, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य अवश्य प्राप्त करें । Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे तुलसी विवाह पूजा विधि || Tulsi Vivah Puja Vidhi || Ghar Me Tulsi Vivah Puja को पढ़कर आप भी बहुत आसन विधि से तुलसी विवाह अपने घर पर कर सकोगें !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें Mobile & Whats app Number : 9667189678 Tulsi Vivah Puja Vidhi By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

तुलसी विवाह पूजा विधि || Tulsi Vivah Puja Vidhi || Ghar Me Tulsi Vivah Puja

Tulsi Vivah Puja Vidhi : घर में तुलसी पूजा कैसे करें जानें तुलसी विवाह कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

तुलसी विवाह पूजा विधि || Tulsi Vivah Puja 2022 Date ? 

इस वर्ष 2022 में तुलसी विवाह पूजा 04 नवम्बर, वार शुकवार के दिन की जाएगी.

तुलसी विवाह पूजा मुहूर्त 2022 || Tulsi Vivah Puja Muhurat Time 2022

सूर्योदय 06:47 से सुबह 08:08 बजे तक,या 

सुबह 09:30 से दोपहर 10:50 बजे तक, या 

सांय 04:15 बजे से सूर्यास्त तक !

तुलसी विवाह पूजा सामग्री || Tulsi Vivah Puja Samagri

Tulsi Vivah Puja के लिए गन्ना (ईख), विवाह मंडप की सामग्री, सुहागन स्त्री की संपूर्ण सामग्री, घी, दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवद्य और पुष्प आदि ।

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तुलसी विवाह पूजा विधि || Tulsi Vivah Puja Vidhi

तुलसी जी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। और तुलसी जी के विवाह हेतु मां तुलसी के पौधे के गमले को गेरु से सजाना चाहिए, गमले के चारों ओर ईख (गन्ने) का मंडप बनाकर गमले के ऊपर तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं व् ओढाये। और तुलसी जी को चूड़ी पहनाकर श्रृंगार किया जाता है। गमले में सालिग्राम जी रखें । उसके बाद श्री गणेश जी की वन्दना के साथ प्रारम्भ करके श्री शालिग्राम जी तथा सभी देवी-देवताओं का विधिवत पूजन करना चाहिए। सालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है। तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं। गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें। पूजन करते समय तुलसी मंत्र ( तुलस्यै नम: ) का जप करें । इसके बाद एक नारियल दक्षिणा के साथ टीका के रूप में रखें। भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी जी की 11 परिक्रमा करें। Tulsi Vivah Puja Vrat Katha पढ़कर कपूर से आरती करें। ( नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी ) आरती के पश्चात विवाहोत्सव पूर्ण किया जाता है । प्रसाद वितरण अवश्य करें।

विवाह में जो सभी रीति-रिवाज होते हैं उसी तरह तुलसी विवाह के सभी कार्य किए जाते हैं। विवाह से संबंधित मंगल गीत भी गाए जाते हैं। तुलसी पूजा करने के कई विधान शास्त्रों में वर्णित हैं, उनमें से गृहस्थों के लिए तुलसी नामाष्टक का पाठ करने का विधान है। तुलसी विवाह के समय एवं प्रतिदिन कार्तिक मास में तुलसी नामाष्टक का पाठ विशेष लाभदायक रहता है। जो व्यक्ति तुलसी नामाष्टक का नियमित पाठ करता है उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है ।

पुराणों में वर्णित है, लक्ष्मी और तुलसी का सम्बन्ध भगवान विष्णु के साथ होने के कारण जिस घर में नियमित रूप से तुलसी जी का पूजन विधि-विधान एवं श्रद्धापूर्वक होता है, वहीं लक्ष्मी जी निवास करती हैं।

Tulsi Vivah Puja समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें :

” उठो देव सांवरा, भाजी, बोर आंवला, गन्ना की झोपड़ी में, शंकर जी की यात्रा। ” 

इस लोक आह्वान का भोला सा भावार्थ है – हे सांवले सलोने देव, भाजी, बोर, आंवला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग्रत हों, सृष्टि का कार्यभार संभालें और शंकर जी को पुन: अपनी यात्रा की अनुमति दें।

इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी देव को जगाया जा सकता है :

‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥’

‘उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥’

‘शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’

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विवाह के समय स्त्रियाँ गीत तथा भजन गाती है (Tulsi Vivah Puja Geet)। 

मगन भई तुलसी राम गुन गाइके मगन भई तुलसी ।

सब कोऊ चली डोली पालकी रथ जुडवाये के ।।

साधु चले पाँय पैया, चीटी सो बचाई के ।

मगन भई तुलसी राम गुन गाइके ।।

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