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केतु अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् || Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram

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केतु अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् || Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram

Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram में केतु ग्रह के 108 नामों वर्णन किया हैं ! Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का नियमित पाठ करने से आप केतु ग्रह के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं ! आपको केतु जब अशुभ प्रभाव दे रहा हो या केतु आपकी कुंडली में नीच या अशुभ भाव में हो या केतु की दशा व् अन्तर्दशा या गोचर में अशुभ परिणाम दे रहा हो जब Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करना बहुत लाभदायक होता हैं ! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

केतु अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् || Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram

शृणु नामानि जप्यानि केतो रथ महामते ।

केतुः स्थूलशिराश्चैव शिरोमात्रो ध्वजाकृतिः ॥ १॥

नवग्रहयुतः सिंहिकासुरीगर्भसम्भवः ।

महाभीतिकरश्चित्रवर्णो वै पिंगळाक्षकः ॥ २॥

स फलोधूम्रसंकाषः तीक्ष्णदंष्ट्रो महोरगः ।

रक्तनेत्रश्चित्रकारी तीव्रकोपो महासुरः ॥ ३॥

क्रूरकण्ठः क्रोधनिधिश्छायाग्रहविशेषकः ।

अन्त्यग्रहो महाशीर्षो सूर्यारिः पुष्पवद्ग्रही ॥ ४॥

वरहस्तो गदापाणिश्चित्रवस्त्रधरस्तथा ।

चित्रध्वजपताकश्च घोरश्चित्ररथश्शिखी ॥ ५॥

कुळुत्थभक्षकश्चैव वैडूर्याभरण स्तथा ।

उत्पातजनकः शुक्रमित्रं मन्दसखस्तथा ॥ ६॥

गदाधरः नाकपतिः अन्तर्वेदीश्वरस्तथा ।

जैमिनीगोत्रजश्चित्रगुप्तात्मा दक्षिणामुखः ॥ ७॥

मुकुन्दवरपात्रं च महासुरकुलोद्भवः ।

घनवर्णो लम्बदेहो मृत्युपुत्रस्तथैव च ॥ ८॥

उत्पातरूपधारी चाऽदृश्यः कालाग्निसन्निभः ।

नृपीडो ग्रहकारी च सर्वोपद्रवकारकः ॥ ९॥

चित्रप्रसूतो ह्यनलः सर्वव्याधिविनाशकः ।

अपसव्यप्रचारी च नवमे पापदायकः ॥ १०॥

पञ्चमे शोकदश्चोपरागखेचर एव च ।

अतिपुरुषकर्मा च तुरीये सुखप्रदः ॥ ११॥

तृतीये वैरदः पापग्रहश्च स्फोटककारकः ।

प्राणनाथः पञ्चमे तु श्रमकारक एव च ॥ १२॥

द्वितीयेऽस्फुटवाग्दाता विषाकुलितवक्त्रकः ।

कामरूपी सिंहदन्तः सत्येऽप्यनृतवानपि ॥ १३॥

चतुर्थे मातृनाशश्च नवमे पितृनाशकः ।

अन्त्ये वैरप्रदश्चैव सुतानन्दनबन्धकः ॥ १४॥

सर्पाक्षिजातोऽनंगश्च कर्मराश्युद्भवस्तथा ।

उपान्ते कीर्तिदश्चैव सप्तमे कलहप्रदः ॥ १५॥

अष्टमे व्याधिकर्ता च धने बहुसुखप्रदः ।

जनने रोगदश्चोर्ध्वमूर्धजो ग्रहनायकः ॥ १६॥

पापदृष्टिः खेचरश्च शाम्भवोऽशेषपूजितः ।

शाश्वतश्च नटश्चैव शुभाऽशुभफलप्रदः ॥ १७॥

धूम्रश्चैव सुधापायी ह्यजितो भक्तवत्सलः ।

सिंहासनः केतुमूर्ती रवीन्दुद्युतिनाशकः ॥ १८॥

अमरः पीडकोऽमर्त्यो विष्णुदृष्टोऽसुरेश्वरः ।

भक्तरक्षोऽथ वैचित्र्यकपटस्यन्दनस्तथा ॥ १९॥

विचित्रफलदायी च भक्ताभीष्टफलप्रदः ।

एतत्केतुग्रहस्योक्तं नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥ २०॥

यो भक्त्येदं जपेत्केतुर्नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।

स तु केतोः प्रसादेन सर्वाभीष्टं समाप्नुयात् ॥ २१॥

॥ इति केतु अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

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केतु अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् के लाभ / फ़ायदे || Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram Ke Labh / Fayde

  • केतु ग्रह की महादशा और अंतर्दशा आपके लिए विपरीत चल रही है तो Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करना आपके लिए लाभदायक रह सकता हैं। 
  • Ketu Graha Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ केतु ग्रह के बुरे गोचर के समय करना भी जातक को फायदेमद रहता हैं। 
  • यदि आपके जीवन में केतु ग्रह से संबधित कोई रोग या बीमारी हो रही हो तो Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ उस समय जरूर करना चाहिए। 
  • जातक की कुंडली अनुसार केतु ग्रह मारकेश हो और आपके जीवन में केतु ग्रह प्रभावित कर रहा हो तो भी Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करना आपको बहुत ज्यादा लाभ दे सकता हैं। 

  • यदि आप अपने जीवन में केतु ग्रह से होने वाले नुकसान या बुरे प्रभाव से किसी भी तरह से ग्रस्त चल रहे हो तो भी Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करने से आपके जीवन में सुधार देखने को जरूर मिलेगा। 
  • Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का रोजाना पाठ पाठ करने से केतु ग्रह को मजबूत बनाया जा सकता हैं। 
  • यदि कुंडली में केतु ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो भी रोजाना Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करने से केतु ग्रह की शांति की जा सकती हैं। 
  • जिन जातकों की जन्म कुंडली में केतु ग्रह निर्बल अवस्था या पाप ग्रह से ग्रस्त से प्रभावित है तो Ketu Ashtottara Shatanamavali Stotram का नित्य पाठ करना आपको फायदा पहुँचा सकता हैं। 

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