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श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् || Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram

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श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् || Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram

Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram में सूर्यदेव के 108 नाम हैं । Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram नामों का उच्चारण करते हुए सूर्य को जल-अघ्र्य अर्पित किया जाता है । Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का नियमित पाठ या श्रवण से उपासकों को ऊर्जा, बुद्धिमत्ता, आत्म-प्रकाश, पूर्ण स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है । यह सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् नरसिंह पुराण में से लिया गया हैं ! इसके रचियता विश्वकर्मा जी हैं !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! यदि आप अपनी कुंडली दिखा कर परामर्श लेना चाहते हो तो या किसी समस्या से निजात पाना चाहते हो तो कॉल करके या नीचे दिए लाइव चैट ( Live Chat ) से चैट करे साथ ही साथ यदि आप जन्मकुंडली, वर्षफल, या लाल किताब कुंडली भी बनवाने हेतु भी सम्पर्क करें : 9667189678 Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram By Online Specialist Astrologer Sri Hanuman Bhakt Acharya Pandit Lalit Trivedi.

श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् || Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram

॥ नरसिंहपुराणे सूर्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं विश्वकर्मकृत ॥

भरद्वाज उवाच —

यैः स्तुतो नामभिस्तेन सविता विश्वकर्मणा ।

तान्यहं श्रोतुमिच्छामि वद सूत विवस्वतः ॥ १॥

सूत उवाच —

तानि मे शृणु नामानि यैः स्तुतो विश्वकर्मणा ।

सविता तानि वक्ष्यामि सर्वपापहराणि ते ॥ २॥

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान् ।

तिमिरोन्मथनः शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्ड आशुगः ॥ ३॥

हिरण्यगर्भः कपिलस्तपनो भास्करो रविः ।

अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शम्भुस्तिमिरनाशनः ॥ ४॥

अंशुमानंशुमाली च तमोघ्नस्तेजसां निधिः ।

आतपी मण्डली मृत्युः कपिलः सर्वतापनः ॥ ५॥

हरिर्विश्वो महातेजाः सर्वरत्नप्रभाकरः ।

अंशुमाली तिमिरहा ऋग्यजुस्सामभावितः ॥ ६॥

प्राणाविष्करणो मित्रः सुप्रदीपो मनोजवः ।

यज्ञेशो गोपतिः श्रीमान् भूतज्ञः क्लेशनाशनः ॥ ७॥

अमित्रहा शिवो हंसो नायकः प्रियदर्शनः ।

शुद्धो विरोचनः केशी सहस्रांशुः प्रतर्दनः ॥ ८॥

धर्मरश्मिः पतंगश्च विशालो विश्वसंस्तुतः ।

दुर्विज्ञेयगतिः शूरस्तेजोराशिर्महायशाः ॥ ९॥

भ्राजिष्णुर्ज्योतिषामीशो विजिष्णुर्विश्वभावनः ।

प्रभविष्णुः प्रकाशात्मा ज्ञानराशिः प्रभाकरः ॥ १०॥

आदित्यो विश्वदृग् यज्ञकर्ता नेता यशस्करः ।

विमलो वीर्यवानीशो योगज्ञो योगभावनः ॥ ११॥

अमृतात्मा शिवो नित्यो वरेण्यो वरदः प्रभुः ।

धनदः प्राणदः श्रेष्ठः कामदः कामरूपधृक् ॥ १२॥

तरणिः शाश्वतः शास्ता शास्त्रज्ञस्तपनः शयः ।

वेदगर्भो विभुर्वीरः शान्तः सावित्रिवल्लभः ॥ १३॥

ध्येयो विश्वेश्वरो भर्ता लोकनाथो महेश्वरः ।

महेन्द्रो वरुणो धाता विष्णुरग्निर्दिवाकरः ॥ १४॥

एतैस्तु नामभिः सूर्यः स्तुतस्तेन महात्मना ।

उवाच विश्वकर्माणं प्रसन्नो भगवान् रविः ॥ १५॥

भ्रमिमारोप्य मामत्र मण्डलं मम शातय ।

त्वत्बुद्धिस्थं मया ज्ञातमेवमौष्ण्यं शमं व्रजेत् ॥ १६॥

इत्युक्तो विश्वकर्मा च तथा स कृतवान् द्विज ।

शान्तोष्णः सविता तस्य दुहितुर्विश्वकर्मणः ॥ १७॥

संज्ञायाश्चाभवद्विप्र भानुस्त्वष्टारमब्रवीत् ।

त्वया यस्मात् स्तुतोऽहं वै नाम्नामष्टशतेन च ॥ १८॥

वरं वृणीष्व तस्मात् त्वं वरदोऽहं तवानघ ।

इत्युक्तो भानुना सोऽथ विश्वकर्माब्रवीदिदम् ॥ १९॥

वरदो यदि मे देव वरमेतं प्रयच्छ मे ।

एतैस्तु नामभिर्यस्त्वां नरः स्तोष्यति नित्यशः ॥ २०॥

तस्य पापक्षयं देव कुरु भक्तस्य भास्कर ॥ २१॥

तेनैवमुक्तो दिनकृत् तथेति त्वष्टारमुक्त्वा विरराम भास्करः ।

संज्ञां विशङ्कां रविमण्डलस्थितां कृत्वा जगामाथ रविं प्रसाद्य ॥ २२॥

इति श्रीनरसिंहपुराणे एकोनविंशोऽध्यायः ॥

श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम् के लाभ / फ़ायदे || Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram Ke Labh / Fayde

  • सूर्य ग्रह की महादशा और अंतर्दशा आपके लिए विपरीत चल रही है तो Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करना आपके लिए लाभदायक रह सकता हैं। 
  • Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ सूर्य ग्रह के बुरे गोचर के समय करना भी जातक को फायदेमद रहता हैं। 
  • यदि आपके जीवन में सूर्य ग्रह से संबधित कोई रोग या बीमारी हो रही हो तो Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ उस समय जरूर करना चाहिए। 
  • जातक की कुंडली अनुसार सूर्य ग्रह मारकेश हो और आपके जीवन में गुरु ग्रह प्रभावित कर रहा हो तो भी Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करना आपको बहुत ज्यादा लाभ दे सकता हैं। 

  • यदि आप अपने जीवन में सूर्य ग्रह से होने वाले नुकसान या बुरे प्रभाव से किसी भी तरह से ग्रस्त चल रहे हो तो भी Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करने से आपके जीवन में सुधार देखने को जरूर मिलेगा। 
  • Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का रोजाना पाठ पाठ करने से सूर्य ग्रह को मजबूत बनाया जा सकता हैं। 
  • यदि कुंडली में सूर्य ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो भी रोजाना Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करने से सूर्य ग्रह की शांति की जा सकती हैं। 
  • जिन जातकों की जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह निर्बल अवस्था या पाप ग्रह से ग्रस्त से प्रभावित है तो Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का नित्य पाठ करना आपको फायदा पहुँचा सकता हैं। 
  • सूर्य देव की नित्य पूजा पाठ में Sri Surya Ashtottara Shatanamavali Stotram का पाठ करने से श्री सूर्य देव की कृपा बनी रहती हैं। 

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